शिंदे-फडणवीस में छुपी अनबन : शिंदे ने लिया CM फडणवीस को चिढ़ाने वाला फैसला
मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति आजकल काफी पेचीदा हो गई है। इस समय सत्ता पक्ष हो या विपक्ष सभी को चौका दिया है.
महाराष्ट्र की राजनीति आजकल काफी पेचीदा हो गई है। इस समय सत्ता पक्ष हो या विपक्ष सभी कुछ ना कुछ ऐसा कर रहे हैं जो लीक से हटकर हो। विशेषरूप से महाराष्ट्र की भाजपा और उसके सहयोगियों में अंंदरखाने अजीब कशमकश देखने को मिल रही है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के बीच आंतरिक रूप से खींचतान चल रही है। डिप्टी सीएम होते हुए शिंदे सीएम की तरह फैसले ले रहे हैं, उनके एक फैसले से ऐसी चर्चा भी शुरू हो गई है। सीएम राहत कोष होने के बाद भी डिप्टी सीएम शिंदे ने अपनी तरफ से नया सेल बनाकर अटकलों को हवा दे दी है।
शिंदे पूरी तरह से टकराव के मूड में दिखाई दे रहे है.
महाराष्ट्र में कुछ तो गड़बड़ है। डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे पूरी तरह से टकराव के मूड में हैं, उनके एक फैसले ने महायुति सरकार में ताजा टकराव के संकेत दे दिए हैं। ऐसा लग रहा है कि डिप्टी होने के बावजूद शिंदे खुद को सीएम से कम नहीं आकना चाहते। गार्जियन मिनिस्टर (संरक्षक मंत्री) को लेकर गठबंधन सहयोगियों में मतभेद के बाद अब देवेंद्र फडणवीस सरकार में यह एक नया आंतरिक मनमुटाव पैदा हुआ है। ऐसा लगता है जैसे शिंदे ने आरपार की लड़ाई लड़ने का मूड बना लिया है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो जल्दी ही महाराष्ट्र में कुछ नया सुनने को मिल जाएगा।
शिंदे ने डीसीएम की चिकित्सा सहायता सेल बनाई
महाराष्ट्र की राजनीति में डिप्टी होते हुए भी अपने आप को सीएम समझने वाले उपमुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने दरअसल मंत्रालय में डीसीएम की चिकित्सा सहायता सेल बना ली है। उन्होंने अपने करीबी मंगेश चिवटे को इसका हेड नियुक्त कर दिया है। यह पहली बार है जब किसी उपमुख्यमंत्री ने चिकित्सा सहायता सेल की स्थापना की है। जबकि सबसे ज्यादा गौर करने वाली बात यह है कि राज्य में मुख्यमंत्री राहत कोष सेल पहले से ही मौजूद है, उसके बावजूद अब डीसीएम राहत कोष बनाना एक तरह से खुलेआम सीएम फडणवीस को चैलेंज देने के समान है।
प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता प्रदान नहीं करेगा
शिवसेना प्रमुख के करीबी मंगेश चिवटे ने कहा है कि एकनाथ शिंदे द्वारा स्थापित डीसीएम का चिकित्सा सहायता प्रकोष्ठ जरूरतमंद और गरीब रोगियों की मदद के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष सेल का पूरक होगा। उन्होंने कहा कि यह प्रकोष्ठ राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के साथ समन्वय में काम करेगा, जिसकी अध्यक्षता शिवसेना के मंत्री प्रकाश अबितकर कर रहे हैं। चिवटे ने कहा है कि यह सेल सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के साथ समन्वय करते हुए काम करेगा और प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता प्रदान नहीं करेगा।
सत्ता में बदलाव होते ही लीड रोल भी बदले गए
सत्ता में बदलाव होते ही लीड रोल भी बदले गए। संयोग से जब शिंदे मुख्यमंत्री थे, तब चिवटे ही सीएमआरएफ को लीड करते थे। पिछले साल शिंदे के कार्यकाल के दौरान करीब 32,000 रोगियों को सीएमआरएफ से कुल 267.50 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की गई थी। अब फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने के बाद चिवटे की जगह रामेश्वर नाइक को जिम्मेदारी दे दी गई। जब फडणवीस उपमुख्यमंत्री थे, तब नाइक कानून और न्याय विभाग संभाल रहे थे, जो जरूरतमंद रोगियों के इलाज के लिए निजी धर्मार्थ अस्पतालों के साथ भी समन्वय करता था।
प्रकोष्ठ राज्य की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों में मार्गदर्शन का काम करेगी
चिवटे ने कहा, ‘डीसीएम चिकित्सा सहायता प्रकोष्ठ राज्य की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों में मार्गदर्शन का काम करेगी और महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना को ज्यादा प्रभावी ढंग से लागू करने में मदद करेगा। यह प्रकोष्ठ रोगियों को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता प्रदान नहीं करेगा, लेकिन लोगों का मार्गदर्शन करेगा कि सीएमआरएफ के साथ-साथ चैरिटेबल अस्पताल योजना, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम और केंद्र की आयुष्मान भारत योजना के माध्यम से इस राहत का लाभ कैसे उठाया जा सकता है। यह प्रकोष्ठ स्वास्थ्य योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने और रोगियों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए एक कड़ी के रूप में काम करेगा।
रोगियों के लिए वित्तीय सहायता जुटाई जाएगी
चिवटे ने आगे कहा कि इसके अलावा अंग प्रत्यारोपण जैसी महंगी सर्जरी के लिए कई सामाजिक संगठनों के माध्यम से जरूरतमंद रोगियों के लिए वित्तीय सहायता जुटाई जाएगी। यह प्रकोष्ठ राज्य और केंद्रीय सरकारों की तमाम योजनाओं के साथ-साथ सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट और टाटा ट्रस्ट जैसे संगठनों के माध्यम से धन जुटाने के लिए समन्वय करेगा