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वैदिक नियमों के विरुद्ध राम मंदिर शिलान्यास से BJP की पराजय: शंकराचार्य का कथन

वैदिक नियमों के विरुद्ध राम मंदिर शिलान्यास से BJP की पराजय: शंकराचार्य का कथन

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

 

वाराणसी। निसर्ग प्रकृति के प्रकोप से जब विनाश होता है तो ईश्वर सृष्टी का सृजन निर्माण,निर्देशन और प्रबंधन करता है। परंतु निसर्ग परमात्मा दोषियों को कभी माफ नहीं करता अपितु दण्ड जरुर देता है। इस नैसर्गिक सत्य को कोई भी झुठला नही सकता है? उदाहरणार्थ वैदिक नियमों के विरुद्ध मर्यादा-पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम के मंदिर का शिलान्यास और प्राणप्रतिष्ठा समारोह आयोजित किया गया।

‘यह आध्यात्मिक वाणी धर्म सम्राट जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कही है,अपने दो दिवसीय प्रवास में गत रविवार को आगरा पंंहुुचे शंकराचार्य ने शंका समाधान में यह बात कही यह बात। इस्कान को लेकर बोले स्वयं हिंदू नहीं लेकिन अनुयायी बने हिंदू। भाजपा की हार पर उन्होंने कहा कि जहां प्रभु श्रीराम जन्म भूमि है वहां भाजपा का बंटाधार हो गया। इसके पीछे वैदिक शुभ मुहुर्त का न होना बहुत बड़ा कारण है।

‘बिना शुभ मुहुर्त राम मंदिर के शिलान्यास और प्राणप्रटिष्ठा से मिली चुनावों में बीजेपी को पराजय मिली है।

पूर्व सांसद सीमा उपाध्याय के आवास पर चल रही धर्मसभा

लोकसभा चुनाव में अयोध्या, चित्रकूट और नासिक में हुई भाजपा की हार पर चल रहे तंज के बीच रविवार को गोवर्धन पुरी पीठ के पीठाधीश्वर जगद्गगुरु शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानंद सरस्वती ने भी बयान जारी किया।

दो दिवसीय प्रवास के दौरान उन्होंने कहा कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर में श्रीरामलला की स्थापना बिना मूहुर्त के हुई, इस सिद्ध बात का हमने विरोध किया था। शिला पूजन और प्राणप्रतिष्ठा में वैदिक सनातन परंपरा का ध्यान नहीं रखा। परिणाम लोकसभा चुनावों में अयोध्या, चित्रकूट और नासिक से मिला, जहां स्वयं प्रभु श्रीराम रहे थे, वहीं भाजपा का बंटाधार हो गया है।

पूर्व सांसद के यहां धर्मसभा

शास्त्रीपुरम पूर्व सांसद सीमा उपाध्याय के आवास पर चल रही धर्मसभा में रविवार को शंकराचार्य श्रद्धालुओं की शंकाओं का समाधान कर रहे थे।

शंकराचार्य ने कहा, कि चिंता यह है कि वह खुद को हिंदू नहीं कहते, लेकिन हिंदुओं के बीच स्थापित हो चुके हैं। विडंबना है कि हिंदू भी उन्हें पूरी मान्यता देने के साथ उन्हें गुरु रूप में पूज रहे हैं। वह स्वयं को हिंदू नहीं बताते, लेकिन हिंदू उनके अनुयायी बन गए हैं, उनकी पूजा पद्धति का अनुसरण करते हैं, उनके गुरु से दीक्षा लेते हैं।

भारत के हिंदू राष्ट्र के सवाल पर उन्होंने कहा कि भारत अवश्य ही हिंदू राष्ट्र बनेगा। समय लग सकता है। यह काम जोर-जबर्दस्ती नहीं, बल्कि अन्य धर्मावलंबियों के सनातन धर्म के प्रति आकर्षित होने से होगा। इसके लिए कूटनीति उचित होनी चाहिए क्योंकि सभी का मूल सनातन धर्म ही है। भारत का डंका पूरे विश्व बजेगा।

जाति, धर्म, संप्रदाय में भेद के प्रश्न पर कहा कि भेद तो प्रकृति का नियम है, प्रकृति ने भी उपयोग की दृष्टि से प्रत्येक चीज में अंतर रखा है। प्रत्येक वर्ण का अपना महत्व है, जिसका मूल समझेंगे, तो जाति प्रथा को कोसना बंद कर देंगे।

सनातन धर्म को विकृत करने के प्रयास पर कहा कि शक्तियां चाहें बाहरी हों या आंतरिक, अजर-अमर सनातन धर्म को कभी नष्ट नहीं कर सके। तमाम शक्तिशाली लोग इसे नष्ट करने व विकृत करने के प्रयास में स्वयं नष्ट हो गए।

इस संबंध मे कासी बनारस के आध्यात्म विशेषज्ञों की माने तो अयोध्या में मर्यादा-पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम मंदिर का शिलान्यास और प्राण प्रतिष्ठा समारोह मे वैदिक सनातन धर्म के प्रमुख आचार्य धर्माचार्य चारों पीठ के जगतगुरु शंकराचार्यों,महा मंडलेश्‍वरों, समस्त डण्डी ब्रम्हचारियों और सन्यासियों की उपस्थिति यह समारोह होना चाहिए था? इसके अलावा संभावित यजमान निर्व्यसनी और विशुद्ध शाकाहारी साधकों की उपस्थिति जरुरी था?

आध्यात्म विशेषज्ञों का मानना है कि श्रीराम मंदिर भाजपा का चुनावी एजेण्डा है। यहां तक ठीक है। परंतु मर्यादा-पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम मंदिर का शिलान्यास और प्राणप्रतिष्ठा वैदिक सनातन धर्म के अनुकूल होना चाहिए था?

अच्छा हुआ कि संभावित नैसर्गिक परमात्मा की कृपा से भारी अनहोनी टल गई। अन्यथा पापात्मा विपक्ष इडिया महागठबंधन सरकार बतौर जेहादियों के हाथों मे देश की सत्ता चली गई होती?

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