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(भाग:307) कैसे पड़ा मारुती नंदन हनुमान जी महाराज का नाम? कथा बड़ी ही रोचक है

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(भाग:307) कैसे पड़ा मारुती नंदन हनुमान जी महाराज का नाम? कथा बड़ी ही रोचक है

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टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

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मारोती नंन्दन हनुमान जी को बहुत शक्तिशाली माना जाता है। कहा जाता है कि भगवान हनुमान जी महाराज एक ऐसे देवता हैं, जिनकी आराधना से बड़ी से बड़ी बाधा तुरंत टल जाती है। बजरंगबली कलयुग के जीवित देव माने गए हैं। इनकी आराधना शीघ्र फलदायी बताई गई है। भगवान हनुमान की पूजा करने से शनि के बुरे प्रभाव से तो मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि हनुमान जी अपने भक्तों की सारी पीड़ाएं और संकटों को दूर करते हैं। भगवान हनुमान का मात्र नाम लेने से ही बड़ी से बड़ी परेशानियां दूर हो जाती हैं। कहा जाता है कि हनुमान जी के नाम मात्र का उच्चारण करने से ही व्यक्ति सांसारिक सुखों को प्राप्त करता है। हनुमान को बजरंगबली, अंजनी पुत्र, पवन पुत्र, रामभक्त जैसे अनेकों नामों से जाना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मारुती नंदन का नाम हनुमान कैसे पड़ा…

 

पौराणिक कथा के अनुसार हनुमान जी के बचपन का नाम मारुति था। एक दिन मारुती नंदन अपनी निद्रा से जागे और उन्हें तीव्र भूख लग गई। उन्होंने पास के एक वृक्ष पर लाल पका फल देखा, जिसे खाने के लिए वे निकल पड़े। दरअसल मारुती जिसे लाल पका फल समझ रहे थे वे सूर्यदेव थे।

 

वह अमावस्या का दिन था और राहु सूर्य पर ग्रहण लगने वाला था, लेकिन वे सूर्य को ग्रहण लग पाता, उससे पहले ही हनुमान जी ने सूर्य को निगल लिया। राहु कुछ समझ नहीं पाए कि हो क्या रहा है? उन्होने इंद्र से सहायता मांगी। इंद्रदेव के बार-बार आग्रह करने पर जब हनुमान जी ने सूर्यदेव को मुक्त नहीं किया तो, इंद्र ने वज्र से उनके मुख पर प्रहार किया जिससे सूर्यदेव मुक्त हुए।

वहीं वज्र के प्रहार से पवन पुत्र मूर्छित होकर पृथ्वी पर आ गिरे और उनकी ठुड्डी टेढ़ी हो गई। जब पवन देवता को इस बात की जानकारी हुई तो वे बहुत क्रोधित हुए। उन्होंने अपनी शक्ति से पूरे संसार में वायु के प्रवाह को रोक दिया, जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी पर जीवों में त्राहि-त्राहि मच जाती है।

 

इस विनाश को रोकने के लिए सारे देवगण पवनदेव से आग्रह करने पहुंचे कि वे अपने क्रोध को त्याग पृथ्वी पर प्राणवायु का प्रवाह करें। सभी देवताओं ने पवन देव की प्रसन्नता के लिए बाल हनुमान को पहले जैसा कर दिया और साथ ही बहुत सारे वरदान भी दिए।

 

देवताओं के वरदान से बालक हनुमान और भी ज्यादा शक्तिशाली हो गए, लेकिन वज्र के चोट से उनकी ठुड्ढी टेढ़ी हो गई, जिसके कारण उनका एक नाम हनुमान पड़ा।

जब मारुति हनुमान जी का ही नाम है तो उन्हें मारुति नन्दन क्यों कहा जाता है, जैसे उन्हें केसरी नन्दन भी कहा जाता है?

इसलिए मारूति नन्दन का अर्थ भी हनुमान है

को “मारुति” नाम दिया था। हनुमान का जन्म वानर रानी माता अंजनी से हुआ था। अंजनी माता का सबसे बड़ा गुण था उनकी प्यार भरी मातृभावना, जिसके कारण उन्होंने अपने पुत्र को प्यार से नाम दिया “मारुति”।

क्योंकि हनुमान जी को मारुत देवता का अवतार माना जाता है, मारुति का अर्थ है “मारुत”, जो वायुपुत्र का अर्थ है। हनुमान जी की शक्ति और पराक्रम के कारण उन्हें भी “मारुति” कहा जाता है। वानरराज सुग्रीव ने भी हनुमान जी को उनके माता के नाम से नामित किया और उसे मारोती नंन्दन कहा गया

मारुति का अर्थ है-वायु। यह 49 मरुत हैं, जिनके अधिपति हनुमानजी हैं। इनकी आराधना से जीवन वायु की तरह हल्का हो जाता है।

मारुति शब्द मरुत का अपभ्रंश है। मारुति शब्द इसी से निर्मित है। हो सकता है कि ४९ मरुतों के मालिक होने से इन्हें मारुति कहा जाता है।

हनुमान जी ज्योतिष के भी प्रकांड विद्वान थे। वेदों ने हनुमानजी को रूद्रावतार, अग्नि, प्राण आदि कहा गया है। इन्हें रक्षक देवता के रूप में पूजा जाता है।

द्वारपाल, सन्तानदाता हनुमानजी का वृक्षों में निवास माना गया है। वृक्ष लगाने से हनुमानजी की सिद्धियां प्राप्त होती हैं, ऐसा पुराणों में उल्

 

हनुमान जी को ‘मारुती’ क्यों कहा जाता है?

हनुमान जी को मारुति क्यों कहा जाता है क्योंकि वह पवन देव के पुत्र कहलाते हैं और पवन देव का एक नाम मारुत भी है उसके ही हिसाब से हनुमान जी को मारुति या नहीं के पवन पुत्र भी कहा जाता है।

हनुमान जी का नाम संकटमोचन क्यों है?

मुझे बताये क्यो ना कहेः

संकट १ः राक्षसराज विभीषण को अपने दल मे सामिल करना खतरे से खाली नही था क्योकी वो शत्रुपक्ष से था, श्रीहनुमान के परामर्श से रघुनाथजी ने उन्हे दल मे सामील किया ।

संकट २ः माता सीता की खोज यदी समय पे ना की जाती तो श्रीराम अयोध्या लौटनेपर क्या जवाब देते? हनुमान ही सिर्फ ये कार्य कर सकते थे, इसिलिये जांबुवंत द्वारा उनके बल का स्मरण कराते ही वे सीताशोध हेतु प्रस्तुत हुए ।

संकट ३ः १०० KM का अंतर एक छलांग मे पार करके राक्षसों से भरी लंका मे जाकर माता सीता की खबर लाना बडा ही दुष्कर कार्य कौन कर सकता था, क्योंकी अंगद सिर्फ जा सकता था, लौटने के बारे मे आश्वस्त नही था

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हनुमान जी का नाम मारुति किसने रखा था?

पवन देव ने हनुमान जी महाराज का नाम मारोती रखा है।

हनुमान जी को शंकर स्वयं केसरी नंदन कहा गया है,इसका क्या तात्पर्य है? शंकर स्वयं केसरी नंदन का तात्पर्य: शिवजी के 11 वे रुद्र माना गया है।

अर्थात् :- हे शंकर के अवतार, हे केशरी-नन्दन, आपके महान पराक्रम और यश की संसार भर में वन्दना होती है।

श्री हनुमानजी के शंकर-सुवन, रुद्रावतार या रूद्र के अंश से उत्पन्न होने के सम्बंध में भिन्न-भिन्न कथाएँ मिलती हैं:

‘आनन्दरामायण’ के अनुसार सती साध्वी अंजना माता ने पुत्र कामना से भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए उग्र तपस्या की। दीर्घकाल बीतने पर भगवान शंकर उनके तप से प्रसन्न होकर प्रकट हुए एवं उन्हें वरदान मांगने को कहा। तब अंजना ने शंकर भगवान के सदृश भोले भक्त, तथा पवन के समान पराक्रमी पुत्र प्राप्ति की प्रार्थना की। … (और

कैसे हनुमान जी का नाम हनुमान पड़ा?

जो अभिमान का हनन कर दे वह हनुमान है ।

हनुमान चालीसा की एक लाइन है “अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, अस वर दीन जानकी माता”। हनुमान जी की अष्ट सिद्धि और नव निधि क्या है?

ये प्रसंग उस समय का है जब हनुमानजी सीताजी की खोज में लंका गए खोजते खोजते वे अशोक वाटिका गए जहाँ पर उन्होंने सीता जी को खोज लिया उनको प्रभु राम का सन्देश सीताजी को दिये , सीताजी खुश होकर हनुमानजी को आठ सिद्दी और नव निधि का और नव निधि देने का आश्रीवाद दिया वही हनुमान चालीसा की चौपाई में है : अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता।।

 

जिसे श्रीरामचरितमानस के रचियता गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है। इस चौपाई का अर्थ है ‘बजरंगबली अपने भक्तो को आठ प्रकार की सिद्धयां तथा नौ प्रकार की निधियां प्रदान कर सकते हैं। उन्हें यह सिद्धियां और निधियां देने का वरदान माता जानकी ने दिया है।

हनुमान जी को किस किस नाम से जाना जाता है ?

हर कष्ट को दूर करने वाले हैं हनुमान जी के 12 नाम ये रहे।

हनुमान जी के 12 नामों में से हर नाम की अपनी महिमा है। इनका जाप करना सारे कष्टों को हरने वाला होता है। जानें क्या हैं ये नाम और कि‍स तरह ये विपत्त‍ियों को दूर करते हैं।

जय श्री राम, जय बजरंगबली….आज के दिन ये नाम जपने से सब मंगल ही मंगल होगा. जानिए मंगल को जन्मे मंगलकारी हनुमान के अद्भुत और चमत्कारी बारह नामों के बारे में जिनके जाप से आपके सारे कष्ट, रोग, पीड़ा और संकट खुद ब खुद नष्ट हो जाएंगे और जीवन में सब मंगलमय होगा.

शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं हनुमान

अजर-अमर हैं हनुमान. अपने भक्तों पर कृपा करते हैं और उनके सारे कष्‍ट संकटमोचन हर लेते हैं।

मरुत का अर्थ पवन होता है, पवनदेव हनुमानजी के धर्म पिता हैं इसीलिए उन्हें मारुति अर्थात् पवनपुत्र ही कहा जाता है। केवल शब्दों का हेर फेर है। अर्थ एक ही है।

हनुमान जी तो केसरी नंदन हैं तो शंकर सुवन पवन पुत्र क्यों कहा जाता है?

कियोकी हनुमान जी शंकर भगवान के 11 वे रूद्र अवतार हे | और बचपन में हनुमान जी सूर्य को लाल फल समझ कर उसे खाने आकाश में चले गए और सूर्य को मुख में रखने का प्रयास किया लेकिन सूर्य के वज्र प्रहार से वे बेहोश हो गए और उनका मुख लाल पड़ गया | इस बात से आहत होकर पवन देव ने सरे वायुमंडल की वायु अपने अन्दर समाहित कर ली जिससे धरती पर जीवन समाप्त होने लगा | तब सभी देवताओ ने पवन देव से संसार की प्राण वायु वापस करने का निवेदन किया तब पवन देव ने हनुमान को वापस ठीक करने की शर्त रखी | उसके बाद सूर्य देव ने हनुमान को ठीक किया और सभी देवताओ ने हनुमान को शिक्षा दीक्षा और अस्त्र प्रदान किये | इस प्रकार पवन देव हनुमान

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