बिजली करंट से बैनगंगा -गोसीखुर्द डैम मे मछलियों का शिकार
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
भंडारा। बैनगंगा नदी पर स्थित गोसीखुर्द जलाशय मे बिजली तार के झटके देकर मछलियों का शिकार का धंधा बेखौफ चल रहा है.हालकि बैन गंगा नदी पर यह धंधा काफी समय से चल रहा है.
भंडारा जिले के टेकेपार और आजूबाजू के गांवों के बेरोजगार आदिवासी युवक बैन गगा नदी में बिजली का करंट फैलाकर मछलियों का शिकार कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं।
शिकारी बिजली के करंट से मछलियां मारते हैं। इसके पहले बिजली करंट से अनेक मवेशियों की भी मौत हो चुकी है। यह घटना अभोरा जलाशय क्षेत्र के ग्रामों में एक आदिवासी युवक नदी में बिजली का करंट फैलाकर मछलियों का शिकार करते पकडा भी गया था. परंतु कुछ रुपए लेदेकर मामले को रफा-दफा कर दिया गया.
सिंचाई विभाग से मिली जानकारी अनुसार बैनगंगा तटीय क्षेत्र के अनेक गांव के वेरोजगार युवक बिजली का करंट फैलाकर मछलियों का शिकार करते देखा और पकडा जा सकता है.
नदी के पास में ही लगी किसान के खेत मे विधुत मोटर में बिजली के तार जोड़कर नदी में डाल दिए जाते हैं।
अनेक आदीवासी शिकारी युवक बिजली के तारों के सहारे मछली पकड़कर अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं। शिकारी इस खिलवाड़ में अन्य लोगों को भी शामिल कर मौत को निमंत्रण दे रहे हैं। यह लोग नदी में बिजली के करंट से मछली मार रहे हैं।
मछली शिकारी नदी के तटवर्ती क्षेत्र के किसानों के बिजली का कनेक्शन लेते हैं। उससे 1200 से 2000 मीटर तक बिजली का तार जोड़ देते हैं। तार को 15 से 20 फीट के डंडे में लपेटा जाता है। उसके मुहाने पर एक जाल तैयार किया जाता है।
इस जाली को मछली के झुंडों के पास ले जाया जाता है। जाल से मछलियों को बिजली का झटका लगता है, जिससे उनकी मौत हो जाती है। बाद में मछलियों को शिकारी चुन-चुन कर उठा लेते हैं। यह सिलसिला कई घंटे तक चलता है। इसी तरह के मामले में कई मवेशियों की भी मौत हुई है. नदी में बिजली का करंट फैलाकर मछलियों का शिकार किया जा रहा है.