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नियमित अधिकतम् बिजली उत्पादन के लिए कोल क्रेशर प्लांट का योगदान

नियमित अधिकतम् बिजली उत्पादन के लिए कोल क्रेशर प्लांट का योगदान

टेकचंद्र शास्त्री 9822550230

 

मुंबई। महाराष्ट्र राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड अंतर्गत महाराष्ट्र राज्य के समस्त थर्मल पॉवर स्टेशनों में रिकार्ड बिजली उत्पादन के लिए कोयला क्रशर मशीन का बडा ही योगदान माना गया है. दरअसल मे कोल क्रेशर मशीन में मोटे और बडे कोयला के मजबूत कडे ढेलों को छोटे-छोटे टुकड़ों में पीसना या तोड़ना होता है, ताकि कोलमिल में इसका महीन पावडर आसानी से किया जा सके। बड़ा कोयला पूरी तरह से नहीं जल पाता, जिससे ऊर्जा बर्बाद होती है और प्रदूषण बढ़ता है। कोयले को बारीक चूरी करने से उसका सतही क्षेत्रफल बढ़ जाता है, जिससे वह अधिक ऊष्मा उत्पन्न करता है।

कोल क्रशिंग की प्रक्रिया को कोल हैंडलिंग प्लांट (CHP) में अंजाम दिया जाता है, और इसमें कई चरण शामिल होते हैं.जैसे कि कोराडी ताप विधुत केंद्र के मुख्य अभियंता श्री विलास जी मोटघरे के कुशल नेतृत्व मे यहां क्रेशर प्लांट मे कोयला को बारीक करने की प्रक्रिया शुरु है.यस सबकुछ महानिर्मिति कंपनी के संचालक संचलन श्री संजय मारुडकर के कुशल मार्गदर्शन मे सफल हो रहा है.

विधुत केंद्र के तकनीशियनों के अनुसार थर्मल पावर प्लांट में कोयला अक्सर मालगाड़ियों के माध्यम से आता है।जहां कोयला को एक हॉपर में डाला जाता है, जो कोयले को आगे के प्रसंस्करण के लिए भेजा जाता है।

तकनीशियन के अनुसार

कोयले को पहले रोलर स्क्रीन जैसे उपकरणों से गुजारा जाता है, जो इसे दो श्रेणियों में अलग करते हैं.महीन कोयला: पहले से ही छोटे आकार का कोयला होता है, जिसे सीधे अगले चरण में भेज दिया जाता है। कोयला के बड़े टुकड़ों वाले कोयले को क्रशर मशीन में भेजा जाता है।

क्रशर मशीन में कोयले को या तो प्रभाव (इम्पैक्ट) या संपीड़न (कम्प्रेशन) के संयोजन से कुचला जाता है।

थर्मल पावर प्लांट में उपयोग होने वाले कुछ आम क्रशर हैं. इसमें कई रिंग होते हैं, जो रोटर के साथ घूमते हैं। जब कोयला मशीन में गिरता है, तो ये रिंग घूमकर कोयले पर प्रहार करते हैं और उसे तोड़ देते हैं। यह क्रेशर मशीन हथौड़ों का काम करता है जो घूमते हुए कोयले पर चोट करते हैं और उसे तोड़ते हैं।

क्रशिंग की प्रक्रिया कोयले के आकार को लगभग 20 मिमी तक कम कर देती है।

क्रशिंग प्रक्रिया के दौरान, चुंबकीय पृथक्करण का उपयोग किसी भी लोहे के टुकड़े या धातु को हटाने के लिए किया जाता है जो कोयले के साथ मिल गया हो। इससे बाद में होने वाले उपकरणों के नुकसान से बचा जा सकता है।

क्रशर से निकलने के बाद, कोयले को एक पल्वराइज़र में भेजा जाता है। यह एक और भी अधिक बारीक पीसने वाली मशीन होती है, जो कोयले को बहुत महीन पाउडर में बदल देती है, जिसे ‘पल्वराइज़्ड कोल’ कहते हैं।

पल्वराइज़र में गरम हवा भी मिलाई जाती है, जो कोयले को सुखाती है।

पल्वराइज़्ड कोयले को फिर बॉयलर में ब्लोअर पंखों की मदद से पहुँचाया जाता है, जहाँ उसे जलाया जाता है।

इससे पहले, यदि बॉयलर तुरंत उपयोग में नहीं है, तो कुचले हुए कोयले को कन्वेयर बेल्ट के माध्यम से स्टॉकयार्ड में संग्रहीत किया जा सकता है।

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