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दुख और कठिनाईयों से छुटकारा पाने के लिए धर्म शास्त्रों का अध्ययन जरुरी है!

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कभी-कभी अज्ञानी लोग ऐसी बातें कह देते हैं, जो कि संभव नहीं होती। “वे बातें संभव नहीं होती, इसीलिए तो वे अज्ञानी कहलाते हैं।”
एक दिन एक व्यक्ति ने मुझसे कहा, कि “गुरु जी! मुझे ऐसा आशीर्वाद दीजिए, कि मेरे जीवन में कहीं दुख/कठिनाई आए ही नहीं।”
तो मैंने उसे उत्तर दिया, कि “धर्म शास्त्रों में लिखा है, ऋषियों ने भी ऐसा बताया है, कि “जो भी व्यक्ति संसार में जन्म लेगा, उसे दुख/कठिनाई तो आएगी ही। यह तो असंभव है, कि जन्म लेने के बाद जीवन में दुख/कठिनाई आए ही नहीं।” हां इतना हो सकता है, कि “यदि कोई व्यक्ति धर्म शास्त्रों का अध्ययन, पठन पाठम करे, ऋषियों के ग्रंथों को पढ़े, तो उसकी बुद्धि का विकास बहुत अधिक हो सकता है। और उस बुद्धि की सहायता से, ईश्वर की कृपा से और अपने पुरुषार्थ से वह आने वाले दुखों से बहुत सीमा तक बच सकता है। वह कम से कम दुखी होगा, और अधिक से अधिक सुखी रहेगा। संसार में जन्म लेकर इतना ही संभव है।”
“यदि आप दुखों से 100 प्रतिशत बचना चाहते हों, तो उसके लिए मोक्ष प्राप्त करें। क्योंकि वही एक ऐसी स्थिति है, जहां व्यक्ति 100 प्रतिशत दुखों से बच सकता है। इसलिए मोक्ष प्राप्ति के लिए भी आप प्रयत्न करते रहें।” और “जब तक मोक्ष न हो जाए, तब तक संसार में बुद्धिमत्तापूर्वक जीएं। दूरदर्शिता से जिएं। ईश्वर की आज्ञा का पालन करें। वेदों के अनुसार आचरण करें। ऐसा करने से आप अपना जीवन बहुत कुछ सुखपूर्वक जी सकेंगे, और दुखों से बहुत सीमा तक बच सकेंगे।”
आपके जीवन में जो थोड़े बहुत दुख आएंगे, उनको सहन करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करें। कि “हे ईश्वर! आप हमें विद्या बल बुद्धि शक्ति दीजिए, जिससे कि “हम संसार में रहते हुए कम से कम दुखी हों, और अधिक से अधिक सुखी हों। जो जो भी दुख हमारे जीवन में आएं, उनको सहन करने की शक्ति हमें दीजिए, जिससे हमारा जीवन आसानी से पूरा हो जाए, हम अपने जीवन को सफल बना सकें। तथा धीरे-धीरे पुरुषार्थ करके हम मोक्ष को भी प्राप्त कर लें।”

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प्रस्तुति:- “स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक, निदेशक – दर्शन योग महाविद्यालय, रोजड़, गुजरात.”

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