वाशिंगटन। भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र अमेरिका के पहले स्टेट विजिट पर बुधवार को यूएस पहुंचे. उनकी यह यात्रा दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत करने का काम करेगी. लेकिन इसी बीच अमेरिका के 75 सांसदों ने राष्ट्रपति बाइडेन को एक पत्र लिखा है. सांसदों का कहना है कि बाइडेन को पीएम मोदी से मुलाकात के दौरान चिंता के अहम विषयों पर बात करनी चाहिए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा बुधवार से शुरू हो चुकी है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनकी पत्नी अमेरिका की फर्स्ट लेडी जिल बाइडेन ने खास तौर पर मोदी को निमंत्रण भेजकर उन्हें स्टेट विजिट पर बुलाया है. पीएम मोदी के अमेरिका पहुंचने से पहले 75 यूएस सांसदों और कांग्रेस प्रतिनिधियों ने राष्ट्रपति बाइडेन को पत्र लिखकर कहा कि वो भारत-अमेरिका के संबंधों को मजबूत करने के लिए काम करें लेकिन साथ ही पीएम मोदी से मुलाकात के दौरान चिंता के कुछ विषयों पर भी चर्चा करें.
मंगलवार दोपहर लिखे पत्र में सांसदों ने अमेरिकी विदेश विभाग और सिविल सोसाइटी की रिपोर्टों का हवाला देते हुए राष्ट्रपति से कहा कि वो पीएम मोदी से बातचीत में भारत में ‘पॉलिटिकल स्पेस के कम होने, धार्मिक असहिष्णुता के बढ़ने, सिविल सोसाइटी संगठनों और पत्रकारों को निशाना बनाने, प्रेस और इंटरनेट पर बढ़ते प्रतिबंधों’ का मुद्दा उठाएं
भारत सरकार ने अपने मानवाधिकारों के रिकॉर्ड की आलोचना को लगातार खारिज किया है. भारत सरकार का कहना है कि ये रिपोर्ट्स गलत सूचना पर आधारित होती है
सांसदों ने अपने पत्र में इस बात का उल्लेख किया कि भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक, आर्थिक, वाणिज्यिक और रक्षा संबंध है. उन्होंने लिखा कि भारत और अमेरिका दोस्त हैं और दोस्तों को ईमानदार और खुलकर बातचीत करनी चाहिए.
उन्होंने बाइडेन को संबोधित अपने पत्र में लिखा, ‘इसलिए हम आपसे सम्मानपूर्वक अनुरोध करते हैं कि भारत और अमेरिका के बीच साझा हितों के कई विषयों के अलावा, आप सीधे प्रधानमंत्री मोदी के साथ चिंता के विषयों को भी उठाएं.’
इस पत्र को लिखने वाले सांसदों का नेतृत्व सीनेटर क्रिस वैन होलेन और प्रमिला जयपाल ने किया. होलेन भारत की वर्तमान राजनीति के आलोचक रहे हैं और उन्होंने इसी महीने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए अमेरिका में आयोजित डिनर में हिस्सा लिया था. वहीं, प्रमिला जयपाल भारतीय मूल की कांग्रेस के प्रोग्रेसिव कॉकस की अध्यक्ष हैं.
अमेरिकी संसद के 14 फीसद सांसदों ने पत्र पर किया हस्ताक्षर किए। अमेरिका के जाने-माने सांसद बर्नी सैंडर्स, एलिजाबेथ वारेन और टिम कैन सहित अठारह सीनेटरों और प्रतिनिधि सभा के 57 सांसदों ने पत्र पर हस्ताक्षर किया. अमेरिकी संसद के दोनों सदनों सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में कुल 535 सांसद हैं यानी अमेरिकी संसद के 14 फीसद सांसदों ने पत्र पर हस्ताक्षर किया है.
अमेरिकी सांसदों की तरफ से यह पत्र पीएम मोदी के अमेरिका संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करने के ठीक 48 घंटे पहले सामने आया. पीएम मोदी गुरुवार को अमेरिका कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे. इसी के साथ ही पीएम अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को दो बार संबोधित करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बन जाएंगे.
‘भारत-अमेरिका एक अहम भागीदार’
सांसदों ने अपने पत्र की शुरुआत सकारात्मक तरीके से करते हुए लिखा कि दोनों लोकतंत्रों ने सामरिक हितों और साझा मूल्यों के आधार पर एक रिश्ता बनाया है. भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता के लिए अमेरिका का एक महत्वपू्र्ण भागीदार है और अमेरिका भारत के द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के लिए समर्थन देता है. हम भारत के साथ अपने आर्थिक संबंधों और प्रवासी भारतीयों की प्रशंसा करते हैं.
पत्र में सांसदों ने कहा कि अमेरिका में पीएम मोदी का स्वागत है साथ ही उन्होंने कहा कि साझा हितों और मूल्यों के आधार पर दोनों देशों को लोगों की बीच घनिष्ठ संबंध होने चाहिए.
पत्र में सांसदों ने बाइडेन से कहा, ‘हम किसी विशेष भारतीय नेता या राजनीतिक दल का समर्थन नहीं करते, यह भारत के लोगों का फैसला है. लेकिन हम उन अहम सिद्धांतों के समर्थन में खड़े हैं जो अमेरिकी विदेश नीति का एक प्रमुख हिस्सा होना चाहिए. हम चाहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी बैठक के दौरान आप दोनों देशों के बीच एक सफल, मजबूत और दीर्घकालिक संबंध के लिए सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करें.’
अमेरिका की दो महिला सांसदों इल्हान उमर और रशीदा तलीब ने अमेरिकी संसद में पीएम मोदी के संबोधन का बहिष्कार किया है. पूर्व में भी ये सांसद मोदी की आलोचना करती रही हैं. दोनों ने ही ट्विटर के जरिए यह घोषणा की है कि वो पीएम मोदी के संबोधन के दौरान संसद में मौजूद नहीं रहेंगी. इल्हान और रशीदा का कहना है कि उन्होंने भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड को देखते हुए यह फैसला लिया