सड़ी गली सब्जी खिलाकर बच्चों के भविष्य से खिलवाड
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
छिंदवाड़ा। घर में रखे आलू अगर सड़ जाए तो लोगों का जीना दूभर कर देते हैं इसके कारण उन्हें बाहर फेंकना पड़ता है लेकिन अगर वही सड़े आलू आपके बच्चों का निवाला बन बन जाए तो इससे ज्यादा बेरहमी और कुछ नहीं हो सकती। मामला तामिया के आदिवासी खेल परिसर का है जहां पर बच्चों के पोषण के लिए सरकार भरपूर बजट देती है लेकिन अधीक्षक महोदय सब्जी के नाम पर सिर्फ आलू खिलाते हैं वो भी सड़े हुए जानिए क्या है हकीकत।सतपुड़ा एक्सप्रेस की टीम जब आदिवासी खेल परिसर तामिया में पहुंची तो वहां के नजारे कुछ ऐसे थे कि बच्चे को छत पर टहल रहे थे तो कुछ इधर उधर टहल रहे थे। और पूरे परिसर में जिम्मेदार व्यक्ति के नाम एक चपरासी मौजूद थे जो बच्चों के लिए शाम के भोजन की तैयारी कर रहे थे भोजन के हालात देखकर हर किसी के रोंगटे खड़े हो जाएं सब्जी आलू की बननी थी लेकिन वह भी सड़े हुए और सब्जी के नाम पर आलू के अलावा कुछ भी नहीं था।
फोन करने के बाद पहुंचे अधीक्षक,बोले बच्चों का संवर रहा भविष्य।सरकारी नियम के मुताबिक छात्रावास अधीक्षक को अपने कार्य स्थल पर मौजूद रहना पड़ता है ताकि वहां पर रहने वाले बच्चों की समुचित देखरेख हो सके लेकिन तामिया के खेल परिसर छात्रावास के हालात हर दिन में रहते हैं कि यहां पर अधीक्षक महोदय मेहमानों की तरह आते हैं सतपुड़ा एक्सप्रेस के टीम जब पहुंची तो उसे दौरान भी छात्रावास में कोई भी जिम्मेदार मौजूद नहीं था सिर्फ एक चपरासी अंदर था जो शाम के भजन की तैयारी कर रहा था हमने जब छात्रावास अधीक्षक शैलेश राय को फोन किया तो अधीक्षक महोदय दौड़ते भागते छात्रावास परिसर पहुंचे और जब उनसे चर्चा की गई कि इस तरह का खाना बच्चों को परोसा जाएगा तो उनका कहना था कि हम बच्चों का भविष्य संभार रहे हैं मीडिया का तो काम है हमारी बुराई करना।बिस्तर में चादर नहीं हॉस्टल में लगा गंदगी का अंबार।आदिवासी बच्चों को अच्छा माहौल मिल सके जिसमें वे पढ़ाई कर ऊंचा मुकाम हासिल कर सके इसके लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है लेकिन तामिया के खेल परिसर हॉस्टल का यह आलम है कि ना तो यहां पर बिस्तर में चादर है और ना जमीन पर बैठने लायक की स्थिति क्योंकि गंदगी और धूल का अंबार इतना था कि खड़े होना भी मुश्किल है।
सहायक आयुक्त जिम्मेदार मुझे कुछ नहीं मालूम।हॉस्टल में फैली अवस्थाओं के बारे में जब हमने अधीक्षक शैलेश राय से जानकारी चाही तो उनका दो टूक जवाब था कि इन सब व्यवस्थाओं के लिए जिम्मेदार हमारे सहायक आयुक्त हैं जो छिंदवाड़ा में रहते हैं जो भी बात करनी है उनसे करिए लेकिन इस तरह की हालत देखकर तो यह लगता है कि ना तो छिंदवाड़ा में बैठे साहब को बच्चों की चिंता है और ना ही उनके आकाओं को।