भूगर्भ ‘ब्लास्टिंग’ विस्फोट और पेयजल के अभाव में वन्यप्राणियों के विनाश का खतरा
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
छिन्दवाडा । समस्त राजनैतिक दलों के आलाकमान नेताओं के द्धारा लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मुंहमांगी करोडों-अरबों रुपये चुनाव निधि बनाम चंदा ले – देकर मामले की ED और CBI जांच-पडताल दबाने का घिनौना प्रयास किया जा किया जा रहा है? नतीजतन गहरे भूगर्भ से मैंगनीज उत्खनन के लिए ब्लास्टिंग विस्फोट की वजह से वन प्राणियों और भूगर्भीय प्राणियों पर अकाल मौत का खतरा मंडरा रहा है?
महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश सीमा से लगे छिंदवाड़ा जिला अंतर्गत सौंसर तहसील के वन परिक्षेत्र में स्थित मैंगनीज खनन से प्रभावित ग्राम कच्छी ढाना-पलासपानी रामपेठ दामानी के आदिवासी एवं जन सामान्य नागरिकों के पालतू जानवरों तथा वन्य प्राणियों के लिए संकट निर्माण हो चुका है. वन ग्राम कच्छीढाना-पलासपानी रामपेठ दामानी के अन्यायग्रस्तों की माने तो यहां वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक,दक्षिण छिंदवाड़ा वन मंडल अधिकारियों और वन परिक्षेत्र अधिकारियों, खान ब्युरो के वैज्ञानिकों तथा राजस्व अधिकारियों ने मैंगनीज खनिज खनन पट्टा एवं लीज मंजूर करने के पूर्व स्थिति का अध्ययन, अवलोकन और निरीक्षण किये बिना कच्छीढाना-पलासपानी रामपेठ दामानी परिसर में मैंगनीज अयस्क का खनन कार्य शुरु करवा दिया.
वनवासियों का मानना है कि वन विभाग के जंगल मे विविध प्रकार के वन्य प्राणियों का विचरण मौजूद था.
शासन की तरफ से वहां विचरण करते हजारों लाखों वन्य प्राणियों को अन्यत्र आरक्षित जंगल मे स्थानांतरण एवं पुनर्वास किये बिना वन प्राणी विचरण भूमि पर अवैध खनिज खनन का घिनौना कार्य शुरू करवा दिया गया.
परिणाम तह उक्त मैंगनीज अयस्क खनन के लिए ब्लास्टिंग विस्फोट शुरू है.
नतीजा ब्लास्टिंग विस्फोट के नुकीले और धारदार खनिज पत्थरों की बौछारों की चपेट में वन्य प्राणी निशाना बना रहे हैं ? बताते है कि अनेकों जानवरों के प्राण पंखेरू उड़ गये तो अनेक निर्दोष व निरपराध वन्यप्राणियों के अपाहिज होने की खबर है .
ब्लास्टिंग विस्फोट से हताहत जानवर हुए गायब
तत्संबंध में वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को प्रस्तुत प्रतिवेदन में स्पष्ट किया गया है कि अनावेदक फर्म मेसर्स कृष्णपिंग फेरो अलाईस प्रा लि के कर्ताधर्ता बाहरी राज्यों से बुलाए गए श्रमिकों तथा उक्त फर्म संचालकों ने अपाहिज और मृत जानवरों को काटकर मटन पकाकर चट कर दिया गया.
इसमे वन विभाग के तत्संबंधित अधिकारियों का भी हाथ होने की आशंका व्यक्त की जा रही है .
गोपनीय सूत्रों का तर्कसंगत आरोप के मुताबिक अधिकारियों के माध्यम से जंगली जानवरों के माश की भी तस्करी और स्मगलिंग भी हो सकती है.
क्योंकि उक्त मैंगनीज खान से प्रभावित ग्राम कच्छीढाना पलासपानी रामपेठ दामानी के जंगलों में सदैव वन विभाग के तत्संबंधित अधिकारीगण निगरानी करते रहते है . ने तत्संबंध में दोषी कंपनी मेसर्स कृष्णपिंग फेरो अलाईस प्रा लि के खिलाफ कोई आपत्ति प्रस्तुत नहीं की है . क्योंकि तत्संबंधित अधिकारीगण पेमेंट सरकार से लेते हैं और कार्य अनावेदक फर्म मेसर्स कृष्णपिंग फेरो अलाईस प्रा लि के संरक्षण के लिए कर रहे हैं .
उसी प्रकार राजस्व विभाग और खनन अधिकारियों की सांठगांठ से अनावेदक फार्म प्रबंधन की मनमानी शुरु है.आल इंडिया सोशल आर्गनाईजेशन के अध्यक्ष टेकचंद शास्त्री ने मामले की जांच-पडताल भारत सरकार के केन्द्रीय अन्वेषण ब्युरो(C.B.I.) द्वारा कराये जाने की मांग केन्द्रीय गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव से की गई थी परंतु मामले को दबाने के लिए केश प्रकरण पीछे लेने के लिए दबाव तंत्र जारी है?