हिंदी राष्ट्र निर्माण की बौध्दिक सामर्थ्य सांस्कृतिक विरासत : डॉ. पाराशर
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
छिन्दवाड़ा। मध्यप्रदेश हिन्दी राष्ट्रभाषा प्रचार समिति छिंदवाड़ा इकाई द्वारा आयोजित 21वीं जिला स्तरीय प्रतिभा प्रोत्साहन प्रतियोगिता गत दिवस शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय छिंदवाड़ा में संपन्न हुई। इस प्रतियोगिता के अंतर्गत लगभग 20 शालाओं के 150 से अधिक विद्यार्थियों ने काव्य पाठ प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता, एकल लोकगीत गायन प्रतियोगिता और चित्रांकन से शब्दांकन प्रतियोगिता में सहभागिता की जिसमें से सभी वर्गों में विजेता विद्यार्थियों को प्रथम, द्वितीय व तृतीय पुरस्कार के रूप में समिति द्वारा नगद राशि, प्रतीक चिन्ह व प्रमाण पत्र वितरित करने के साथ ही सभी प्रतिभागी विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आकाशवाणी छिंदवाड़ा के पूर्व निदेशक डॉ. हरीश पाराशर रिशु थे तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेन्द्र वर्मा ने की। कार्यक्रम में जिला शिक्षा अधिकारी श्री जी.एस.बघेल विशेष अतिथि और डॉ.अमरसिंह व जी.एस.कॉलेज नागपुर से पधारे प्रो. हर्षद घाटोले विशेष अतिथि वक्ता के रूप में उपस्थित थे। समिति के अध्यक्ष श्री गोवर्धन यादव के मार्गदर्शन में संपन्न इस कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ साहित्यकार श्री ओमप्रकाश “नयन” के साथ ही श्री आलोक यादव व श्रीमती शैली यादव ने किया।
इस अवसर पर आकाशवाणी छिंदवाड़ा के पूर्व निदेशक डॉ. हरीश पाराशर रिशु ने कहा कि हिंदी में राष्ट्र निर्माण की बौध्दिक सामर्थ्य की सांस्कृतिक विरासत समाहित है। हिंदी भारतीयता के आदर्शों, मूल्यों व मातृभूमि पर फ़िदा होने के संस्कारों की संवाहिका है। कार्यक्रम अध्यक्ष व वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेन्द्र वर्मा ने कहा कि यदि हमारे पास हमारी मातृभाषा नहीं है तो हम गरीबऔर कमजोर हैं तथा कमज़ोरों का ही दिवस मनाया जाता है, इसलिए हमें भी प्रतिवर्ष हिंदी दिवस मनाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि मातृभाषा हिंदी में ऐसी सभी विशेषताएं हैं जिसका उपयोग कर हम अपनी मंज़िल तक पहुंच सकते हैं। अब हिंदी एक समृध्द भाषा है और इसे कोई भी सीख सकता है। उन्होंने कहा कि हिंदी स्वराज स्थापना का आधार, आत्मनिर्भर भारत बनाने की मंत्रशक्ति व आत्मविश्वास की पोषक है। विशेष अतिथि और जिला शिक्षा अधिकारी श्री बघेल ने कहा कि हमें सभी भाषाओं का ज्ञान होना चाहिए, किन्तु हमें अपनी मातृभाषा में ही शिक्षा ग्रहण करना चाहिए। हम में से अधिकतर की मातृभाषा हिंदी है और हिंदी में जितनी अवधारणाएं हैं, उतनी अन्य किसी भाषा में नहीं हैं। उन्होंने बताया कि जिले की शालाओं में मातृभाषा हिंदी के साथ ही अंग्रेजी व अन्य भाषाओं में भी विद्यार्थियों को शिक्षा दी जा रही है तथा नीट, जे. ई. ई. जैसी परीक्षाओ के लिये भी हिंदी में अवसर सुलभ हुए हैं। उन्होंने हिंदी पठन -पाठन के अपने अनुभव साझा करते हुए हिंदी की गुणवत्ता और महत्व के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए समिति द्वारा किए जा रहे रचनात्मक कार्यों की सराहना भी की। उन्होंने चित्रांकन से शब्दांकन प्रतियोगिता का अवलोकन करने के साथ ही विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन भी किया।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि जी.एस.कालेज नागपुर के प्रो. हर्षद घोटाले ने कहा कि हिंदी वतन के कर्ज व मांटी का फ़र्ज़ अदा करने की भाषा है। हिंदी भाषा सिर्फ़ अभिव्यक्ति ही नहीं, अपितु वतन पर मर मिटने की भक्ति है। विशिष्ट अतिथि चांद कालेज के प्राचार्य प्रो. अमर सिंह ने कहा कि हिंदी भारतीय भावजगत का प्रतिनिधित्व करती है और सम्पूर्ण विश्व में भारत की ब्रांड एंबेसडर है। हिंदी हमारी उन्नति का मूल है और ह्रदय के शूल की रामबाण औषधि है। वरिष्ठ साहित्यकार व आयोजक गोवर्धन यादव ने कहा कि हिंदी हिंद की हृदय सम्राट व राष्ट्र की प्राणवायु है। हिंदी का लोक साहित्य भारतीय एकीकरण की मिसाल है, मानवीयता का स्पर्श है और गुलामी से मुक्ति की अभिव्यक्ति है। उन्होंने कहा कि हिन्दी ही एकमात्र ऐसी भाषा है जो उत्तर से लेकर दक्षिण तक, पूरब से लेकर पश्चिम तक अपना अस्तित्व रखती है। सच मायने में हिन्दी हमारी संस्कृति की पर्याय है। वह बद्री विशाल की अलकनंदा है, रामेश्वर के अभिषेक की गंगा है, जगदीश के शिखर पर स्थापित भ्रामरीचक्र है, तो द्वारकाधीश के भव्य प्रासाद की फहराती ध्वजा है। हिन्दी की जन्मजात उपलब्धि यह है कि वह संस्कृत की दुहिता है। जनपदीय बोलियाँ इसकी सहोदरा है। यह अतुल शब्द संपदा वाली है। इसकी लिपि देवनागरी है, जो पूर्णतः वैज्ञानिक है। इन सभी गुणवत्ता के कारण ही हिन्दी अपनी लिपि, भाव और भाषा की कसौटी पर खरी उतरी है। आज हिंदी अकेले अपने दम पर विश्व मंच पर भारतीय संस्कृति का परचम लहरा रही है। मुझे अपनी राष्ट्रभाषा हिंदी पर गर्व है। वरिष्ठ साहित्यकार ओमप्रकाश नयन ने अपने वक्तव्य में कहा कि हिंदी भारत के लिए संप्रेषण कौशल ,भावनात्मक आमोद प्रमोद और मां, मातृभूमि व मातृभाषा के प्रति सम्मान देने का माध्यम है।
कार्यक्रम में काव्य पाठ प्रतियोगिता में केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक-01 की छात्रा कुमारी स्मृति साहू को प्रथम, जगन्नाथ उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की छात्रा कुमार त्रिवेणी विश्वकर्मा को द्वितीय व पीएम श्री महारानी लक्ष्मीबाई कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की छात्रा कुमार जानकी परते को तृतीय, भाषण प्रतियोगिता में केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक-01 की छात्रा कुमारी गार्गी चड्डा को प्रथम, संतश्री आशाराम गुरूकुल के छात्र आयुष नरवरे को द्वितीय व लक्ष्य जोशी को तृतीय, एकल लोकगीत गायन प्रतियोगिता में शासकीय नवीन जवाहर बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के छात्र श्री प्रवीण ककोडिया को प्रथम, संतश्री आशाराम गुरूकुल की छात्रा कुमारी श्रेया प्रजापति व शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय की छात्रा कुमारी पहल शर्मा को तृतीय और चित्रांकन से शब्दांकन प्रतियोगिता में संतश्री आशाराम गुरूकुल की छात्रा कुमारी श्रुति जैन को प्रथम, केन्द्रीय विद्यालय क्रमांक-01 के छात्र संजय अवस्थी को द्वितीय व शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय की छात्रा कुमारी श्रध्दा सराठे को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। इन प्रतियोगिताओं में सर्वश्री रामलाल सराठे रश्मि, ओमप्रकाश नयन, रोहित रूसिया, सुश्री शैफाली शर्मा, सुश्री मोहिता कमलेंदु व सुश्री अनुराधा तिवारी ने निर्णायक की भूमिका निभाई। समिति के कोषाध्यक्ष श्री संजय मोहोड़ ने अंत में आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में सुश्री नीलम सुलखिया, सुश्री कविता भार्गव, ईश्वरी सोनी, रजनीश यादव, यदुराज यादव, सुश्री अक्षिता यादव आदि ने महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार श्री लक्षमण डेहरिया, अन्य साहित्यकार, शिक्षक-शिक्षिकायें और बड़ी संख्या में छात्र-छात्रायें उपस्थित थीं