Breaking News

कांग्रेस की परेशानियों के बीच BJP की राह मजबूत होती दिखाई दे रही हैं

Advertisements

कांग्रेस की परेशानियों के बीच BJP की राह मजबूत होती दिखाई दे रही हैं

Advertisements

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

Advertisements

नई दिल्ली। ब्राह्मण मतदाताओं का रुख अंचल के ब्राह्मण नेता मनोज पांडेय के साथ बदल सकता है। इस सीट पर सबसे अधिक 26 प्रतिशत दलितों में अधिकांश भाजपा के लाभार्थी वोटबैंक का हिस्सा बन चुके हैं तो 18 प्रतिशत ब्राह्मणों के साथ 11 प्रतिशत क्षत्रिय भी नए समीकरण बनाएंगे। अमेठी संसदीय सीट के अंतर्गत गौरीगंज से तीन बार के सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह भी सपा से बागी हो जाएंगे।

कांग्रेस के लिए पारंपरिक सीटों पर बढ़ी चुनौती

भाजपा के लिए मजबूत हो सकता है वोटों का गणित

रायबरेली संसदीय सीट पर लगभग 34 प्रतिशत दलित मतदाता हैं

 

जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की राजनीति में मंगलवार को हुए पाला बदल के घटनाक्रम की असरकारी गूंज आगामी लोकसभा चुनाव में सुनाई दे सकती है। दरअसल, यह मामला सिर्फ मनोज पांडेय सहित अन्य कुछ सपा विधायकों की पार्टी बदलने भर का नहीं, बल्कि इससे जातीय समीकरणों ने कुछ इस तरह करवट ली है, जिससे अमेठी की राह पर ही अब रायबरेली चलती दिखाई दे रही है।

 

कांग्रेस के सामने ये है चुनौती

इन दोनों सीटों पर ब्राह्मण मतदाताओं का बदला रुख दलित और क्षत्रिय वोटों के साथ भाजपा के पक्ष में ऐसा गणित बना सकता है कि 2019 में अमेठी के अखाड़े में परास्त हो चुकी कांग्रेस के लिए प्रदेश में इकलौती बची पारंपरिक संसदीय सीट रायबरेली पर भी सम्मान बचाए रखना इतना आसान नहीं होगा।

 

जातीय समीकरणों का बदलना

राज्यसभा चुनाव के उत्तर प्रदेश विधान भवन में मंगलवार को हुए मतदान से ठीक पहले मुख्य सचेतक के पद से त्याग पत्र देकर सपा विधायक मनोज पांडेय ने सभी को चौका दिया। इसके बाद पांडेय सहित गौरीगंज विधायक राकेश प्रताप सिंह, अयोध्या से विधायक अभय सिंह और अंबेडकरनगर विधायक राकेश पांडेय उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के साथ दिखाई दिए। इतने से ही स्पष्ट हो गया कि यह विधायक अब पाला बदलकर भाजपा में जा रहे हैं। मगर, इसके साथ ही कांग्रेस के लिए अमेठी की तरह ही रायबरेली की राह पर फिर धुंध छाने लगी है। इसकी प्रमुख वजह है जातीय समीकरणों का बदलना।

 

कांग्रेस का पुराना वोट बैंक

दरअसल, रायबरेली संसदीय सीट पर सर्वाधिक लगभग 34 प्रतिशत दलित मतदाता हैं। इसके बाद 11 प्रतिशत ब्राह्मण तो नौ प्रतिशत क्षत्रिय हैं। यही वर्ग यहां हार-जीत तय करने में सक्षम हैं। चूंकि, ब्राह्मण और दलित कांग्रेस का पुराना वोट बैंक रहा है, इसलिए काफी हद तक यह वर्ग सोनिया गांधी से जुड़ा रहा। 2004 से इस सीट से जीतती रहीं सोनिया को 2019 में जीत तो मिली, लेकिन पिछली विजय की तुलना में अंतर कम हो गया। इसके पीछे की कहानी बताई जाती है कि दलित मतदाता तेजी से मोदी सरकार की नीतियों के सहारे भाजपा की ओर चले गए।

 

भाजपा की मजबूती होती कहानी

क्षत्रिय भी भाजपा के साथ मजबूती से जुड़ा है, जिसमें सेंध लगाते हुए भाजपा ने रायबरेली सदर विधायक अदिति सिंह, कांग्रेस के प्रभावशाली नेता रहे दिनेश सिंह आदि को अपने पाले में खींच लिया। अब बचा ब्राह्मण तो उसके मतों का बिखराव रोकने के लिए ही सपा इस सीट से अपना कोई प्रत्याशी नहीं उतारती थी। सपा के पास क्षेत्र के सबबे प्रभावशाली ब्राह्मण नेताओं में से एक ऊंचाहार विधायक मनोज पांडेय थे।

 

कांग्रेस के लिए चुनौती बढ़ना तय

अब मनोज भाजपा के पाले में आते हैं तो भाजपा का पलड़ा भारी होने के साथ ही कांग्रेस के लिए चुनौती बढ़ना तय है। चर्चा है कि कांग्रेस की ओर से यहां प्रियंका गांधी वाड्रा इस बार मैदान में होंगी। इसी तरह अमेठी की राह कांग्रेस के लिए टेढ़ी तो 2019 के चुनाव में ही हो गई थी, जब भाजपा की स्मृति ईरानी ने पारंपरिक सीट से राहुल गांधी को हरा दिया, लेकिन अब इस राह के और पथरीली होने के आसार हैं।

 

जातीय समीकरणों का इशारा

ब्राह्मण मतदाताओं का रुख यहां भी अंचल के ब्राह्मण नेता मनोज पांडेय के साथ बदल सकता है। इस सीट पर सबसे अधिक 26 प्रतिशत दलितों में अधिकांश भाजपा के लाभार्थी वोटबैंक का हिस्सा बन चुके हैं तो 18 प्रतिशत ब्राह्मणों के साथ 11 प्रतिशत क्षत्रिय भी नए समीकरण बनाएंगे। अमेठी संसदीय सीट के अंतर्गत गौरीगंज से तीन बार के सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह भी सपा से बागी हो चुके हैं। यहां कांग्रेस के सबसे मजबूत आस 20 प्रतिशत मुस्लिम से ही जुड़ती दिखाई दे रही है। यहां की पांच में से तीन विधानसभा सीटों पर पहले से ही भाजपा का कब्जा है

Advertisements

About विश्व भारत

Check Also

नागपुर आगमन पर RSS प्रमुख मोहन भागवत की शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती के साथ विशेष चर्चा

नागपुर आगमन पर RSS प्रमुख मोहन भागवत की शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती के साथ विशेष …

निर्वाचन आयोग पर हेराफेरी का संदेह : मतदान के अंतिम आंकड़े जारी करने में विलंब

इस आम चुनाव के पहले और दूसरे चरण में कम मतदान के आंकड़े आए, तो …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *