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महिला ने रेप की कोशिश करने वाले का ‘लिंग काटा’

महिला ने रेप की कोशिश करने वाले का ‘लिंग काटा’

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

 

तिरुवनंतपुरम। केरल में एक महिला ने बलात्कार का कथित प्रयास करने वाले एक व्यक्ति का लिंग काट दिया. केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने महिला की तारीफ़ करते हुए इसे ‘साहसिक कार्य’ बताया तो एक महिला कार्यकर्ता ने ‘हिम्मत वाला काम’ करार दिया.

महिला ने पुलिस में दर्ज कराई शिकायत में कहा है कि श्रीहरि उर्फ़ गणेशानंद तीर्थपदा उनके परिवार के धर्मगुरु थे और वो तब से उसका यौन उत्पीड़न कर रहे थे जब वो 16 साल की थी. महिला ने कहा कि शनिवार की तड़के जब श्रीहरि ने उसका बलात्कार करने की कोशिश की तो महिला ने चाकू से उसका लिंग काट दिया.

तिरुवनंतपुरम के पुलिस आयुक्त स्प्रजन कुमार ने बीबीसी को बताया, “परिवार को उन पर पूरा विश्वास था. और पीड़िता को इस बात से डरी हुई थी कि अगर वो बलात्कार का आरोप लगाएंगी तो उनका परिवार यकीन नहीं करेगा. इसलिए, जब उसके साथ बलात्कार की कोशिश हुई तो उसने उसका लिंग काट दिया और ये सोचकर अपने घर से भाग गई कि श्रीहरि उसे मार डालेगा.”

54 साल के श्रीहरि को गंभीर हालत में तिरुवनंतपुरम के मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उसकी आपात सर्जरी की. डॉक्टरों ने उसकी हालत स्थिर बताई है.

श्रीहरि का अस्पताल ने एक बयान में कहा है, “लिंग को वापस जोड़ने का कोई तरीका नहीं है. क्या?”

हालांकि श्रीहरि ने पुलिस के सामने दावा किया है कि उन्होंने ख़ुद ही अपना लिंग काट लिया था क्योंकि मेरे लिए इसका कोई उपयोग नहीं था. पुलिस ने श्रीहरि का बयान रिकॉर्ड कर लिया है और पूरे मामले की छानबीन की जा रही है.

महिला के इस कृत्य पर सामाजिक प्रतिक्रियाएं भी मिली हैं. समाजिक संस्था अन्वेशी की अजिता ने इस महिला को ‘हिम्मती लड़की’ बताया और कहा कि स्वामी के साथ ऐसा ही होना चाहिए था. उन्होंने कहा कि वे इसे मिसाल के तौर पर लेने को तो नहीं कहेंगी, लेकिन ये कोई रास्ता नहीं होने की स्थिति में महिलाओं को इसी तरह से जवाब देना चाहिए.

यहाँ तक कि मुख्यमंत्री पी विजयन ने भी यह कहते हुए संवाददाताओं को हैरत में डाल दिया कि ‘महिला द्वारा किया गया ये साहसिक और मजबूत कृत्य है.’

श्रीहरि का दावा है कि वो धर्मगुरु है और पनमना आश्रम के सदस्य हैं. हालाँकि, पनमना आश्रम के एक अधिकारी ने वो आश्रम के संन्यासी नहीं हैं. आश्रम के सचिव गिरीष कुमार ने बीबीसी से कहा, “वो 15 साल पहले आश्रम में थे. कुछ कारोबार करने के लिए उन्होंने आश्रम छोड़ दिया था.”

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण कानून बना है.

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