आगामी 4 राज्यों में विधान सभा चुनाव के लिए रणनीति को लेकर बढी उलझन
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
नई दिल्ली। इस समय विपक्षी के दबाव में आने के बजाय पार्टी को पूर्व की तरह अपना आक्रामक अभियान ही जारी रखना चाहिए. इस रणनीति से नुकसान होने की भी आशंका है, क्योंकि विपक्षी इंडिया गठबंधन के दलों में विरोधाभास के बाबजूद BJP विरोधी सुर एक जैसे हैं.
भाजपा ने आगामी 4 राज्यों महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव के लिए अपने प्रभारी काफी पहले तैनात कर दिए थे. इन नेताओं ने राज्यों में शुरुआती दौर की बैठक भी की है. सूत्रों के अनुसार, चुनाव प्रभारियों की शुरुआती रिपोर्ट बहुत अच्छी नहीं है. सभी राज्यों में संगठन को लेकर दिक्कतें बढ़ी हुई है. ऐसे में विपक्षी चुनौती का सामना करना काफी मुश्किलों भरा होगा. यही वजह है कि पार्टी नेतृत्व इस समय संगठनात्मक समस्याओं को सुलझाने में जुटा हुआ है ताकि चुनाव अभियान को गति दी जा सके.
पार्टी के सामने एक बड़ा मुद्दा चुनाव अभियान भी है. लोकसभा चुनाव में और उसके पहले के विधानसभा चुनाव में BJP ने विपक्ष के खिलाफ बेहद हमलावर तरीके से आक्रामक अभियान चलाया था. इसका उसे फायदा भी हुआ था, लेकिन कई राज्यों में लोकसभा में उसे इसका नुकसान भी उठाना पड़ा है. खासकर जहां संगठन में नाराजगी थी. झारखंड और महाराष्ट्र में भी संगठन में कुछ समस्याएं रही हैं.
लोकसभा चुनाव के झटके के बाद BJP की आगामी 4 विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति को लेकर उलझनें बढ़ गई है. इस समय विपक्षी के दबाव में आने के बजाय पार्टी को पूर्व की तरह अपना आक्रामक अभियान ही जारी रखना चाहिए. इस रणनीति से नुकसान होने की भी आशंका है, क्योंकि विपक्षी इंडिया गठबंधन के दलों में विरोधाभास के बाबजूद BJP विरोधी सुर एक जैसे हैं.
भाजपा ने आगामी 4 राज्यों महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव के लिए अपने प्रभारी काफी पहले तैनात कर दिए थे. इन नेताओं ने राज्यों में शुरुआती दौर की बैठक भी की है. सूत्रों के अनुसार, चुनाव प्रभारियों की शुरुआती रिपोर्ट बहुत अच्छी नहीं है. सभी राज्यों में संगठन को लेकर दिक्कतें बढ़ी हुई है. सामना करना काफी
पार्टी के सामने एक बड़ा मुद्दा चुनाव अभियान भी है. लोकसभा चुनाव में और उसके पहले के विधानसभा चुनाव में BJP ने विपक्ष के खिलाफ बेहद हमलावर तरीके से आक्रामक अभियान चलाया था. इसका उसे फायदा भी हुआ था, लेकिन कई राज्यों में लोकसभा में उसे इसका नुकसान भी उठाना पड़ा है. खासकर जहां संगठन में नाराजगी थी. झारखंड और महाराष्ट्र में भी संगठन में कुछ समस्याएं रही हैं.