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सभी पापों का मूल कारण लोभ लालच : ईर्ष्या, झूठ, छल,कपट,विश्वासघात

सभी पापों का मूल कारण लोभ लालच : ईर्ष्या झूठ छल कपट विश्वासघात

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

 

मथुरा। जगतगुरु श्रीराजेंद्र दास जी महाराज ने अपनी ओजस्वी वाणी मे कहा है कि मनुष्य जीवन में सारे पापों की जड़ और मूल कारण है लोभ लालच,दूसरों प्रति ईर्ष्या जलनखोरी,चुगलखोरी चापलूसखोरी झूठ छल कपट विश्वासघात धोखाधडी, बेईमानी और भ्रष्टाचार है, जो मनुष्य को गलत रास्ते पर ले जाता है और उसकी बुद्धि को भ्रष्ट करता है. लोभ ही वह कारण है जो व्यक्ति को पाप करने के लिए विवश कर देता है. लोभ व्यक्ति को गलत काम करने के लिए प्रेरित करता है और उसकी लालसा कभी खत्म नहीं होती. लोभ एक ऐसी भावना है जो व्यक्ति को अधिक से अधिक प्राप्त करने की इच्छा से भर देती है, चाहे वह धन, शक्ति, या किसी अन्य चीज़ के रूप में हो.यह लालसा कभी शांत नहीं होती और व्यक्ति को लगातार कुछ और प्राप्त करने की इच्छा में धकेलती रहती है.

लोभ एक ऐसी भावना है जो व्यक्ति को नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों से दूर ले जाती है. यह व्यक्ति को गलत काम करने के लिए प्रेरित करती है और उसकी बुद्धि को भ्रष्ट कर देती है. लोभ लालच के प्रभाव से मनुष्य दूसरों के प्रति ईर्ष्या जलन चोरी चुगली, चापलूसी, झूठ छल कपट विश्वासघात बेईमानी और भ्रष्टाचार की तरफ अग्रसर हो जाता है.

लोभ को पाप की जड़ माना जाता है क्योंकि यह व्यक्ति को गलत काम करने के लिए विवश करता है और उसकी लालसा कभी खत्म नहीं होती.

जो व्यक्ति को सांसारिक सुखों के पीछे भागने और धर्म से दूर करने के लिए प्रेरित करती है. लोभ से क्रोध और मोह उत्पन्न होते हैं, जो व्यक्ति को पापों की ओर धकेलता हैं.

लोभ का अर्थ है सांसारिक सुख-साधनों और भौतिक वस्तुओं की प्रबल इच्छा, जिसे कभी पूरा नहीं किया जा सकता. लोभ व्यक्ति के मन को विकृत कर देता है और उसकी बुद्धि को नष्ट कर डिप्रेशन मे ला देता है.

इच्छा व्यक्ति को सांसारिक सुखों की ओर खींचती है,. लालसा एक प्रबल इच्छा है जो व्यक्ति को कुछ प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है, चाहे वह किसी भी कीमत पर हो. आसक्ति किसी व्यक्ति, वस्तु या विचार के प्रति गहरा लगाव है, आसक्ति व्यक्ति के मन को विकृत करते हैं और उसे पाप करने के लिए विवश कर देते हैं. इन वृत्तियों को दूर करके व्यक्ति पापों से मुक्त हो सकता है.

जगतगुरु श्री राजेंद्रनगर महाराज ने आगे कहा कि

एकमात्र परमात्मा ही है जो हर समय हर घड़ी आपका साथ देता है। हरि को जानने की इच्छा जागृत होने पर परमात्मा से प्रीत होती

हमारी इच्छाएं ही सारे पापों की जड़ हैं, इसलिए इन इच्छाओं को ही छोड़ दें। दुनिया की सारी बाधाएं दूर हो जाएंगी। यह संदेश वृंदावन विहार मथुरा में आयोजित श्रीमद भागवत कथा में जगतगुरु राजेंद्र दास जी महाराज ने दिया। श्री राजेंद्र दास महाराज ने कहा कि बुरे समय में कोई काम नहीं आता। एकमात्र परमात्मा ही है जो हर समय हर घड़ी आपका साथ देता है। जब हरि को जानने की इच्छा मन में जागृत होती है तब धीरे-धीरे उस परमात्मा से प्रीति होने लगती है, क्योंकि ईश्वर को जाने बिना आपको उससे प्रेम नहीं हो सकता।

हम किसी के गुणगान का श्रवण करते हैं या उसके स्वभाव को जानने की कोशिश करते हैं। जब उसका स्वभाव अच्छा लगता है तो उससे प्रेम होता है। संसार का व्यवहार भी विचित्र सा है यहां सब मतलब पर टिके हुए हैं। चाहे व्यवहार किसी से भी जोड़ लीजिए, परंतु शुरुआत में तो बातें बड़ी लंबी-लंबी कर देते हैं, लेकिन जब बारी आती है तो सब किनारे हो जाते हैं।

यहां हजार साल पुराना शिव मंदिर मे आयोजित कथा में बताया कि शुकदेव जी महाराज परीक्षित से कहते हैं कि राजन, जो इस कथा को सुनता है उसे भगवान के रसमय स्वरूप का दर्शन होता है। उसके अंदर से काम हटकर श्याम के प्रति प्रेम जाग्रत होता हैं। जब भगवान प्रकट हुए तो गोपियों ने भगवान से तीन प्रकार के प्राणियों के विषय में पूछा। एक व्यक्ति वो है, जो प्रेम करने वाले से प्रेम करता है। दूसरा व्यक्ति वो है जो सबसे प्रेम करता है, चाहे उससे कोई करे या न करे। तीसरे प्रकार का प्राणी तो प्रेम करने वाले से कोई संबंध नहीं रखता और न करने वाले से तो कोई संबंध होता ही नहीं।

महाराज ने कथा में बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों से कहा कि जो प्रेम करने वाले के लिए प्रेम करता है वहां प्रेम नही हैं वहां स्वार्थ झलकता है। केवल व्यापार है वहां। आपने किसी को प्रेम किया और आपने उसे प्रेम किया। ये बस स्वार्थ है।

दूसरे प्रकार का प्रेम जो माता-पिता, गुरुजन का है। संतान को भले ही अपने माता-पिता, गुरुदेव के प्रति प्रेम हो या न हो, लेकिन माता-पिता और गुरु के मन में पुत्र के प्रति हमेशा कल्याण की भावना बनी रहती है। तीसरे प्रकार के व्यक्ति वे होते हैं जो किसी से प्रेम नही करते। इस दौरान श्रीकृष्ण और रुक्मिणी विवाह धूमधाम से मनाया गया। विवाह का मंचन देखकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए, बडी संख्या मे महिला-पुरुष श्रोतागण उपस्थित थे.

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