Breaking News

बारिस मे अयोध्या राम मंदिर में जल के देवता भगवान वरुण का आगमन

बारिस मे अयोध्या राम मंदिर में जल के देवता भगवान वरुण का आगमन

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

अयोध्या । मर्यादा-पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम के मंदिर बनने के बाद पहली ही बारिश में जल रिसाव होना इसे भगवान वरुण देवता का आगमन ही माना जा रहा है? राम मंदिर के छत मे बारिश की खबरों पर राम मंदिर ट्रस्ट की प्रतिक्रिया आई है। ट्रस्ट की ओर से स्पष्ट किया गया है कि पानी क्यों टपक रहा है। परंतु उस अज्ञानी पुजारी को यह नहीं मालूम है कि जल का देवता भगवान वरुण को माना जाता है।

श्रीराम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने राम मंदिर में कथित जल रिसाव पर कहा कि मैं अयोध्या में हूं। मैंने पहली मंजिल से बारिश का पानी गिरते हुए देखा है लेकिन ऐसा अपेक्षित है, क्योंकि गुरु मंडप दूसरी मंजिल के रूप में आकाश के सामने खुला है और शिखर के पूरा होने से यह उद्घाटन ढक जाएगा। मैंने कुछ रिसाव भी देखा है।

चूंकि पहली मंजिल पर यह काम प्रगति पर है, इसलिए सैंक्टम सेंटोरम में नाली बंद कर दी जाएगी क्योंकि सभी मंडपों में पानी की ढलान मापी गई है और सैंक्टम सेंटोरम में पानी को मैन्युअल रूप से अवशोषित किया जाता है। भक्त भगवान का अभिषेक नहीं कर रहे हैं, इसमें डिज़ाइन या निर्माण का कोई मुद्दा नहीं है। जो मंडप खुले हैं, उनमें बारिश का पानी गिर सकता है, इस पर बहस हुई थी लेकिन नगर वास्तु मानदंडों के अनुसार उन्हें खुला रखने का निर्णय लिया गया था।

राममंदिर की सभी सतह पर हो रही वाटर प्रूफिंग

पहली प्री-मानसून बारिश में राममंदिर की छत टपकने के सवाल पर राममंदिर के ट्रस्टी डॉ.अनिल मिश्र ने बताया कि वर्षा से रक्षा करने के लिए मंदिर के सभी सतह पर वाटर प्रूफिंग का काम चल रहा है। वर्षा शुरू होने से पहले वाटर प्रूफिंग का काम पूरा करने का लक्ष्य है। प्रथम तल पर कुछ जगहों पर होल्डिंग रखी है, सामान रखा है, वहां केवल वाटर प्रूफिंग का काम बाकी है। प्रथम तल पर 80 फीसदी वाटर प्रूफिंग का काम हो चुका है।

अनिल मिश्र ने बताया कि प्रथम तल पर वायरिंग और वाटर प्रूफिंग काम चल रहा है। वायरिंग के लिए पाइप भी लगाई गई है, इन्हीं पाइपों से पानी नीचे चला गया होगा। बिजली के वायरिंग के लिए जो पाइप लग रही है, वह भी सील की जा रही है। प्रथम व दूसरे तल पर जब वॉटर प्रूफिंग हो जाएगी तो एक भी बूंद पानी भूतल तक नहीं आएगा। वर्तमान में जो स्थितियां हैं वह रोज-रोज बदलती है। पानी जो थोड़ा बहुत नीचे आया है, उसे व्यवस्थित कर लिया गया है।भूविज्ञान और वास्तुविज्ञान की माने तो पत्थरों की चट्टानों मे पच तत्वों का वास होता है। जैसे पत्थर से पत्थर टकराव से अग्नि प्रकटन होती हैं। वायुमंडल के दबाव प्रभाव से गहरी चट्टानों के भीतर प्रचुर मात्रा मे जल उपलब्ध है। आकाश और भूगर्भ पृथ्वी के आश्रित ऐसे पंच्च तत्व विधमान है? यानी जल वायू अग्नि आकाश और पृथ्वी ऐसे पंचतत्वों से सृष्टी का निर्माण परमात्मा ने किया है।

About विश्व भारत

Check Also

महोगनी पेड लगाओ और 12 साल बाद मुनाफा ही मुनाफा कमाओ

महोगनी पेड लगाओ और 12 साल बाद मुनाफा ही मुनाफा कमाओ टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक …

किसानों के अत्याधिक मुनाफा दायक है मशरूम की खेती

किसानों के अत्याधिक मुनाफा दायक है मशरूम की खेती टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट कानपुर। …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *