गन्ना खेेत में मादा तेंदुए ने शावक को दिया जन्म
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
छिंदवाड़ा । मध्यप्रदेश छिन्दवाडा जिले के पेंच नेशनल पार्क और इसके आस-पास के जंगल न केवल बाघों बल्कि तेंदुओं के संरक्षण में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। हाल ही में हरदुआ गांव में स्थित पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष शैलेंद्र सिंह रघुवंशी के गन्ने के खेत में एक अनोखी घटना घटी। मादा तेंदुए ने वहीं शावक को जन्म दिया।खेत मालिक शैलेंद्र सिंह रघुवंशी के अनुसार, गन्ने की कटाई के दौरान सुबह मजदूरों ने गन्ने के ढेर के नीचे कुछ असामान्य देखा। पहले तो यह बिल्ली के बच्चे जैसा प्रतीत हुआ, परंतु नजदीक जाकर पता चला कि वह तेंदुए का शावक है, जिसकी अभी आंखें खुली नहीं थीं। इस संकेत से अंदाजा लगाया गया कि मादा तेंदुए ने खेत में ही शावक को जन्म दिया होगा।
स्थिति की सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। टीम ने शावक को उसकी मां से मिलवाया और सुरक्षित रूप से जंगल में छोड़ दिया ताकि मादा तेंदुआ उसकी उचित देखभाल कर सके।वन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि पेंच नेशनल पार्क के आसपास के जंगल तेंदुए और बाघों के लिए उत्तम आवास प्रदान कर रहे हैं। इस क्षेत्र में इन प्रजातियों की जनसंख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, जो वन्यजीव संरक्षण के दृष्टिकोण से सकारात्मक संकेत है।यह घटना क्षेत्र में वन्यजीव संरक्षण के प्रति बढ़ती जागरूकता और सफलता का एक उदाहरण मानी जा रही है.
उसी प्रकार अगस्त माह में एक किसान के खेत में लगे घने मक्का के खेत में जंगली कुत्ती ने 10 शावकों को जन्म दिया था उसी प्रकार आदीवासी के खेत किनारे घनी झड़बेरी जढैंयां की झुरमुट के भीतर ढेरों जंगली सुंअर के करीबन 50 से भी अधिक शावकों को जन्म देकर ग्रामीणों को चौंका दिया था? मादा शेरनी अपनी गुफा के भीतर शावकों को जन्म देकर अपनी पैदावार बढाती है. खरगोश भी अपने बिल के भीतर शावकों को जन्म देते हैं.