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रेती ढुलाई पर प्रतिबंध से जरुरतमंद निर्माता फर्मों और मजदूरों पर संकट

रेती ढुलाई पर प्रतिबंध से जरुरतमंद निर्माता फर्मों और मजदूरों पर संकट

टेकचंद्र शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

 

नागपुर। जिला नागपुर विदर्भ प्रदेश की अधिकांश नदियों और रेती घाटों से रेती आपूर्ति बन्द कर दिये जाने से लघु औधोग,सडक-भवन निर्माता फर्म और हजारों- लाखों श्रमिकों पर बेरोजगारी जैसा आर्थिक संकट का सामना करना पड रहा है. इसका दुष्परिणाम जरुरतमंद जनता-जनार्दन और नागरिकों को भुगतना पड रहा है.हालकि समस्त निर्माता रेती उपलब्ध के लिए राजस्व दण्डाधिकारी कार्यालय मे रायल्टी रकम भुगतान करता है.इसके बावजूद भी झूठी शिकायतों पर रेती परिवहन व्यवस्थापक और निर्माता को पुलिस परेशान करती है. इससे न कि भवन और औधोग धंधे तथा कल कारखानों को भुगतना पड रहा है. बल्कि आने वाले निकट भविष्य में आम चुनाव मे सत्तारूढ राजनैतिक पार्टीयों के नेताओं और उम्मीदवारों को बुरी तरह पराजय का सामना करना पड सकता है.

हालकि आम निकाय चुनाव मे पूर्ण बहूमतों से विजय पाने के लिए कुछेक राजनैतिक गलियारों ने खूबसूरत अधेड किस्म की बालबच्चेदार महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारने का मन बना लिया है.उसरी तरफ पुरानी अनुभव कुशल और समाज की आदर्शवान बहन- बहू और बेटियों का समाज और परिवार सबंधित अपनी पार्टी के मुखिया से सख्त नाराज होना स्वाभाविक है. वैसे भी ईश्वर द्धारा निर्धारित नैसर्गिक नियमों का उलंघन की वजह से सबंधित राजनेताओं के जीवन किसी भी क्षण असमय अकाल मृत्यू का खतरा मंडरा सकता है. बताते हैं कि अन्यायी राजनैतिक गलियारों पर नैसर्गिक संकट का कहर आ सकता है? हालकि अधिकांश राजनैतिक गलियारे किसी धर्म-कर्म और नैसर्गिक नियमों को मानते नहीं. मात्र अपने पार्टी हाईकमान को बेहद खुश रखने के उद्देश्य से दिखावा और वाही वाही ढोंग धतूरा यानी सस्ति लोकप्रियता के लिए कुछ भी करते रहते हैं. .राजनैतिक गलियारों से मिली खबर के मुताबिक किसी की बेरोजगारी और भुखमरी से राजनेताओं को कोई लेना देना नहीं है. काम अपना बनता और भांड में गई जनता की कहावत चरितार्थ हो रही है. यदी राजनेताओं के माध्यम से देश और गरीब समाज की बेरोजगारी और भुखमरी दूर हो सकती है तो प्रत्येक चुनाव मे जनता-जनार्दन को नेताओं के झूठे अश्वासन और विश्वासघात का शिकार गरीब नागरिकों नहीं होना पडता था?

दरअसल मे रेती घाट बन्द कर दिए जाने का नतीजा वर्षांत के दिनों मे नदियों का बेहद जलस्तर बढने से किसानों की खेत भूमि का कटाव तथा कृषि भूमि की फसल वर्बाद हो रही है.

विशेष उल्लेखनीय है कि नदियों मे अपार और प्रचुर मात्रा मे रेती का भंडारण होने से प्रतिवर्ष नदियों का करोडों-अरबों मीट्रिक टन रेती समुद्र मे भरने से महासागर मे शमा रहा है। परिणामस्वरूप समुद्र ज्वारभाटा और सुनामी के प्रकोप से तटीय लाखों देहात गांव शहर और महानगरों मे तबाही का मज्जर का दावानल से पर्यटन स्थल और प्रथ्वी पर बडा अकाल संकट मंडराने का खतरा महसूस हो रहा है.जानकारों की माने तो इसके लिए अगर कोई जिम्मेदार है तो वह राजनैतिक गलिया को जिम्मेदार और जबावदार माना जाएगा?

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