घरेलू हिंसा के पीछे होता है कर्कशा और कुटला औरत का हाथ
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
नई दिल्ली। भारतीय समाज के घरों में अपनी स्त्रियों पर घरेलू अत्याचार होने की समस्यां कई सालों से एक परंपरा की तरह चली आ रही है। लेकिन क्या आपने सोचा है एक पति अपनी पत्नी को मारता क्यों है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने रिलेशनशिप कोच से बात की। जिन्होंने एक आदमी के हिंसक होने के लिए पीछे कई कारण बताएं हैं।
कहने को वक्त बदलते के साथ भारत में महिलाओं की स्थिति भी बदल रही है, अब उन्हें पहले से ज्यादा अधिकार और सम्मान मिलने लगा है। पढ़ा लिखा आदमी महिलाओं के अधिकार को बखूबी समझता है, लेकिन एक महिला पर हाथ उठाना उसे अब भी अपना अधिकार लगता है। किसी भी बात का गुस्सा हो निकलता महिला पर ही है.
पुरुषों का महिलाएं के साथ मारपीट करना बिल्कुल आम बात है, लेकिन कभी आपने वजह जानने की कोशिश की है। आखिर क्यों हाथ उठाने से पहले पुरुष हिचकिचाता नहीं, उसे क्यों लगता है कि वो अपनी पत्नी को मार सकता है। सिर्फ गुस्सा है या फिर बचपन में सिखाई गई सीख।
एक आदमी के इस व्यवहार को लेकर हमने प्रिडिक्शन्स फॉर सक्सेस के संस्थापक और रिलेशनशिप कोच विशाल भारद्वाज से बात की। उन्होंने इस मसले पर डीटेल में बात करते हुए कई कारण बताएं हैं इनमें एक कारण ऐसा है जिसमें महिलाएं खुद ही जिम्मेदार होती हैं।
परिवार के माहौल का असर
परिवार के माहौल का असर
एक आदमी को बचपन में दी गई शिक्षा और परिवार के माहौल का असर उसके व्यवहार में दिखता है। अगर छोटी उम्र से ही वह घर में हिंसा देखता है और इसी माहौल में बड़ा होता है तो जाहिर है कि वो औरतों का सम्मान करना नहीं सीख पाता। उनके लिए औरत का कोई मोल नहीं रहता और वो उन्हें कुछ नहीं समझते। जैसा वो बचपन में देखते हैं वैसी ही उनकी सोच हमेशा के लिए बन जाती है।
जुल्म सहना भी बड़ा कारण
जुल्म सहना भी बड़ा कारण
कहते हैं जुर्म करने से ज्यादा बड़ा अपराध है जुर्म को सहना। क्योंकि किसी भी जुल्म को सहकर आप उसे बढ़ावा दे रहे होते हैं यही वजह है कि जब एक महिला शारीरिक शोषण को सामान्य मानती है। अपने पति की मारपीट को सह लेती है तो बच्चे उन्हें देखकर यही सीखते हैं कि औरतों पर हाथ उठाना कोई बड़ी बात नहीं। इसलिए एक बच्चा जब अपनी मां को चुपचुाप पिटते हुए देखता है तो उसे भी बड़े में अपनी पत्ती को मारने की हिम्मत मिलती है।
डिप्रेशन से भी होते हिंसक
डिप्रेशन से भी होते हिंसक
कभी-कभी एक पति पारिवारिक जिम्मेदारी के बोझ में दबने लगता है। नौकरी की चिंता और घर परिवार से जुड़ी आर्थिक समस्याएं उस पर हावी होने लगती हैं। ऐसे में डिप्रेशन की वजह से उनके व्यवहार में भी बदलाव होता है। जब इंसान का दिमाग स्थिर नहीं रहता है तो वो दूसरों को समझने की शक्ति नहीं रखता। चिड़चिड़े होने पर हिंसक भी बन सकते हैं।
पती अक्सर अपनी पति को संपत्ति समझते हैं उन पर हक जमाकर कुछ भी कहते हैं। कभी-कभी पति और पत्नी के बीच में अनबन या समझौता न होना, जैसी चीजें होती हैं इस दौरान पति गुस्से में अपना अधिकार जमाते हुए पत्नी के साथ मारपीट भी करता है। इस दौरान मेल इगो आग में घी डालने का काम करता है।
नशा और जागरुकता की कमी
नशा और जागरुकता की कमी
नशा और शराब का सेवन भी हिंसा को बढ़ावा देता है। दरअसल नशे के असर में व्यक्ति का खुद पर कंट्रोल ही नहीं होता, वो समझ ही नहीं पाता की क्या सही है क्या गलत। नतीजन छोटी सी बात पर भी विवाद बढ़ने पर हिंसक हो जाता है। इस दौरान पुरुष को सही बात भी गलत लगती है। जागरुकता की कमी की वजह से भी पति को पत्नी का सम्मान करना सिखाया ही नहीं जाता, इसलिए गुस्से में वो सबसे पहले अपनी पत्नी पर हाथ उठा देता है।