जानिए शारदीय अश्विन नवरात्रि पर्व में मनोकामना अखंड ज्योत का महत्व और विधान
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री:सह-संपादक की रिपोर्ट,मो•9822550220
वैदिक सनातन धर्म के अनुसार मनोकामना अंखंड ज्योति मे नभमंडल से आध्यात्मिक ज्ञान शक्ति की ऊर्जा का प्रादुर्भाव होता है। माना जाता है कि अखंड ज्योति से घर में खुशहाली आती है और माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और हर मनोकामना पूर्ण होती हैं। ऐसा कहा जाता है कि अकारण नवरात्रि में अखंड ज्योति का बुझना अशुभ माना जाता है।अगर ऐसा हुआ तो क्षमा प्रर्थना और शांतिपाठ करने के पश्चात पुन:ज्योत प्रज्लन करना चाहिए। ज्योति पर निरंतर निगरानी रखें एवं समय-समय पर दीपक में तेल डालते रहना चाहिए और उसे हवा से बचाए रखना चाहिए। नवरात्रि के दिनों में अखंड ज्योत 9 दिन तक जलती है
मां त्रिपुर सुंदरी राजधानी राजेश्वरी अम्बेडकर अम्बालिका ललितांभा दुर्गा जिसके 9 स्वरूपों की नवरात्रि में उपासना की जाती है। 15 अक्टूबर से चैत्रीय नवरात्रि की शुरूआत होने जा रही है। इस दौरान साधक मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की उपासना करते हैं। साथ ही कई साधक 9 दिनों तक व्रत भी रखते हैं। हर साल नवरात्रि पर माता रानी का आगमन विशेष वाहन पर होता है, जिसका महत्व बेहद खास है। नवरात्रि में मां दुर्गा के सामने अखंड ज्योति भी जलाई जाती है। आखिर ये अखंड ज्योति होती क्या है और माता रानी का आगमन इस बार किस सवारी पर हो रहा है इसी के बारे में आज हम बात करेंगे।
शारदीय नवरात्रि का महापर्व आश्विन के महीने में मनाया जाता है। इस साल शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर से शुरू हो रहा है और दशमी यानी दशहरा 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में नवरात्रि का खास महत्व है। इस दौरान लोग माता दुर्गा की विधि-विधान से पूजा-अर्चना और व्रत करते हैं। इस दौरान कई लोग अपने घरों में कलश स्थापना करते हैं। घरों में कलश स्थापना करने के बाद अखंड ज्योति जलाई जाती है। अखंड ज्योति का मतलब होता है ऐसी ज्योति जो खंडित ना हो। माना जाता है कि अखंड ज्योति से घर में खुशहाली आती है और माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और हर मनोकामना पूर्ण होती हैं। ऐसा कहा जाता है कि नवरात्रि में अखंड ज्योति का बुझना अशुभ होता है। समय-समय पर दीपक में तेल डालना होता है और उसे हवा से बचाए रखना होता है। नवरात्रि के दिनों में अखंड ज्योत 9 दिन तक जलती है। इसके बाद इसे ठंडा करके किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर दिया जाता है।
*वहीं अखंड ज्योति जलाने के नियम*
नवरात्रि में अखंड ज्योति प्रज्वलित का पहला नियम यह है कि ज्योति की देखरेख के लिए कोई ना कोई उसके पास जरूर होना चाहिए। साथ ही अखंड ज्योति जलाने से पहले मां की आराधना करनी चाहिए। यही नहीं ज्योति प्रज्जवलित करने के लिए कलश या फिर चौकी का प्रयोग करना चाहिए। और अखंड ज्योति को जलाने से पहले भगवान गणेश, मां दुर्गा की आराधना करनी चाहिए और मां दुर्गा मंत्र ‘ओम जयंती मंगला काली भद्रकाली कृपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते’ का जाप करना चाहिए। अखंड ज्योति को हवा से बचाकर रखना और ध्यान रखना चाहिए कि अखंड ज्योति नौ दिन तक किसी भी हालत में ना बुझे। जैसे ही दीपक में घी या तेल कम हो तुरंत डाल दें। नौ दिन बाद भी दीपक को बुझाएं नहीं चाहिए बल्कि उसे खुद बुझने देंना चाहिए। अगर इस नियम से आप घर में अखंड ज्योत जलाते हैं तो मां का आशीर्वाद प्राप्त होता हैसाथ ही घर में खुशहाली आती है।
*कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त*
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कलश स्थापना हमेशा अभिजीत मुहूर्त और प्रतिपदा तिथि में करना ही शुभ माना गया है। इस बार 15 अक्टूबर को अभिजीत मुहूर्त प्रातः 11:38 मिनट सें शुरू हो रहा है और दोपहर 12:23 मिनट तक रहेगा। इसके बाद 12:24 मिनट से वैधृति योग शुरू हो जाएगा। ऐसे में इस बार शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना के लिए मात्र 45 मिनट का ही शुभ मुहूर्त है।
*आइए जानते हैं इस बार माता रानी की सवारी क्या है।।*
इस बार देवी दुर्गा हाथी पर सवार होकर अपने भक्तों से मिलने आएंगी। देवी भागवत पुराण के मुताबिक, देवी दुर्गा का हाथी पर आगमन अत्यंत शुभ माना जाता है। हाथी वाहन धन-धान्य और सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में इस साल माता रानी अपने साथ ढेरों खुशियां लेकर आ रही हैं। मान्यताओं के अनुसार, जब भी मां दुर्गा हाथी पर सवार होतक धरती पर आती हैं उस साल देश में खूब वर्षा होती है। देश में धन-धान्य और समृद्धि में बढ़ोतरी होती है