भालू की मौत मामले में वन विभाग के तीन कर्मचारी सस्पेंड
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
बालोद। हाल ही में तांदुला डेम में एक भालू की तैरती हुई मिली लाश के मामले में वन विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है. इस मामले में भूषण लाल ढीमर (वनपाल सहायक परिक्षेत्र अधिकारी, हर्राठेमा), दरेश कुमार पटेल (परिसर रक्षक, मलगांव) और विशेखा नाग (परिसर रक्षक, नैकिनकुंवा) को निलंबित कर दिया गया है. जानकारी के अनुसार, 24 फरवरी को तांदुला डेम में एक भालू का शव तैरता हुआ मिला था, जिसे वन विभाग ने गुपचुप तरीके से कल्लूबाहरा के जंगल में दफना दिया. करीब एक माह बाद जब मृत भालू की तस्वीर वायरल हुई, तो मामला तूल पकड़ लिया. जांच के दौरान शनिवार को वन विभाग ने शव को दोबारा जमीन से निकाला तो चौकाने वाली सच्चाई सामने आई है भालू के चारों पंजे शरीर से अलग थे, जिससे वन विभाग की भूमिका संदेह के घेरे में आ गई है. दरअसल में डैम मे तैरता मृत भालू की आकस्मिक मौत नहीं अपितु उसे सुनियोजित साजिश के तहत मारा गया है.
मामले की गंभीरता को देखते हुए भालू के शव के सैंपल फॉरेंसिक जांच के लिए भेजे गए हैं. रिपोर्ट आने के बाद और भी जिम्मेदार अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई हो सकती है. इस पूरे मामले को विधायक कुंवरसिंह ने विधान सभा में उठाया है.
गोपनीय सूत्रों की माने तो शिकारी समुदाय भालू का शिकार करते हैं. बताते हैं कि नपुंसकता दूर करने के लिए भालू का मांस बहुत ही लाभदायक होता है.इतना ही नहीं भालू का पेनिस लाखों रुपए में बिकता है. पशु चिकित्सा विज्ञान विशेषज्ञों के अनुसार नपुंसकता दूर करने भालू का पेनिस बेहद फायदेमंद साबित होता है? इस मामले की संपूर्ण जांच-पड़ताल की गई तो वन विभाग तथा जल संसाधन विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई की गाज गिर सकती है?