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विश्वासघात करने वाले हिन्दू नहीं हो सकते? शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का बयान

विश्वासघात करने वाले हिन्दू नहीं हो सकते? शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का बयान

 

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

 

मुंबई ।ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि वो उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के पद पर बैठे देखना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि जो विश्वासघात करे वो हिंदू नहीं हो सकता है.

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने बड़ा बयान दिया है?

 

ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के आग्रह पर ‘मातोश्री’ पहुंचे. मुलाकात के बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत की. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के साथ विश्वासघात हुआ है. हमें उनके साथ हुए विश्वासघात पर दुख है. उन्होंने कहा कि हमारा दुख तब तक नहीं जाएगा जब तक वह दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बन जाते हैं.

उन्होंने कहा, ”किसका हिंदुत्व असली है, ये जानना पड़ेगा. जो विश्वासघात करे वो हिंदू नहीं हो सकता है. जो विश्वासघात सह ले वो तो हिंदू होगा क्योकि उसके साथ विश्वासघात हुआ है. जिन लोगों ने विश्वासघात किया है, वो कैसे हिंदू हो सकते हैं. जब तक आप पुन: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान नहीं हो जाते, तब तक हम लोगों के मन की पीड़ा दूर नहीं होगी.”

 

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने ये भी कहा, ”हम हिंदू धर्म का पालन करते हैं. हम ‘पुण्य’ और ‘पाप’ में विश्वास करते हैं. ‘विश्वासघात’ को सबसे बड़े पापों में से एक कहा जाता है, वही उद्धव ठाकरे के साथ हुआ है. उन्होंने मुझे बुलाया, मैं आया. उन्होंने स्वागत किया. हमने कहा कि हमें उनके साथ हुए विश्वासघात पर दुख है”.

 

उन्होंने कहा, ”पूरे महाराष्ट्र की जनता इस बात से पीड़ित है. सभी के मन में इस बात का दर्द है. चुनाव में इस बात का पता भी चल चुका है. उन्होंने जब तक फिर से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आप विराजमान नहीं हो जाते हैं, तब हम लोगों के मन का जो दर्द है वो दूर नहीं हो सकता है. अब तो ये बात प्रमाणित हो चुकी है कि महाराष्ट्र की जनता इस बात को मानती है कि उद्धव ठाकरे जी के साथ विश्वासघात हुआ है”.

 

अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने ये भी कहा कि जनता का अनादर करना ठीक नहीं है. उन्होंने कहा, ”जनता जिसके लिए बहुमत देती है, उसे उसके समय तक के लिए बनाए रखना चाहिए. बीच में सरकार को तोड़ देना और जनमत का अनादर करना अच्छी बात नहीं है. हमें राजनीति से कोई लेना देना नहीं है लेकिन विश्वासघात को पाप बताया गया है. इस बारे में कौन बोलेगा? क्या राजनेता बोलेगा? इस पर तो कोई धर्माचार्य ही बोलेगा.

अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती सोमवार को मातोश्री गए और फिर वहां से आकर मीडिया को जो बयान दिया उस पर शिंदे गुट की शिवसेना ने आपत्ति जताई है.

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