टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री
भोपाल. मध्यप्रदेश में विधानसभा की 230 में से लगभग 70 सीटें ऐसी हैं, जहां जाति और धर्म बहुल होने का प्रभाव चुनाव पर पड़ता है। इसे ध्यान में रखकर ही राजनीतिक दल जाति के नाम पर वोट मांगते हैं। राज्य में सबसे ज्यादा रीवा, सतना और सीधी में जातिगत समीकरण के आधार पर चुनाव लड़ा जाता है। यहां ब्राह्मण, ठाकुर और कुर्मी पटेल (ओबीसी) जाति के लोग चुनावी समीकरण बनाते और बिगाड़ते हैं।
रहा सबाल सतना जिले की सीटों में ब्राह्मण और वैश्य समाज के लोग किसी भी पार्टी के उम्मीदवार के जीतने और हारने में अहम भूमिका निभाते हैं।
जबकि चित्रकूट सीट पर ठाकुरों का प्रभाव है। यही वजह है कि कांग्रेस हो या भाजपा या फिर अन्य दल, सभी ने अधिकांश ब्राह्मण उम्मीदवारों पर दाव लगाया है। जबकि रीवा का चुनाव ब्राह्मण और कुर्मी पटेलों पर निर्भर रहता है।
पिछले विधानसभा चुनाव में रीवा की आठ में से छह सीटों पर ब्राह्मण और दो सीटों पर ठाकुर उम्मीदवार जीते थे। यहां ब्राह्मण और ठाकुरों ने एक दूसरे का समर्थन किया था।
– इसी तरह उत्तरप्रदेश सीमा से लगी मध्यप्रदेश के ग्वालियर और सागर संभाग की कई सीटों पर भी जातियों को प्रभाव रहता है।
सागर : 31 साल से जैन ही विधायक
– सागर शहर विधानसभा सीट से पिछले 31 साल में तीन विधायक रहे। तीनों ही जैन। दरअसल,जैन समाज के यहां 50 हजार से ज्यादा जैन वोटर हैं।
– कांग्रेस हो या भाजपा, दोनों ही दल जैन वोटरों को आधार मानते हुए उम्मीदवार का चयन करते हैं। इस सीट से प्रकाश जैन (कांग्रेस), सुधा जैन (भाजपा) विधायक रहे। वर्तमान में शैलेंद्र जैन (भाजपा) इस सीट से विधायक हैं।
मैहर उपचुनाव : ब्राह्मण-पटेल में हुआ मुकाबला
– मैहर उप चुनाव में ब्राह्मण और पटेल के बीच सीधा मुकाबला हुआ। सपा ने सबसे पहले ब्राह्मण रामनिवास उरमलिया को प्रत्याशी बनाया। जबकि, भाजपा पहले ही नारायण त्रिपाठी को प्रत्याशी बना चुकी थी।
– बहुजन समाज पार्टी कुर्मी पटेल प्रत्याशी पूर्व विधायक रामलखन पटेल को उतारकर बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए कांग्रेस प्रत्याशी मनीष पटेल की मुश्किलें बढ़ा दी थी। हालांकि, जीत ब्राह्मण उम्मीदवार त्रिपाठी की हुई थी