नई दिल्ली। वर्शिप एक्ट खत्म करने को सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका। 14 नवंबर को होगी याचिका पर अगली सुनवाई। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर इस एक्ट को खत्म करने की मांग की और जिसमें केंद्र सरकार को प्रतिवादी बनाया गया है।
श्रीकृष्ण जन्मस्थली मामले में वादी अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अनिल त्रिपाठी और कोषाध्यक्ष दिनेश शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में वर्शिप एक्ट-1991 को चुनौती दी है। इस मामले में अगली सुनवाअब 14 नवंबर को होगी।
अनिल त्रिपाठी और दिनेश शर्मा ने मथुरा के सिविल जज सीनियर डिवीजन के न्यायालय में अलग-अलग वाद दायर कर श्रीकृष्ण जन्मस्थल परिसर से शाही मस्जिद हटाने की मांग की थी। इस मामले में शाही मस्जिद ईदगाह ने वर्शिप एक्ट-1991 के तहत वाद को सुनवाई के अयोग्य बताया है। इसे लेकर दोनों ने एक वाद बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में दायर किया। इसमें कहा है कि वर्शिप एक्ट-1991 को खत्म किया जाए। जिसमे अखिल भारत हिन्दू महासभा का अभिकथन है कि मुगल आक्रांताओं ने हमारे मंदिरों पर आक्रमण कर जबरन कब्जा कर लिया था। जब जमीन हमारी है, तो इन पर वर्शिप एक्ट कैसे लागू हो सकता है।
अनिल त्रिपाठी ने कहा कि अयोध्या के राम मंदिर को वर्शिप एक्ट से बाहर रखा गया है, तो इससे श्रीकृष्ण जन्मस्थान को भी इस एक्ट से बाहर रखा जाए। गुरुवार को अनिल त्रिपाठी और दिनेश शर्मा ने पत्रकार वार्ता में याचिका दायर करने की जानकारी दी। और कहा कि इस कानून के समाप्त होने से देश के तीन हजार मंदिरों पर आसानी से हिंदुओं का अधिकार हो जाएगा। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 31 अक्टूबर तक केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 14 नवंबर को होगी।
क्या है यह वर्शिप एक्ट?
तत्कालीन सरकार ने सुनियोजित साजिश के तहत प्लेस आफ वर्शिप एक्ट 1991 में लागू किया गया था । इसके तहत 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता है। यदि कोई इस एक्ट का उल्लंघन करने का प्रयास करता है। उसे जुर्माना और तीन वर्ष की सजा हो सकती है।