मराठा आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलनकारी मनोज जरांगे फिर मैदान में
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
मुंबई । महाराष्ट्र राज्य के विधानसभा चुनाव में भाजपा को पराजित करने के उद्देश्य से मराठा ओबीसी आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जरांगे आंदोलन के लिए तैयारी मे जुट गए हैं?NCP लीडर शरदचंद्र पवार के कुशल मार्गदर्शन में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन का रुख अपनाया जा रहा है? इसलिए ओबीसी नेता मैदान में धरगर और मुस्लिम कोटा को लेकर फिर मुद्दा गरमा रहा है। परिणामत: आंदोलनकारी नेता
जरांगे विधानसभा चुनाव में भाजपा को बडा झटका दे सकते हैं।
तीन दलों की मिली-जुली महाराष्ट्र सरकार आरक्षण के भंवर जाल में फंसती जा रही है। उसे समस्या का हल नहीं दिखाई दे रहा है। सत्ताधारी दलों के नेताओं ने कहना शुरू कर दिया है कि अगर आरक्षण के मसले को हल नहीं किया गया, तो आने वाले विधानसभा चुनाव में सरकार को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। लोकसभा से भी डरावने नतीजे आ सकते हैं। हालांकि आरक्षण के भंवर जाल से निकलने के लिए सत्ताधारी दल नित नए प्रयोग कर रहे हैं, लेकिन हर प्रयोग औंधे मुंह गिर रहा है। मराठा आरक्षण का चेहरा बने मनोज जरांगे पाटील ने सत्ताधारी दल को बुरी तरह से घेर लिया है। माना जा रहा है कि हालिया लोकसभा चुनाव में बीजेपी की पंकजा मुंडे, रावसाहेब दानवे जैसे दिग्गजों का जरांगे पाटील ने विकेट ले लिया। नांदेड में अशोक चव्हाण चारों खाने चित हो गए। सन 2019 के लोकसभा चुनाव में जहां अकेले बीजेपी ने 23 सीटों पर जीत हासिल की थी, वहीं इस बार 9 सीटों तक सिमट गई।
जरांगे पाटील पीछे हटने को तैयार नहीं है। उन्होंने तो सरकार को यहां तक चेता दिया है कि मराठा आरक्षण को हल नहीं किया, तो वे विधानसभा की सभी 288 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे। उनके उम्मीदवार जीते या हारे इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन हमारे लोग सत्ताधारी दलों के उम्मीदवार को जरूर गिरा देंगे।
मनोज जरांगे अडिग: जरांगे को मनाने के लिए सरकार हर तरह से हथकंडे अपना रही है, लेकिन जरांगे टस से मस नहीं हो रहे हैं। कैबिनेट मंत्री गिरीश महाजन कहते हैं कि जहां तक उनकी जानकारी है कि जिस तरह के आरक्षण की मांग जरांगे पाटील कर रहे हैं, वह संभव नहीं है, फिर भी अगर कोई व्यावहारिक समाधान है, तो सरकार इसे आगे बढ़ाएगी। इस पर जरांगे कहते हैं कि वो अपने इस रुख पर अडिग हैं कि मराठों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में आरक्षण मिलना चाहिए।
इससे पहले कि मराठा आरक्षण के लिए अड़े जरांगे पाटील को सरकर मना पाती, ओबीसी आरक्षण का मामला भी गरमा गया है। जालना में ओबीसी कार्यकर्ता लक्ष्मण हाके और नवनाथ वाघमारे पिछले 10 दिन से भूख हड़ताल पर बैठे हैं। उन्हें मनाने के लिए कैबिनेट मंत्री गए। बाद में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का भी एक प्रतिनिधि मिलने गया। वहां से शिंदे से मोबाइल पर बात कराया गया। इनकी मांग पर ही शिंदे ने तत्काल संबंधित लोगों की बैठक बुलाई। बैठक में ओबीसी नेताओं ने अपनी ही सरकार पर जमकर भड़ास निकाली। अपनी नाराजगी प्रकट की। ताने मारे कि मराठा आरक्षण को लेकर अनशन पर बैठे जरांगे पाटील को मनाने के लिए पूरी सरकार उतर गई, लेकिन ओबीसी समाज का कोई अनशन पर बैठा, तो उसे किसी ने नहीं पूछा। उन तक पहुंचने में सरकार को एक सप्ताह लग गए। ओबीसी मसले को लेकर राज्य में एक बार फिर तनाव की स्थिति है। राज्य के कई जिलों में विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं।
धनगर मांगे एसटी आरक्षण
सन 2014 के विधानसभा चुनाव प्रचार में देवेंद्र फडणवीस ने वादा किया था कि राज्य में बीजेपी की सरकार बनेगी तो पहली ही कैबिनेट की बैठक में धनगर समाज की मांग को मंजूर करेंगे। धनगर की मांग थी कि उन्हें एसटी में शामिल किया जाए, ताकि एसटी को मिल रही सुविधाएं उन्हें मिल सकें। लेकिन उनकी मांग आज तक पूरी नहीं हुई। इस पर टाटा इंस्टीट्यूट यानी टिस की रिपोर्ट है कि धनगर को एसटी में शामिल नहीं किया जा सकता। हालांकि, धनगर समाज को सरकार साढ़े तीन प्रतिशत आरक्षण दे रही है, लेकिन धनगर नेताओं की मांग है कि उन्हें एसटी में शामिल किया जाए। यह मामला भी अब जोर पकड़ने लगा है।
सन 2014 में विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले पृथ्वीराज चव्हाण सरकार ने मराठों को 16 और मुस्लिमों को 5 % आरक्षण मंजूर किया था। लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था। अबकी केंद्र की मोदी सरकार में चंद्रबाबू नायडू शामिल हुए हैं। उन्होंने अपने आंध्र प्रदेश में मुस्लिम समाज को 4% आरक्षण का समर्थन किया है। ऐसे में महाराष्ट्र में फिर से मांग उठने लगी है कि महाराष्ट्र में भी मुसलमानों को आरक्षण दिया जाए। पूछे जा रहे हैं कि बीजेपी की सहयोगी दल चंद्रबाबू अपने राज्य में मुसलमानों को 4 % आरक्षण दे रही, तो महाराष्ट्र की वही बीजेपी सरकार मुसलमानों को आरक्षण क्यों नहीं दे रही है। यह मामला भी गरमाने की आशंका है।
कैसे सुलझेगा मामला
महाराष्ट्र में आरक्षण 72 प्रतिशत तक जा पहुंच है। धनगर, गडरिया समाज को 3.50% आरक्षण अलग से मिला रहा है, लेकिन उनकी मांग है कि उन्हें एसटी में शामिल किया जाए। इसी तरह से जरांगे पाटील की मांग है कि उनके कुनबी मराठा को ओबीसी में शामिल किया जाए, जबकि सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर तबके को अलग से 10 प्रतिशत आरक्षण दिया है। ओबीसी कुनबी मराठों को शामिल करने का यह कहते हुए विरोध कर रहे हैं कि पहले से ही ओबीसी में 350 जातियां शामिल हैं। ऐसे में कुनबी मराठा को शामिल करने से उन्हें मिल रहा आरक्षण प्रभावित होगा। मुस्लिम समाज अब तर्क दे रहे हैं कि बीजेपी की सहयोगी टीडीपी आंध्र प्रदेश में 4 प्रतिशत आरक्षण दे रही है, तो महाराष्ट्र सरकार को किस बात को एलर्जी है? सभी उलझा हुआ है और उलझन के धागे सत्ताधारी दल को नहीं मिल रहा है।
महाराष्ट्र में आरक्षण
कैसे पहुंच गया 72% आरक्षण
एससी- 13%
एसटी- 7%
ओबीसी- 19%
विमुक्त जनजातियां: 3%
विशेष पिछड़ा वर्ग- 2%
विमुक्त, खानाबदोश-बी: 2.5%
खानाबदोश जनजाति- सी (धनगर, गडरिया): 3.5%
खानाबदोश जनजाति- डी( वंजारा )- 2%
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस)- 10-%
एसईबीसी मराठा कोटा: 10%