(भाग:309) मर्यादा-पुरूषोत्तम श्रीराम भक्त हनुमान जी महाराज को प्रसन्न करने मंगलवार सर्वोत्तम विधान

(भाग:309) मर्यादा-पुरूषोत्तम श्रीराम भक्त हनुमान जी महाराज को प्रशन्न करने मंगलवार सर्वोत्तम विधान

 

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

 

बजरंगबली हनुमान जी महाराज की उपासना के लिए मंगलवार का दिन सर्वोत्तम माना जाता है. इस दिन भक्त अपने प्रभू की पूजा-अर्चना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. हनुमान जी भी अपने सभी भक्तों की हर तरह के संकट से रक्षा करते हैं और उनके दुख हर लेते हैं

हिंदू धर्म में मंगलवार का दिन बजरंगबली को समर्पित किया गया है. हनुमान जी को हम सभी संकट मोचन के नाम से भी जानते हैं. धर्म शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी भगवान शिव के ही एक अंश हैं. पवन पुत्र अपने भक्तों पर कभी भी संकट नहीं आने देते हैं. हनुमान चालीसा के पाठ के बारे में तो सभी जानते हैं. ऐसा माना जाता है कि हनुमान चालीसा का लगातार पाठ करने से व्यक्ति हर प्रकार की परेशानियों से मुक्ति पाता है, लेकिन हनुमान चालीसा के अतिरिक्त हनुमान जी का एक और पाठ है जिसे हनुमान अष्टक कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति किसी शत्रु से या किसी प्रकार के भय से विचलित है तो उसे हनुमान अष्टक का पाठ करना चाहिए।

 

भोपाल निवासी ज्योतिष वैज्ञानिक पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बताते हैं कि ज्योतिष शास्त्र में भी हनुमान अष्टक का पाठ करना बहुत लाभकारी बताया गया है. ऐसा माना जाता है यदि कोई व्यक्ति मंगलवार के दिन हनुमान अष्टक का पूरी श्रद्धा भक्ति और विधिवत पाठ करता है तो वह व्यक्ति को सभी प्रकार के शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. हिंदू धर्म शास्त्रों में हनुमान अष्टक के पाठ को लेकर बहुत सी बातें जानने को मिलती हैं, लेकिन धर्म ग्रंथों में हनुमान अष्टक पाठ करने को लेकर कोई विशेष नियम नहीं है. यह पाठ कभी भी और कहीं भी किया जा सकता है.

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वैसे तो इस पाठ को करने का कोई खास नियम नहीं है, लेकिन यदि आप हनुमान जी के इस पाठ को करना चाहते हैं तो इसके लिए जहां आप पाठ करने वाले हैं वहां हनुमान जी की तस्वीर के साथ भगवान राम का चित्र जरूर लगाएं. इसके बाद भगवान राम और हनुमान जी के सामने घी का दीपक जलाकर तांबे के गिलास या लोटे में जल भरकर रख दें. फिर पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ हनुमान जी का ध्यान करके हनुमान बाहुक का पाठ करें.

 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हनुमान जी की पूजा करते समय जल के साथ हनुमान जी को तुलसी के पत्ते भी अर्पित किए जा सकते हैं. ऐसा माना जाता है कि पाठ पूरा होने के बाद तुलसी के इन पत्तों का सेवन करने से व्यक्ति के सभी शारीरिक और मानसिक कष्टों का अंत हो जाता है.

पहले मंगलवार को स्नानादि से निवृत्त होकर हनुमान जी के समक्ष ऊपर बताई संख्या अनुसार व्रत का संकल्प लें. हर मंगलवार को सूर्योदय से पूर्व स्नान के बाद लाल रंग के वस्त्र पहनें. घर के ईशान कोण में हनुमान जी के आसन के लिए चौकी रखें, उस पर बजरंगी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. आप हनुमान मंदिर में जाकर भी पूजा कर सकते हैं

मंगलवार को व्रत करने से अमंगल का नाश होता है. मंगल दोष से मुक्ति पाने के लिए ये व्रत बहुत लाभकारी माना गया है. आइए जानते हैं मंगलवार व्रत की विधि, इसके लाभ और किसे करना चाहिए ये व्रत.

 

मंगलवार व्रत के फायदे है अनेक, जानकर बन जाएंगे आप भी हनुमान जी के परम भक्त

मंगलवार व्रत

शास्त्रों के अनुसार श्रीराम ने अपने परम भक्त हनुमान को चिरंजीवी होने का वरदान दिया था, यानी कि आज भी हनुमान जी धरती पर मौजूद हैं. मंगलवार का दिन बजरंगबली को समर्पित है. मान्यता है कि इस दिन हनुमान जी की सच्चे मन से पूजा, सेवा करने वालों को वह कभी निराश नहीं करते और हर संकट से उन्हें बचाने स्वंय दौड़े चले आते हैं.

यही वजह है कि मंगलवार व्रत का विशेष महत्व है. कहते हैं मंगलवार को व्रत करने से अमंगल का नाश होता है. मंगल दोष से मुक्ति पाने के लिए ये व्रत बहुत लाभकारी माना गया है. आइए जानते हैं मंगलवार व्रत की विधि, इसके लाभ और किसे करना चाहिए

शास्त्रों के अनुसार किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले मंगलवार से ये व्रत शुरू करना चाहिए, खासकर ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में आने वाले मंगलवार का ‌विशेष महत्व है, क्योंकि इसी माह के मंगलवार को श्रीराम और हनुमान की पहली बार भेंट हुई थी, जिसे बड़ा मंगल कहा जाता है.

 

कितने मंगलवार व्रत रखना चाहिए ?

 

21 या 45 मंगलवार तक व्रत रखना शुभ माना जाता है लेकिन कुछ हनुमान भक्त इसे आजीवन करते हैं. आखिरी मंगलवार व्रत के बाद आने वाले अगले मंगलवार (22 या 46 मंगलवार को उद्यापन) को इसका विधिवत उद्यापना करें.

 

कैसे शुरू करें मंगलवार व्रत ?

पहले मंगलवार को स्नानादि से निवृत्त होकर हनुमान जी के समक्ष ऊपर बताई संख्या अनुसार व्रत का संकल्प लें. हर मंगलवार को सूर्योदय से पूर्व स्नान के बाद लाल रंग के वस्त्र पहनें.

घर के ईशान कोण में हनुमान जी के आसन के लिए चौकी रखें, उस पर बजरंगी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. आप हनुमान मंदिर में जाकर भी पूजा कर सकते हैं.

पूजा में हनुमान जी को सिंदूर में चमेली का तेल मिलाकर चोला चढ़ाएं, लाल रंग के पुष्प, वस्त्र, नारियल, गुड़, चना, पान का बीड़ा, अर्पित करें.

बूंदी, इमारती, बेसन के लड्‌डू इनमें से किसी भी मिष्ठान का भोग लगाएं, ये बजरंगबली के प्रिय हैं. साथ ही राम-सीता का स्मरण भी करें. इनके बिना हनुमान जी की पूजा अधूरी है.

हनुमान चालीसा या सुन्दरकाण्ड का पाठ करें. अंत में आरती कर दें.

हर मंगलवार पर जरुरतमंदों को गुड़, नारियल, मसूर की दाल, लाल वस्त्र, लाल चंदन, भूमि का दान करना चाहि.

संध्याकाल में पुन: हनुमान जी का स्मरण करने के बाद ही व्रत का पारण करें.

 

मंगलवार व्रत के लाभ

 

शास्त्रों के अनुसार शनि की पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए मंगलवार का व्रत श्रेष्ठ माना जाता है. इसके प्रताप से जातक को साढ़ेसाती और ढैय्या के दुष्प्रभाव से राहत मिलती है.

संतान उत्पत्ति में बाधा आ रही है या फिर विवाह में विलंब हो रहा है तो मंगलवार व्रत जरुर करें.इससे मंगल दोष के कारण विवाह में आ रही रुकावट भी दूर होती है.

मंगलवार व्रत से रक्त संबंधी परेशानियां दूर होती है, क्रोध पर काबू पाने की शक्ति मिलती है. तमाम संकटों का नाश होता ह. इस व्रत करने से सभी प्रकार की बुरी शक्तियां दूर रहती है.

मंगलवार के दिन खासकर व्रती को बाल, दाढ़ी, नाखून नहीं काटना चाहिए, इसे अशुभ माना गया है. साथ ही ब्रह्मचर्य का पालन करें

इस दिन काले रंग के वस्त्र न पहने, अन्यथा व्रत के फल से वंचित रह जाएंगे.

मंगलवार के दिन भूलकर भी नमक का सेवन नहीं करें. व्रत पारण में भी नमक युक्त भोजन न खाएं, नहीं तो व्रत व्यर्थ चला जाएगा.

भूलकर भी तामसिक भोजन, मदिरा का सेवन न करें. इससे हनुमान जी के क्रोध का सामना करना पड़ सकता है.मंगलवार के दिन शुक्र और शनि से जुड़ा कोई भी काम नहीं करें. ऐसा करने से उस काम असर उल्टा ही पड़ता है.

 

ये लोग जरुर करें मंगलवार व्रत

 

ज्योतिष के अनुसार मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल है, ऐसे में इन राशि वालों को मंगलवार का व्रत जरुर रखना चाहिए. कर्क राशि में मंगल नीच का माना गया है इसलिए इन लोगों को भी व्रत करना चाहिए. इससे हनुमान और मंगल देव की कृपा द्दष्टि सदा आप पर बनी रहेगी और आपके मान-सम्मान, बल, पुरुषार्थ में वृद्धि होगी. स्वास्थ अच्छा रहेगा.

 

सहर्ष सूचनार्थ नोट्स:-

उपरोक्त मुहैया सूचना धर्मशास्त्रों की मान्यताओं और संत महात्माओं के प्रवचनों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से राय लेना आवश्यक है

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