नागपूर के कोराडी परिसर में देखे गये लकडबग्गे

 

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री:सह-संपादक की रिपोर्ट

कोराडी विधुत परियोजना परिसर के जलाशय परिसर मे दुर्लभ और खतरनाक जंगली जीव धारीदार लकडबग्घा के झुंड को विचरण करते देखा गया है।
वन्य प्राणी विशेषज्ञों की माने तो यह धारीदार लकडबग्घा रात में और भी खतरनाक हो जाता है ये जीव, अजीबोगरीब आवाजों और संकेतों भी करता है।
हाएना यानी लकड़बग्घा सवाना (उष्णकटिबंधीय घास के मैदानों) और मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के जंगलों में पाया जाता है। यह चार प्रकार का होता है, धब्बेदार, भूरा, धारीदार और कीटभक्षी प्राणी माना जाता है। इसका मुख्य भोजन बकरे, कुत्ते, लोमडी, और जंगली सुअरों को बडी सफलता से समूह के साथ घेराव करके मार गिराते और सफाचट कर जाते हैं?यह जानवर शिकार के लिए रात्रिकाल मे निकलता है और दिनभर घनी झाड़ियों मे छिपे रहते हैं?
यह आकार के आधार पर भी भिन्न होता है। सबसे बड़ा हाएना करीब 35 इंच ऊंचा और वजन में 90 पाउंड का होता है। सबसे छोटा कीटभक्षी हाएना होता है, जो 20 इंच ऊंचा और वजन में 60 पाउंड का होता है।
नर की तुलना में मादा अधिक लंबी और प्रभावशाली होती है। ये समूह में रहते हैं। इनमें कीटभक्षी लकड़बग्घा दीमक खाता है। यह रात्रिचर होता है। एक-दूसरे के साथ बात करने के लिए विभिन्न ध्वनियों, मुद्राओं और संकेतों का उपयोग करता है।
कुछ हाएनाज नरभक्षी होते हैं। युवावस्था में ये एक-दूसरे को मारकर खा जाते हैं। मादा हाएना एक बार में दो से चार शावकों को जन्म देती है। वह करीब चार हफ्तों तक जन्म देने वाली जगह पर ही, उनकी देखभाल करती है।
शावक पांच महीने के होते-होते मांस खाना शुरू कर देते हैं। जंगली हाएना का जीवनकाल 10 से 12 और पालतु का करीब 25 साल होता है। खापरखेडा के इंदिरा नगर चिचोली बीना और डोरली के चरवाहों ने अनेक मर्तबा इस प्रकार के जानवरों को कोलार कन्हान नदी तट तथा उथले तालाब जलाशय किनारे देखा गया है।

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