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गांजा तस्करी का जंक्शन बना ओडिशा का सागर जिला

गांजा तस्करी का जंक्शन बना ओडिशा का सागर जिला

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

 

ओडीशा का सागर जिला गांजा तस्करी का जंक्शन बन गया है।यहां अवैध रूप से खेतों और जंगल झाड़ियों में बेरोकटोक गांजा की पैदावार की जा रही है. जो कि रेल और सड़क मार्ग दोनों रूट से नशे की खेप ओडिशा से लाकर सागर के रास्ते देश के विभिन्न महानगरों तक पहुंच रही है। थोक तस्करी के साथ जिले के अंदर यह पुड़ियों में बिक रहा है। पुड़ियों में 10 लोगों के एक डोज के बराबर मात्रा रखी जाती है। पहले गांजा बड़े-बुजुर्गों की चिलम तक सीमित था, लेकिन अब इस नशे का एक नया और चौंकाने वाला ट्रेंड सामने आया है। स्कूल-कॉलेज के छात्र और युवा इसे विशेष तरह के पेपर रोल में रखकर कश लगा रहे हैं।

चिलम के जरिए नशा करने पर पकड़े जाने का डर रहता है। इससे बचने युवा चाय-पान की गुमटियों पर बिक रहे पेपर रोल में रखकर सिगरेट की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। नशे के बदलते ट्रेंड से अब यह भेद कर पाना मुश्किल हो गया है कि छात्र और युवा सिगरेट में गांजा पी रहे हैं.

इस संबंध में पुलिस अधीक्षक विकास शाहवाल का कहना है कि गांजा तस्करी करने वालों पर पुलिस की नजर है। हर जगह पर हमारे मुखबिर सक्रिय हैं। हाल ही में बड़ी कार्रवाई की गई थी। चाय-पान की गुमटियों पर बिक रही गांजा पीने संबंधी सामग्री के संबंध में जानकारी नहीं है। नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। मैं पता कराता हूं।

मादक पदार्थ और इसके उपयोग की सामग्री बेचने वालों पर कोटपा एक्ट 2003 के नियमों के तहत कार्रवाई करते हुए इस पर अंकुश लगाया जा सकता है। एक्ट की धारा 4 के तहत सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान निषेध है। 200 रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। नशे की सामग्री पेपर रोल व फाइल पेपर के नाम से गुमटियों पर बिक रही है। चिंता की बात यह है कि छात्र भी इससे नशा कर रहे हैं। इंदौर में इस तरह की सामग्री बेचने पर सख्ती से रोक लगाई गई है।

एनसीबी और पुलिस की बड़ी कार्रवाई की जा रही है.

2022 में ओडिशा के सोनपुर से दो गाड़ियों में सागर लाई जा रही गांजे की खेप नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो इंदौर (एनसीबी) ने सीहोर जिले में पकड़ी थी। 883 किलो गांजा जब्त किया था।

2021 में छत्तीसगढ़ के रास्ते ओडिशा से सागर में खपाने लाया जा रहा गांजा मोतीनगर पुलिस ने पकड़ा था। दो कारों से 75 किग्रा गांजा जब्त किया था। मामले में सागर के 2 तस्करों समेत 6 लोगों को गिरफ्तार किया था।

मार्च 2024 में ओडिशा से सागर लाया जा रहा 1 करोड़ रुपए कीमत का 655 किलोग्राम गांजा जब्त किया था। एनसीबी की टीम को गांजा बंडा थाना क्षेत्र के सौंरई गांव में एक ट्रक से पोहे की बोरियों के बीच मिला था।

महाराजपुर व सुरखी पुलिस ने जुलाई 2024 में जगदलपुर से सागर लाया जा रहा गांजा पकड़ा था। दो कारों में चार आरोपियों से 10 लाख रुपए कीमत का 70 किलोग्राम गांजा जब्त किया था।

अगस्त 2024 को एनसीबी ने एक ट्रक से 51 लाख रुपए कीमत का 170 किलोग्राम गांजा जब्त किया। गांजा महाराष्ट्र के रास्ते होते हुए सागर पहुंचा था। मछलियों को चारे के बीच गांजा छिपाकर ले जाया जा रहा था।

100 रुपए की पुड़िया में गांजा

 

संजय ड्राइव रोड के पार्क में 15 साल का छात्र और उसका एक साथी पेपर रोल के जरिए गांजे का नशा करते मिले। जब पूछा कि गांजा पी रहे हो। दोनों सहम गए। बोले कि यह गांजा नहीं है सिगरेट है। दोनों को भरोसे में लेकर बात की तो सबकुछ सामने आ गया। किशोर ने बताया कि मकरोनिया से गांजे की पुड़िया मंगाई थी। इसके पहले रेलवे स्टेशन के पास से खरीदा था। बेचने वाले अपनी पहचान नहीं बताते। गांजे की पुड़िया 50 रुपए से 100 रुपए तक में मिल जाती है। 100 रुपए की पुड़िया 5 लोगो के लिए पर्याप्त है।

मकरोनिया, सिविल लाइन, गोपालगंज, तिली, कटरा, सदर, भगवानगंज, बड़ा बाजार, मेडिकल कॉलेज के आसपास की गुमटियों से 10-15 रुपए में बेरोकटोक पेपर रोल बिक रहे हैं। यह दो तरह से बिकता है एक तैयार रोल दूसरा तीन पेपर में बिकता है। तैयार रोल 5 रुपए महंगा है। पेपर रोल बेचने वाले दुकानदारों से बात की तो बोले-15 से 20 साल के उम्र के लड़के यह पेपर रोल खरीदने आते हैं। सिगरेट की तरह हम यह पेपर रोल भी बेच रहे हैं। कौन क्या उपयोग कर रहा हैं इससे हमें क्या करना। हम तो अपनी रोजी रोटी चला रहे हैं।

ओडिशा से सरायपाली, खापरी, गनियानी, अमरकंटक, गाड़ासरई, डिंडोरी, चंदिया, कटनी, दमोह के रास्ते सागर तक गांजा पहुंचता है। दूसरा ओडिशा तरफ से आने वाली ट्रेन के जरिए चोरी छिपे गांजा स्टेशन या फिर आउटर पर उतरता है।

ओडिशा से एमपी, यूपी तक पहुंचता है गांजा तस्करों के लिए गोल्डन रूट बना रायगढ़

बुधवार की सुबह साढ़े 9 बजे सरिया के कटंगपाली में पुलिस ने तस्करों से 145 किलो गांजा जब्त किया। दो साल में रायगढ़ की पुलिस ने ओडिशा बॉर्डर के नजदीक 48 बार भारी मात्रा में गांजा बरामद किया है। पड़ोसी राज्य ओडिशा से सड़क व रेल के रास्ते मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश तक गांजे की सप्लाई होती है। तस्करों के लिए रायगढ़ जिला गोल्डन रूट बना हुआ है। ओडिशा के बरगढ़ जिले के एसपी मुकेश कुमार भामू मानते हैं कि ओडिशा में बड़े पैमाने पर गांजे की अवैध खेती होती है।

सरिया पुलिस को सूचना मिली थी कि एक बोलेरो में गांजे की खेप लाई जा रही है। सूचना पर पुलिस ने कटंगपाली के पास नाकेबंदी कर ओडिशा मार्ग से आई बोलेरो क्रमांक सीजी 10 8479 को रोककर पोस्ट पर लगी डायल 112 की गाड़ी को ठोकर मारकर भागने लगा। पुलिस ने आगे बोंदा गांव के ग्रामीणों को रास्ते को पत्थरों से जाम करने के लिए कहा। ग्रामीणों ने रास्ते में बड़े-बड़े पत्थर रख दिए। तेज रफ्तार बोलेरो जाकर पत्थर से टकराई और ईंजन के नीचे चेंबर टूट गया, बोलेरो वहीं रुक गई। इसके बाद पुलिस पहुंची और दो तस्करों को गिरफ्तार किया।

आरोपी गांजे को ओडिशा के जैपुर से मध्यप्रदेश के अनूपपुर लेकर जा रहा था। जब्त माल की कीमत 7 लाख 25 हजार रुपए पुलिस ने बताई है। हालांकि मार्केट में चल रहे दाम के अनुसार इसकी कीमत 29 लाख रुपए है। पकड़े गए आरोपियों का नाम भानुप्रताप उर्फ आकाश राजपूत 20 साल बिलासपुर, संदीप उर्फ रोहित 25 साल निवासी अमलई मध्यप्रदेश हैं। दोनों आरोपी को गिरफ्तार कर पूछताछ की जा रही है।

ओडिशा के पुलिस अफसर कहते हैं कि वहां मलकानगिरी, कोरापुट, जैपुर जैसे इलाकों में गांजे की खेती होती है। ओडिशा-छत्तीसगढ़ के बॉर्डर वाले इलाकों और हावड़ा-मंुबई रूट से करोड़ों रुपए के गांजे की तस्करी होती है। पांच दिन पहले ही इंटर स्टेट बार्डर मीटिंग में सरहदी क्षेत्रों में तस्करी रोकने को लेकर ओडिशा और जिले के पुलिस प्रशासन के बीच बैठक हुई थी। बैठक के चार दिन बाद बुधवार को सरिया पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर डेढ़ क्विंटल गांजा पकड़ा है।

 

इन रास्तों का इस्तेमाल करते हैं तस्कर- रायगढ़ के रास्ते ओडिशा में घुसते हैं। ओडिशा से खरीदी के बाद तस्कर छत्तीसगढ़ से होते हुए एमपी, यूपी और झारखंड में जाते हैं। जिले से लैलूंगा, तमनार, पुसौर, बरमकेला, सारंगढ़ और सरिया के इलाकों से घुस सकते हैं। इन गांवों से पुलिस ऐसे छोटे रास्ते हैं। जिनसे तस्कर आसानी से घुस जाते हैं।

एक क्विंटल में 20 लाख तक कमाई इसलिए रिस्क-जिला पुलिस के अनुसार गांजे की प्रति किलो की कीमत लगभग 5 हजार रुपए है। जब भास्कर ने रायगढ़ में कुछ जगहों में स्टिंग कर गांजे के वर्तमान दर के बारे में पता लगाया। छोटे तस्करों से पता चला कि एक तोला यानि 10 ग्राम के लिए 200 रुपए लेते है। यानि एक किलो का मूल्य 20 हजार रुपए हैं। यही ओडिशा में एक किलो गांजा 2 से 4 हजार रुपए में मिल रहा है। यही कारण है कि तस्कर 2 हजार किलोमीटर दूर से भी यहां गांजा खरीदने के लिए आ जाते हैं। पकड़े जाने पर वाहन के साथ माल जब्त होता है और तस्कर को 10 साल तक की सजा हो सकती है।

हावड़ा मुंबई रूट पर ट्रेन के जरिये और ओडिशा बॉर्डर से सड़क के रास्ते होती है गांजा और शराब की तस्करी

गांजा, तस्कर और वाहन के साथ सरिया पुलिस।

ओडिशा में गांजे की खेती कई जिलों में होती है। हमारी कार्रवाई भी लगातार जारी रहती है। जैसे छत्तीसगढ़ में कफ सीरप बिकना सामान्य बात है। उसी तरह ओडिशा में अवैध होने के बाद भी गांजे की खेती आम है। मुकेश कुमार भामू, एसपी बरगढ़

2017 से अब तक रायगढ़ पुलिस 50 से ज्यादा कार्रवाई हो चुकी है। 2018 में ही पुलिस ने 34 एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई करते हुए लगभग 835 किलो गांजा पकड़ा है। इसमें कई केस ऐसे है जिसमें पुलिस ने माल तो पकड़ लिया मगर आरोपी फरार हो गए। सारंगढ़ में यूपी की गाड़ी पकड़ी गई थी।

ओडिशा के इन हिस्सों में हो रही गांजे की खेती

बरगढ़ एसपी मुकेश कुमार भामू ने बताया ओडिशा में सैकड़ों जगह हैं जहां गांजे की पैदाइश होती है। भास्कर की टीम को जानकारी मिली कि संबलपुर जिले के रेड़ाखोल, पथरिया, टोंडावीरा के जंगलों में गांजे की खेती हो रही है। इन जगहों यहां के वनवासी गांजे की खेती करते है और गांजे के तस्कर वहां पहुंचकर कम दाम में गांजा खरीदकर दूसरे राज्यों में बेचने के लिए ले जाते हैं।

ओडिशा-छत्तीसगढ़ के बाॅर्डरों में कार्रवाई इसी तरह जारी रहेगी। बार्डर सिक्यूरिटी को मजबूत करने के लिए बैठक भी लगातार हो रही है। मिलकर कार्रवाई करेंगे।

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