पितृ व्याधि दोषों के कारण लडकियों का योग्य वर से विवाह होने में देरी
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
वाराणसी। भारतीय ज्योतिष विज्ञान के अनुसार पितृ दोष- नास्तिक सूतक ग्रह व्याधिदोषों के प्रकोप के कारण लड़कियों के योग्य वर से विवाह में देरी हो सकती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पितृदोष एक ऐसा दोष है जो व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की बाधाएं उत्पन्न करता है, जिनमें विवाह में देरी भी शामिल है।
पितृदोष के कारण विवाह में देरी होने के कुछ संभावित कारण हैं: कुंडली में दोष: ज्योतिषीय गणना के अनुसार, यदि किसी लड़की की कुंडली में पितृदोष है, तो विवाह में देरी हो सकती है।
पूर्वजों का असंतोष: ऐसा माना जाता है कि यदि पितरों का ठीक से श्राद्ध और तर्पण न किया जाए, तो वे असंतुष्ट हो जाते हैं और इसका नकारात्मक प्रभाव उनके वंशजों पर पड़ता है, जिससे विवाह में बाधा आ सकती है।
अन्य ग्रहों का प्रभाव: कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि ग्रहों की स्थिति भी विवाह में देरी का कारण बन सकती है, खासकर यदि सूर्य, मंगल या बुध लग्न या लग्न के स्वामी पर दृष्टि डाल रहे हों और गुरु 12वें भाव में बैठा हो,
पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं, जैसे: पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण: पितृ पक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और पितृदोष का प्रभाव कम होता है।
दान-पुण्य: गरीबों और जरूरतमंदों को दान करने से भी पितृदोष का निवारण होता है।
पितृ स्तोत्र का पाठ: नियमित रूप से पितृ स्तोत्र का पाठ करने से भी पितृदोष के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है।
ब्राह्मणों को भोजन कराना:
ब्राह्मणों को भोजन कराने और उनका आशीर्वाद लेने से भी पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये उपाय केवल ज्योतिषीय मान्यताएं हैं और इनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। यदि आप विवाह में देरी से परेशान हैं, तो किसी अनुभवी ज्योतिष विज्ञान विशेषज्ञ से सलाह लेना उचित रहता है।
बिना ज्योतिष वैज्ञानिक के पास जाए कोई व्यक्ति यह कैसे जान सकता है कि वह पितृ दोष से पीड़ित है?
घर मे किसी की अकाल मृत्यु हो तो अक्सर वह आत्मा पितृ में चले जाते है। इसमे बड़े बुजुर्ग भी होते है। चूंकि उन बड़े बुजुर्गों की वजह से हम अस्तित्व में आये है तो उनका यह ऋण हम पर माना जाता है। जब हम इस ऋण के प्रति कृतघ्न होते है तो यह दोष उतपन्न होता है। वैसे ज्योतिष के द्वारा तुरंत इसका पता लग जाता है। हालांकि बिना ज्योतिषी के जानने के कुछ मुख्य उपाय है जिनसे यह जान सकते है:-घर मे किसी एक व्यक्ति का अविवाहित रहना या बार बार विवाह टल जाना। या रिश्ता न होना या रिस्ता पसंद नहीं आना.
बिना कारण यानी अनायास घर मे लड़ाई झगड़े की स्थिती बनना.
नौकरी मिलने में देरी होना।
खाने में कई बार बाल आ जाना.कार्यों मे मन नहीं लगना. याददाश्त नहीं रहना. बारंबार भूल जाना.नींद मे बुरे बुरे ख्याल आना. और बुरे बुरे सपने आना इत्यादि
पहले जान लेते है पितृ दोष होता क्या है, और क्यों होता है। कुछ लोगो का कहना है अपने पूर्वजों का जीते जी अपमान करने. निधन के बाद अंतिम संस्कार ठीक से न करने, श्राद्ध न करने , पूर्वजो की दुर्गति करने, अवज्ञा यानी पैतृक परिवार के सदस्यों का अपमान करने से पितृ दोष होता है। अब प्रश्न ये है कि ये सब उस नवजात बालक ने तो नहीं किया होगा जिसकी कुंडली में पितृ दोष है, तो उसकी कुंडली में ये दोष क्यों? कुंडली तो प्रारब्ध दिखाती है जो पूर्व जन्मों के पाप और पुण्य से होते है, फिर पितृ दोष क्या पूर्व जन्म का है?
जी हाँ, पितृ दोष उसी बालक की पूर्व जन्म के कुछ कर्मो का फल है। इसका अर्थ ये हुआ की वह आत्मा पितृ लोक से आयी है, और संभवतः उसी परिवार के किसी पूर्वज की है। तो यहाँ कर्म के नियम
पितृ दोष क्यों होता है, क्या यह हकीकत में होता है या यह पंडितों द्वारा रचा गया है?
पितृ दोष क्यो होता है,इस बारे १०० प्रतिशत कहना तो मुश्किल है।परन्तु ये कई कारणों से हो सकता है।उदाहरण के तौर पर आपके किसी पितृ की अपमृत्यु होना,किसी पितृ को इस योनि में काफी कष्ट का होना,पितृ के निमित्त तर्पण ,वस्त्र दान ,भोजन दान नहीं करना, पितृ के निमित्त जरूरी क्रियाओं को पूरी नहीं करना, आपके यहां उनको याद नहीं करना ,उनकी सदगती के निमित्त कभी कोई कार्य अथवा गया कराना,नारायण बली कराना,जैसे बहुत से कारण हो सकते है।ये।पितृ।दोष।होता अवश्य है,ये बात कई बार काफी लोगो के अनुभव मे भी आ चुकी है।पितृ अपनी और आपका ध्यान आकर्षित करने के लिए आपको पहले छोटे फिर बड़े झटके भी देते रहते है।जिससे कि आप इस बा
बिना ज्योतिष के पास जाए कोई व्यक्ति यह कैसे जान सकता है कि वह पितृ दोष से पीड़ित है?
बिना ज्योतिष के पास जाए, पितृ दोष के बारे में जानने के कुछ संकेत निम्नलिखित हैं, जिन्हें पहचान कर आप उपाय कर सकते हैं:
स्वास्थ्य समस्याएँ: अगर परिवार के सदस्य बार-बार बीमार पड़ते हैं या लंबे समय से किसी बीमारी से ग्रस्त हैं, तो यह पितृ दोष का संकेत हो सकता है। विवाह पूर्व किसी नास्तिक सूतक पातक ग्रह व्याधिदोष वाले से संगदोष के कारण भी पितृ प्रकोप रहता है.
अक्सर ऐसा होता है कि सभी चिकित्सा उपाय करने के बाद भी स्वास्थ्य में सुधार नहीं होता। यह लगातार स्वास्थ्य समस्याएँ पितृ दोष का प्रमुख संकेत हो सकता है।
वित्तीय कठिनाइयाँ: आर्थिक समस्याएँ भी पितृ दोष का एक प्रमुख संकेत हैं। घर में निरंतर आर्थिक संकट बना रहता है, आमदनी कम होती है या अचानक धन का नुकसान होता है। अगर सभी प्रयासों के बावजूद रिस्ता जुडा और विवाह भी हो गया परंतु पितृ प्रकोप की वजह से लडकी मां नहीं बन सकती है. यदि लाख कोशिशों के बाद संतान हो भी गई तो जीवित नहीं रहती अल्पकाल मे ही बालक की मृत्यू हो सकती है.
पितृ दोष क्या है , इसका निवारण का क्या उपाय है ?
यदि कुंडली में सूर्य पीड़ित है तो इसका मतलब है कि व्यक्ति पितृ दोष से पीड़ित है। पितृदोष तीन जन्मों के लिए किसी की कुंडली में रहता है।
निवारण के उपाय :
१) पितृ दोष को दूर करने के लिए पितृदोष देवों का जाप करना चाहिए।
२) सूर्य को अर्घ्य प्रातः 8:30 बजे तक ही दिया जाना चाहिए अन्यथा यह कष्ट के रूप में वापस आ जाएगा।
३) सूर्योदय, सूर्यास्त, ग्रहण, मध्यमात्मक काल के दौरान सूर्य को पानी में नहीं देखना चाहिए क्योंकि यह दीर्घायु की बड़ी मात्रा खो देता है। इससे पितृदोष होता है।
४) सूर्य धातु पीतल के लिए है, भगवान शिव के मंदिर में दान करना जैसे पीतल (पीटाल) का घड़ा, कटोरी, कांच आदि।
५) सूर्य के लिए अनाज गेहूं
पितृ दोष किन गलतियों से लगता है, कैसे पहचानें घर में पितृ दोष है और मुक्ति पाने के उपाय?
सामान्य गलतियाँ जो पितृ दोष का कारण बन सकती हैं उनमें अपने पूर्वजों की उपेक्षा करना, पितृ संस्कार नहीं करना, पैतृक कब्रों पर नहीं जाना और परिवार के बड़ों का सम्मान नहीं करना शामिल है।
घर में पितृ दोष की पहचान करने के लिए बार-बार होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं, आर्थिक नुकसान, करियर में ठहराव या अचानक दुर्भाग्य जैसे संकेतों पर ध्यान दें। अन्य संकेतों में प्रेतवाधित होने की भावना या घर में भारीपन की भावना शामिल है।
पितृ दोष से मुक्ति के उपाय में पितृ संस्कार करना, पूर्वजों की कब्र पर जाना, मंत्र जाप करना और पितरों को भोजन और फूल चढ़ाना शामिल है। इसके अतिरिक्त, गरीबों को भोजन दान करना चाहिए, मंदिरों में जाना चाहिए और भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
पितृ दोष से कैसे बचा जा सकता है?
जन्म कुंडली में दूसरे चौथे पांचवें सातवें नौवें दसवें भाव में सूर्य राहु या सूर्य शनि की युति स्थित हो तो यह पितृदोष माना जाता है. सूर्य यदि तुला राशि में स्थित होकर राहु या शनि के साथ युति करें तो अशुभ प्रभावों में और ज्यादा वृद्धि होती है. इन ग्रहों की युति जिस भाव में होगी उस भाव से संबंधित व्यक्ति को कष्ट और परेशानी अधिक होगी तथा हमेशा परेशानी बनी ही रहेगी. लग्नेश यदि छठे आठवें बारहवें भाव में हो और लग्न में राहु हो तो भी पितृदोष बनता है.
1-पितृदोष को खत्म करने के लिए हर अमावस्या पर अपने पूर्वजों और पितरों के नाम से जितना हो सके लोगों को दवा वस्त्र भोजन का दान करें
2- हर बृहस्पतिवार और शनिवार की शाम पीपल की जड़ में जल अर्पण करें और उसकी सात परिक्रमा करें
3- शुक्लपक्ष के रविवार के दिन सुबह के समय भगवान सूर्यनारायण को तांबे के लोटे में जल गुड़ लाल फूल रोली आदि डालकर अर्पण करना शुरू करें
4- माता पिता और उनके समान बुजुर्ग व्यक्तियों को चरण स्पर्श करें आशीर्वाद लें
निष्कर्ष: उपरोक्त ग्रह व्याधि दोष जैसी गंभीर समस्या का समाधान एवं निराकरण के लिए नैसर्गिक नियमों और आचार विचारों का पालन अनिवार्य है.
सहर्ष सूचनार्थ नोट्स:-
उपरोक्त समाचार सामान्य ज्ञान पर आधारित विभिन्न आयुर्विज्ञान विशेषज्ञों और ज्योतिष विज्ञान विशेषज्ञों और धर्म शास्त्रों से संकलित के अधार पर प्रस्तुत है.अत्याधिक जानकारी के लिए अपने सुपरिचित विशेषज्ञ की सलाह जरुरी है।