जानिए पहलगाम पर भारतीय खुफिया रिपोर्ट के खुलासे से हड़कंप
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
नई दिल्ली । भारत की खुफिया एजेंसियों ने पता लगा लिया है कि घोड़े वालों से लेकर भेलपूरी बेचने वालों तक सारे आतंकियों के ही स्लीपर सेल्स थे।
वहां जो भी था चाहे विडियो बना रहा हो या मदद करने का नाटक कर रहा हो सभी आतंकियों के ही स्लीपर सेल्स थे। हमला पूरा होते ही सारे गायब हो गये हैं। वहां एक भी छोटी दुकान लगाकर बेचने वाला नहीं मिलेगा। करीब 35 आतंकी घटनास्थल पर मौजूद थे। और सारे आसपास के घरों में लगभग एक महीने से रह रहे थे और समझ लीजिए किसी भी घरवाले ने सूचना लीक नहीं होने दी। एक महीने तक आतंकी यदि आपके घर में मेहमान बनकर रहे वो भी एक नहीं दो नहीं 35 आतंकी तो क्या मतलब निकलता है लेकिन किसी ने भी पुलिस या फोर्सेज को नहीं बताया। आदरणीय अमित शाह को बताया गया है कि उस पर्टिकुलर जगह पर कभी भी बिना पुलिस की इजाजत के टूर ट्रेवेल्स सर्विस वालों द्वारा टुरिस्टों को नहीं लाया जाता है लेकिन उस दिन बिना पुलिस को सूचित किए टूर ट्रेवेल्स की बसें सैलानियों को लेकर वहां आ गई थीं। काफी सारे सैलानी पहुँच चुके थे।
PLAN A था कि 35 आतंकी एक साथ फायरिंग करके बहुत सारे हिन्दुओं को मार डालेंगे। AK47 बंदूकों का ज़खीरा हो सकता है, ड्रोन के द्वारा पाकिस्तान से आया, उसको लेने चार लोग गए। बाकी लोग घटनास्थल पर इंतजार कर रहे थे। एक गाड़ी से आ रहे थे लेकिन इनकी गाड़ी का ब्रेक फेल हो गया। इस वजह से इन चारों को गाड़ी छोड़कर खच्चरों पर और मोटर साइकिल पर चढ़कर आना पड़ा। इस कारण सारी बंदूकें पहुँच नहीं सकी और PLAN A सफल नहीं हो सका ।
तब इन आतंकियों ने PLAN B पर काम किया । इस प्लान के मुताबिक एक खच्चर वाला सारी बंदूकों को गाड़ी से निकालकर घास के नीचे छुपा देगा और दो लोग खच्चर पर और दो लोग बिना नंबर वाली मोटरसाइकिल जो घटनास्थल के पास से बरामद हुई है ,से पहुंचेंगे।
बाकी आतंकी पहले से ही भेष बदलकर घटनास्थल पर छुपे हुए थे। फिर चार आतंकियों ने ही घटनास्थल पर फायरिंग कर लोगों को मारना शुरू किया। बाकी सारे बंदूकों के आभाव में चारों तरफ ध्यान रख रहे थे।
अब कल्पना कीजिए अगर वे सारी बंदूकें वहां पहुंच गई होतीं तो क्या क्या हो सकता था?
जो बचकर आए लोग आज टीवी पर इंटरव्यू दे रहे हैं कि मैं वहां से दस मिनट पहले निकला या बीस मिनट पहले निकल गया । या दूर से ही देखकर हम दौड़ के भाग आए। शायद उनमें से एक भी न बचता।
अब बताइये ये 35 आतंकियों को एक महीने से वहां के लोकल लोग चारों वक़्त का खाना पीना सब सुविधाएं देकर पाल रहे थे लेकिन मजाल है सिक्योरिटी फोर्सेज को या पुलिस को सूचना न मिल जाए इतनी एकता है इन आतंकवादी दहशत गर्दों
में।
वहां की सरकार भी ऐसा लगता है सम्मिलित थी प्रशासन और पुलिस भी सम्मिलित थी इस दृष्टि से भी सभी एजेंसियों को जांच करनी चाहिए तथा बॉर्डर के आसपास 24 घंटे उपग्रह या ड्रोन से देखभाल की जाए और जो भी छुपाने के स्थान है उनको नष्ट किया जाए लेजर दीवार या अन्य उपाय किया जाए क्योंकि यह तो यूकेलिप्टस का पेड़ है जितना काटेंगे उतना नहीं शाखाएं निकल जाती हैं इसी कारण से उनके जनाजे अंतिम संस्कार में लाखों की भीड़ एकत्रित हो जाती है इस भीड़ पर भी नजर सरकार को रखनी होगी तथा स्थानीय छोटी-छोटी बातों पर भीड़ कैसे एकत्रित होती है उसे पर भी नजर और जांच करनी चाहिए