आई टी एक्ट 1885 की धारा 5 (2) तहत काल रेकार्ड करना अपराध
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री:सह-संपादक की रिपोर्ट
नई दिल्ली। क्या काॅल रिकाॅर्डिंग अपराध है?,क्या कोर्ट में ऑडियो रिकॉर्डिंग मान्य है, कोर्ट में इलेक्ट्रॉनिक सबूत मान्य है या नहीं, आईटी कानून के तहत कितनी एजेंसी के पास टेलीफोन बातचीत टाइप करने का अधिकार है,परंतु कॉल रिकॉर्ड करना कानूनन अपराध है ||
इन दिनों अधिकांश लोगों के हाथ में स्मार्ट फोन हैं। इनमें से अधिकांश में काॅल रिकाॅर्डिंग का इन बिल्ट फीचर आता है। बहुत सारे लोग इस फीचर का बेजा इस्तेमाल करते देखे जाते हैं। वे किसी व्यक्ति की काॅल रिकाॅर्डिंग सार्वजनिक कर देते हैं। उसे दूसरों को सुनाते हैं।
कई बार फोन पर कहे गए विपरीत वाक्यों से उसकी इमेज तो खराब होती है तो कभी वह व्यक्ति सार्वजनिक रूप से उपहास का पात्र बनता है। साफ है कि यह सब संबंधित व्यक्ति की अनुमति लेकर नहीं किया जाता।क्या ऐसा करना एवं काॅल रिकाॅर्ड करना अपराध है? आज हम आपको इसी विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे। आइए, शुरू करते
इसमें कोई दो-राय नहीं। निश्चित रूप से बगैर अनुमति किसी की काॅल रिकाॅर्डिंग अपराध है। ऐसा करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद- 21 के अंतर्गत दिए गए निजता के मूल अधिकार के उल्लंघन की श्रेणी में आता है।
आपको बता दें कि निजता का अधिकार भारतीय संविधान द्वारा अपने नागरिकों को दिए गए प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता के अधिकार में सम्मिलित है। इस संबंध में पीपुल्स यूनियन फाॅर सिविल लिबर्टीज वर्सेस यूनियन आफ इंडिया के वाद का उदाहरण दिया जा सकता है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने टेलीफोन टेप करने को व्यक्ति के निजता के अधिकार में सीधा हस्तक्षेप करार दिया था।
किन स्थितियों में काॅल रिकाॅर्डिंग अपराध नहीं
कुछ विशेष मामलों में काॅल रिकाॅर्डिंग अपराध नहीं माना गया है। ऐसा उन स्थितियों में है, जहां यदि सार्वजनिक आपात अथवा लोकसुरक्षा के लिए काॅल रिकाॅर्ड किया जाना आवश्यक हो। ऐसी स्थिति में इसे अपराध नहीं माना गया है। किंतु ऐसा करने के लिए सक्षम संस्था की अनुमति आवश्यक है
सरकार को काॅल रिकाॅर्ड का अधिकार
काॅल रिकाॅर्डिंग अपराध है एवं निजता के अधिकार का उल्लंघन है। लेकिन केंद्र एवं राज्य सरकारों के पास कुछ विशेष मामलों में काॅल रिकाॅर्ड का अधिकार है। यह अधिकार उन्हें इंडियन टेलीग्राफ एक्ट -1885 के सेक्शन 5 (2) में प्रदान किया गया है।
इसके तहत यदि किसी सरकारी विभाग मसलन पुलिस अथवा आयकर विभाग आदि को लगता है कि कानून का उल्लंघन हो रहा है। अथवा उन्हें ऐसा लगता है कि जन सुरक्षा एवं राज्य के हित में किसी की बातचीत को गोपनीय तरीके से रिकाॅर्ड करने की आवश्यकता है तो वे ऐसा कर सकते हैं।
कानूनी रूप से काॅल रिकाॅर्डिंग कैसे की जा सकती है? कानूनी तौर पर किसी व्यक्ति की काॅल को सर्विलांस (servillance) पर रखने के दो रास्ते हैं। पहला सक्षम संस्था की अनुमति से मोबाइल माॅनिटरिंग सिस्टम एवं दूसरा कमरे में काॅल रिकाॅर्डिंग के उपकरण लगाकर। पहले आपको मोबाइल माॅनिटरिंग सिस्टम की जानकारी देते हैं।
इसमें मौसम की स्थिति के मुताबिक किसी भी नंबर को डिटेक्ट एवं इंटरसेप्ट किया जा सकता है, जो डिवाइस से दो किलोमीटर की दूरी पर है। इस तरीके से डिवाइस को एक कार में रखा जाता है। जिस इलाके का फोन सर्विलांस पर रखना होता है, इस कार को उस इलाके में घुमाया जाता है।
काॅल डिटेक्ट होने पर खास मोबाइल नंबर डिवाइस की मेमोरी में चला जाता है। इसके पश्चात डिवाइस उस नंबर से की जाने वाली अथवा उस नंबर पर की जाने वाली काॅल का ट्रैक रिकाॅर्ड रखना आरंभ कर देता है। अब बात कमरे में फिक्स उपकरणों की। इसके लिए एक खास कमरे को काॅल रिकाॅर्डिंग के प्रयुक्त किया जाता है।