गुरु के समर्पित रहना सौभाग्य : मुनि विनम्र सागरजी महाराज के उदगार
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
उज्जैन। अपने गुरुदेव भगवान के जाने के बाद भी गुरु के प्रति समर्पित रहना बहुत बड़े सौभाग्य की बात है. ये उदगार यहां आयोजित चातुर्मास समारोह मे मुनि विनम्र सागरजी महाराज ने संबोधित करते हुए कहा कि हमने सदैव गुरुदेव भगवान के आदर्शों का अनुसरण अनुकरण और अनुगमन करना चाहिए. उज्जैन के छत्रपति नगर के दलाल बाग में मुनि विनम्र सागर जी महाराज ने शनिवार को अपने प्रवचन में कहा कि पंचम काल में हम राग द्वेष के चरम पर है। यहां तक कि साधु बनने के बाद भी लोग अपने गुरु की अवहेलना करते हैं। उनके जीवित रहते भी लोग उनका उपकार भूल जाते हैं। गुरु के जाने के बाद भी गुरु के प्रति समर्पित रहना बड़ी बात है। शास्त्रों में लिखा है- गुरु की महिमा वर्णी ना जाएं.
शिष्य दो तरह के होते हैं- एक जड़ शिष्य, जिनमें जड़ता अधिक रहती है, गुरु के द्वारा हजार बार समझाने पर भी नहीं समझते। दूसरे होते हैं- वक्र शिष्य – उनकी वक्रता शब्दों में वर्णित नहीं की जा सकती। उन्होंने आगे कहा कि पूज्य आचार्य विद्यासागर जी महाराज कहते थे कि अतीत के पन्नों को भी देखना जरूरी है। चतुर्थ काल के मुनियों को आराध्य मान कर जिएंगे तो तुम्हारे जीवन में साधना को शक्ति मिलेगी। वे शुद्ध चारित्र का पालन करते थे। आज के साधु को अपनी श्रद्धा का केंद्र मत मानना। मुनिवर ने कहा कि युग बदलते हैं तो व्यवहार बदल जाते हैं वाराणसी और उज्जैन अनादि काल से है । एक समय उज्जैन रत्नों से पटा रहता था , लेकिन उनको कोई उठाता नहीं था। वर्तमान काल भगवान महावीर स्वामी का चल रहा है, साधु को देखकर कुछ लोग नमोस्तु करते हैं , और कुछ आंखें बंद कर लेते हैं, ये नजर और नजरिया का फर्क है। उन्होंने कहा कि जिसे खुदा ने आंखें दी , वो पत्थर में खुदा देखें**जिसकी अक्ल में पत्थर है, वह पत्थर में क्या देखें ?
दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद के प्रचार प्रमुख सतीश जैन ने बताया कि शनिवार प्रातः गुरुदेव के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रज्वलन के बाद गुरुदेव की अष्ट द्रव्यों से पूजन करने का सौभाग्य भी दिगंबर जैन समाज संगम नगर को प्राप्त हुआ। इस अवसर पर मनोज बाकलीवाल, मनीष नायक,सतीश डबडेरा, , सतीश जैन, आनंद जैन, अमित जैन, अजय जैन मनोज जैन , कमलेश सिंघई, सचिन भाईजी, राजेश गंगवाल, डॉ. प्रदीप बांझल, संजय जैन सहित बड़ी संख्या में समाजजन मौजूद थे। मुनि निस्वार्थ सागर जी महाराज भी मंच पर विराजित थे। अगस्त मे रक्षाबंधन महामंडल विधान बाल ब्रह्मचारी अविनाश भैया के निर्देशन में होगा। धर्म सभा का संचालन शिरीष अजमेरा ने किया
सकल दिगंबर जैन समाज इन्दौर, दयोदय चेरिटेबल फाउंडेशन ट्रस्ट एवं छत्रपति नगर दिगंबर जैन समाज एवं ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में आचार्य विद्यासागरजी महाराज एवं समय सागर महाराज के आशीर्वाद से मुनि विनम्र सागर महाराज का ससंघ चातुर्मास प्रवेश व कलश स्थापना महोत्सव का आयोजन छत्रपति नगर स्थित दलालबाग में शुरु है। छत्रपति नगर स्थित जिनालय से भव्य मंगल प्रवेश जुलूस निकाला गया, जो विभिन्न मार्गों से होते हुए दलालबाग चातुर्मास स्थल पहुंचा। मुनि विनम्र सागर महाराज के साथ मुनि निश्वार्थ सागर, निसर्ग सागर एवं क्षुल्लक हीरक सागर भी सभी जैन धर्मावलंबियों को अपना सान्निध्य प्रदान किया।
चातुर्मास समिति अध्यक्ष मनोज बाकलीवाल, मुख्य संयोजक मनीष नायक एवं महामंत्री सचिन जैन ने बताया कि रविवार 28 जुलाई को दोपहर 1.30 बजे दलाल बाग छत्रपति नगर में आपके वर्षा योग मंगल कलश की स्थापना दयोदय चैरिटेबल फाउंडेशन ट्रस्ट एवं श्री आदिनाथ दिगंबर जैन धार्मिक एवं पारमार्थिक ट्रस्ट छत्रपति नगर इंदौर के संयुक्त तत्वाधान में हो रही है। मुनिश्री विनम्र सागर का छत्रपति नगर में होने वाला वर्षायोग हम सबके जीवन की दिशा और दशा बदलने में महती भूमिका निभा रहा है। कलश स्थापना से पूर्व छत्रपति नगर मंदिर से भव्य मंगल प्रवेश जुलूस निकाला गया। मंगल प्रवेश जुलूस के दौरान विभिन्न श्रीसंघों से आई महिला भजन मंडलियों द्वारा भजनों की प्रस्तुति दी जाएगी। युवाओं द्वारा ड्रेस कोड़ भी रखा गया है, इसमें सभी युवा श्वेत वस्त्र एवं महिला केशरिया परिधान में नजर आएंगी। मुनिश्री की अगवानी के लिए सड़कों पर रंगोली व वंदनवार भी सजाए गए हैं। मंगल प्रवेश जुलूस के दौरान ध्वजारोहण सहित अन्य कार्यक्रम आयोजित होंगे। वहीं मुनिश्री विनम्र सागर महाराज प्रवचनों की अमृत वर्षा भी इस दौरान करेंगे। कलश स्थापना के दौरान शीरिष अजमेरा, राजेश लारेल, सतीश डबडेरा, धर्मेंद्र सिनकेम, आलोक बंडा, आनंद जैन को महत्वपूर्ण जवाबदारी सौंपी गई है।