वात-पित और कफ व्याधि दोष को संतुलित करता है त्रिफला
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
नई दिल्ली। भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के विशेषज्ञों के कथनानुसार जी हां त्रिफला चूर्ण वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को संतुलित करने में मदद करता है। इसे त्रिदोषिक रसायन माना जाता है, जिसका अर्थ है कि यह तीनों दोषों कोHarmonize करने में उपयोगी है।
त्रिफला तीन फलों – हरड़, बहेड़ा और आंवला का मिश्रण है, जो अपने-अपने गुणों के कारण वात, पित्त और कफ को संतुलित करने में मदद करते हैं.
वात: त्रिफला वात को शांत करने में मदद करता है, जो शरीर में गति और ऊर्जा के लिए जिम्मेदार है।
पित्त: यह पित्त को भी संतुलित करता है, जो पाचन और चयापचय के लिए जिम्मेदार है।
कफ: त्रिफला कफ को शांत करने में भी मदद करता है, जो शरीर में संरचना और चिकनाई के लिए जिम्मेदार है।
इसलिए, त्रिफला चूर्ण का नियमित सेवन त्रिदोषों को संतुलित करके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है
जी हां त्रिफला वात पित्त और कफ को संतुलित करती है ?
त्रिफला आयुर्वेद में एक अत्यंत प्रभावी और प्राचीन औषधि है, जो मुख्य रूप से तीन प्राकृतिक फल—आंवला, बहेड़ा और हरड़—से मिलकर बनी होती है। इसे विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार में इस्तेमाल किया जाता है और यह शरीर के अंदर की तीन दोष—वात, पित्त और कफ—को संतुलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
वात, पित्त और कफ शरीर के अंदर के तीन प्रमुख ऊर्जा तत्व हैं, जिन्हें दोष कहा जाता है। ये तीनों शरीर और मन की विभिन्न गतिविधियों को नियंत्रित करते हैं। जब इन तीनों का संतुलन बिगड़ जाता है, तो विभिन्न शारीरिक और मानसिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। त्रिफला इन तीनों दोषों को संतुलित करती है, जिससे शरीर में ऊर्जा का सही प्रवाह बना रहता है और स्वास्थ्य बेहतर होता है।
वात दोष, जो शरीर में गति, संचलन और संचार के लिए जिम्मेदार होता है, जब असंतुलित होता है, तो जोड़ों का दर्द, कब्ज, और चिंता जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। त्रिफला वात को शांति प्रदान करती है और शरीर में संतुलन लाती है।
पित्त दोष, जो शरीर के पाचन और गर्मी के नियंत्रण के लिए जिम्मेदार होता है, असंतुलित होने पर पेट की जलन, सूजन, और आंतों से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। त्रिफला पित्त दोष को शांत करती है, जिससे पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है।
कफ दोष, जो शरीर में चिकनाई, नमी और बल का नियंत्रण करता है, अगर असंतुलित हो जाए, तो यह अवसाद, मोटापा और सर्दी-जुकाम जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है। त्रिफला कफ दोष को नियंत्रित करने में मदद करती है, जिससे शरीर में हल्कापन और ताजगी बनी रहती है।
इस प्रकार, त्रिफला एक प्राकृतिक और संतुलित उपाय है, जो न केवल शरीर के अंदर के तीन दोषों को संतुलित करती है, बल्कि पूरे शरीर और मानसिक स्थिति को बेहतर बनाती है। यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत करती है और शरीर को स्वाभाविक रूप से स्वस्थ रखने में सहायक होती है।