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मिरगी रोग निवारण के लिए कृत संकल्पित हैं स्वास्थ्य चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ.नागेंद्र शर्मा?

मिरगी रोग निवारण के लिए कृत संकल्पित हैं स्वास्थ्य चिकित्सा विशेषज्ञ डा नागेंद्र शर्मा?

 

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

 

जोधपुर। राजस्थान के डॉ. नागेन्द्र नारायण शर्मा यानि एक ऐसा शख्सियत जो आज किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं। सार्वजनिक जीवन में वैसे तो डॉक्टर को भगवान का ही दर्जा प्राप्त है, तथा बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो इसे अपनी कर्मशीलता के माध्यम से अमली जामा पहनते हैं। जोधपुर के वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ. नागेन्द्र शर्मा ऐसे ही शख्स हैं जिन्होंने सही मायने में अपने आप को इस रूप में साबित किया है। मर्ज की दुनियां से ‘मिर्गी रोग’ को जड़-मूल से खत्म करने को संकल्पित डॉ. शर्मा आज इस बीमारी से पीड़ित भगवान बन चुके हैं । जोधपुर के जाने-माने रोग विशेषज्ञ/वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डॉ. नागेन्द्र शर्मा पिछले 17 वर्षों से लगातार प्रत्येक माह की 30 तारीख को रात्री अस्पताल में मिर्गी के दौरे के इलाज के लिए नि:शुल्क शिविर आयोजित करते आ रहे हैं। डॉ. शर्मा की ओर से 30 नवंबर 2015 को 203वें शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें उनकी योग्यता की जांच कर उन्हें विधिवत रूप से दवाएं उपलब्ध कराई गईं।

 

डॉ. शर्मा के मिर्गी रोग को खत्म करने और खासकर मिर्गी के दौरे को इस बीमारी की जकड़न से मुक्त कराने के संकल्प के चलते मेरे जेहन में भी डॉ. शर्मा को लेकर कुछ जिज्ञासाओं ने जन्म लिया और मैं उनसे मिलने उनके पंचवटी कॉलोनी स्थित आवास पर पहुंच गया। डॉ. शर्मा को जानने-समझने के लिए बैठा तो एहसास हुआ कि पश्चिमी राजस्थान/मारवाड़ में आज भी अनेक मिर्गी रोगी हैं। डॉ. शर्मा हर माह की 30 तारीख को न केवल शिविरों में नि:शुल्क जांच और इलाज करते हैं, बल्कि पूरी तन्मयता से जागरूकता फैलाने का काम भी कर रहे हैं। पश्चिमी राजस्थान में डॉ. शर्मा से अब तक करीब 52500 मिर्गी रोगी सर्वेक्षित हो चुके हैं । डॉ. शर्मा से यह जानने को मिला कि मिर्गी के दौरे में 60 प्रतिशत भूमिका सड़क पर लिखी गई है। उनके अनुसार, सड़क दुर्घटना के दौरान सिर में चोट लगने के बाद अधिकांश मामलों में मरीज मिर्गी रोग का शिकार हो जाते हैं। डॉ. शर्मा ने कहा कि अब समय आ गया है जब मिर्गी रोग के साथ-साथ लोगों को विशेष रूप से सदक़ा सुरक्षा लेकर अपराधी होना होगा।

 

अब मिशन ‘सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता’

डॉ. शर्मा का कहना है कि मिर्ची रोग और बढ़ती हुई सदक़ों को देखते हुए इन दोनों विषयों को कॉलेज और पर्वतीय शिक्षा की सीढ़ियों में शामिल करने की नितांत आवश्यकता होती है। डॉ. शर्मा के अनुसार अब उनका मिशन सदा सुरक्षा के प्रति जागरूकता लेकर आएगा। इसके तहत वे अपना पहला व्याख्यान सितम्बर 2015 में जोधपुर के सरदार पटेल पुलिस महाविद्यालय में राज्य सरकार की ओर से पुलिस महाविद्यालय, परिवहन विभाग और यातायात पुलिस के संयुक्त निरीक्षण में आयोजित कार्यक्रम में दे चुके हैं। जाहिर है, इस संदर्भ में उन्होंने बकायदा राजस्थान पुलिस के प्रमुख मनोज भट्ट और प्रदेश के परिवहन विभाग को विशेष तौर पर सुझाव भी भेजे हैं। डॉ. शर्मा के अनुसार, उनके द्वारा वर्षों से किए जा रहे मिर्गी के इलाज और जागरूकता के प्रयासों के बावजूद मारवाड़ में मिर्गी के बढ़ते खतरे चिंताजनक हैं। विश्व की आबादी का एक प्रतिशत हिस्सा, भारत का तीन प्रतिशत और पश्चिमी राजस्थान में करीब 4.5 प्रतिशत व्यक्ति इस बीमारी का शिकार हैं।

 

‘एक सफर उम्मीद का..’ से हुई थी साधना

वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ. नागेन्द्र शर्मा मिर्गी रोग में इजाफे के कारण अंधविश्वास, अज्ञानता, पिछड़ापन और अशिक्षा के साथ जागरूकता के अभाव को मानते हैं। 17 साल पूर्व मिर्गी के दौरे के लिए ‘एक सफर उम्मीद का..’ से अपना सफर शुरू करने वाले डॉ. शर्मा से ज्ञात हुआ कि इस वर्ष अब तक करीब 3200 मरीज सामने आए हैं, जिनमें मारवाड़ के विभिन्न जिलों के अलावा गुजरात, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के मरीज इलाज के लिए जोधपुर पहुंचे हैं। डॉ. शर्मा का कहना है कि शिविरों के माध्यम से लोगों में जागरूकता आई है, लेकिन अभी भी खुशी से सडक़ सुरक्षा लेकर लोगों का असुरक्षित होना बेहद जरूरी है। दो पैर वाहन चालकों को चेहरे से वे संदेश देते हैं कि हेलमेट अनिवार्य रूप से लगाया जाता है क्योंकि सिर में चोट लगने के बाद मिर्गी की संभावना सबसे अधिक रहती है । डॉ. शर्मा के अनुसार मिर्गी की बीमारी को लेकर आम आदमी को गुमराह करना सहित इस बीमारी को जड़ मूल से खात्मे के लिए वे संकल्पित हैं तथा इसके चलते उनका अभियान अनवरत रूप से जारी रहेगा।

 

‘मिर्गी रोग’ का सही अर्थ है मस्तिष्क की बीमारी

मिर्गी रोग सही मायने में मस्तिष्क की बीमारी हैं। मस्तिष्क में 8 बिलियन न्यूरॉन होते हैं। न्यूरॉन इलेक्ट्रिसिटी में पैदा होते हैं। बिजली का प्रभाव बाहर नहीं निकला है इसलिए हर न्यूरो के चारों ओर और माइलिन शीट होती हैं। मिर्च के बादलों में कुछ न्यूरोन की माइलिन शीट टूट जाती हैं, जिससे करंट बाहर आकर अन्य न्यूरोन को झटके देता है। यही झटके ताने कहलाते हैं। मिर्गी रोग का पता ईईजी जांच से चलता है। वरिष्ठ न्यूरोसर्जन/मिर्गी रोग विशेषज्ञ डॉ. नागेन्द्र शर्मा के अनुसार ‘मिर्गी’ का दौरा 15 से लेकर 45 सैकेण्ड तक आता है। इसके बाद 2 से 3 मिनट तक रोगी के कोशिकाओं को सामान्य होने में लगता है। 10 से 15 मिनट में मरीज पूरी तरह से सामान्य हो जाते हैं। गांव वाले भोपे और देवी देवताओं के हाथ-हाथ स्मरण व ध्यान करवाते हैं। दस मिनट में रोगी वैसे ही सामान्य होने वाला होता हैं। ऐसे में भोपों की चाल चलती हैं। डॉ. शर्मा के अनुसार यही मूल बात लोगों के लिए समझने वाली है कि जाड़-फूक/तंत्र-मंत्र या देवी-देवताओं का ध्यान देने से कुछ देर बाद सामान्य अवस्था में आ जाना रोगी का इलाज नहीं हो पाता है, अपितु वह एक सामान्य प्रक्रिया है। रोगी का सही व स्थायी इलाज समयबद्ध चिकित्सा ही है । डॉ. शर्मा के अनुसार मिर्गी आने पर रोगी को तुरन्त लेटा देना चाहिए।

 

12 हजार रोगी स्वस्थ्य हो रहे हैं सामान्य जीवन

डॉक्टर सर्जन डॉ. नागेन्द्र शर्मा के अनुसार उनके इतने वर्षों के प्रयास अब सच्चे रंग लाने लगे हैं, उनके अनुसार थार प्रदेश के निजी और सरकारी अस्पतालों में मिर्गी की बढ़ती घटनाएं इस बात का द्योतक हैं। डॉ. शर्मा का मानना ​​है कि अब लोग यह महसूस करने लगे हैं कि मिर्च का सही इलाज ही है, झाड़-फूंक/तंत्र-मंत्र अथवा अंधविश्वास/जादू-टोना नहीं। डॉक्टर सर्जन डॉ. शर्मा के अध्ययन के अनुसार मिर्गी रोग से ग्रसित 96 प्रतिशत रोगी अंधविश्वास, जादू-टोना और झाड़-फूंक करने के बाद डॉक्टर के पास पहुंचते हैं, तब तक रोगी का रोग बहुत ही विकृत अवस्था में पहुंच जाता है। डॉ. शर्मा से चिकित्सा प्राप्त आंकड़ों में करीब 12 हजार लोग पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं और वे अपनी सामान्य जीवन जी रहे हैं।

 

सामाजिक सरोकारों में भी बढ़-चढ़ कर भागीदारी

वरिष्ठ न्यूरोसर्जन/मिर्गी रोग विशेषज्ञ डॉ. नागेन्द्र शर्मा अपनी फैशन जिम्मेदारी के साथ ही सामाजिक सरोकारों में भी बढ़-चढ़ कर सहभागिता का काम करते हैं। फिर चाहे वह सामाजिक स्तर पर हो या अपने व्यक्तित्व विशेषज्ञ से संबंधित विभिन्न अंगों से तालुक रखने वाली अहम आकृति का हो.. डॉ. शर्मा अपने लोगों की बखूबी जिम्मेदारी से निपटते हैं। पिछले दिनों श्री जूना पादपति बालाजी मंदिर परिसर, जोधपुर में आयोजित चातुर्मास महोत्सव के दौरान श्री सम्प्रदाय(रामावती) एवं राम भक्ति परंपरा की मूल आचार्य पीठ ‘श्री मठ’ पंच गंगा घाट-काशी के जगद्गुरु रामानंदाचार्य पद प्रतिष्ठित रामनरेशाचार्य के हाथों अति विशिष्ट सम्मान ‘रामभावाभिषिक महानुभाव अभिनन्दन पत्र’ से नवाजे जा चुके डॉ. शर्मा अपनी बेहतरीन कर्मशीलता के चलते अब तक कुल 19 बार सम्मानित हो चुके हैं । राजस्थान स्वास्थ्य विश्वविद्यालय द्वारा सिंडीकेट सदस्य के रूप में नियुक्ति, राज्य सरकार द्वारा मिर्गी रोग पर हिन्दी में पुस्तक प्रकाशित करने के लिए ‘हिन्दी सेवा सम्मान’ एवं मेहरानगढ़ संग्रहालय ट्रस्ट की ओर से ‘राव जोधा स्मृति पुरुष/मारवाड़ रत्न’ जैसे शीर्षकों का उपयोग किया जाएगा। प्रतिष्ठित सम्मान डॉ. शर्मा प्राप्त कर चुके हैं।

 

एक चिकित्सक के साथ एक उत्कृष्ट इंसान के रूप में अपनी योग्यता को पूरा करने के लिए जोधपुर ईद मिल्लादुन्नबी सोसायटी द्वारा ‘समाज रत्न’, पश्चिमी राजस्थान के ग्रामीण इलाकों के साथ-साथ आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के लिए अनुकरणीय योगदान के लिए ‘वीर दुर्गादास स्मृति पुरस्कार’, जोधपुर म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन की ओर से ‘जोधपुर गौरव अलंकरण’, मरुधरा पत्रकार संस्थान द्वारा ‘मरुधरा मीडिया फेलो’, अंतर्राष्ट्रीय समन्वयक परिवार की ओर से ‘मानवता के प्रति समर्पित नर नारायण सेवा सम्मान’ , टाइम्स ग्रुप द्वारा ‘फुट प्रिंट्स’, वृक्षारोपण क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यो के लिए ‘वृक्ष बंधु पुरस्कार’, मारवाड़ ग्रुप फॉर एज्युकेटिंग पीपल एंड फ्री सर्विस टू सोसायटी द्वारा ‘मारवाड़ रत्न’, पिछली भाजपा सरकार के स्वास्थ्य मंत्री दिगंबरसिंह के हाथों ‘मीडिया फेलो’, स्वतंत्रता दिवस पर जिला कलेक्टर द्वारा बहुमान, हिमालया फार्मा द्वारा न्यूरोसर्जरी क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्यो के लिए ‘हेल्थ एक्सीलेंस अवार्ड’, लॉयन(पश्चिमी जोधपुर क्लब जोन) द्वारा ‘विशिष्ट जन सम्मान’ और जोधपुर स्वयं सेवी संस्थान संघ की ओर से ‘डेडिकेटेड टू ह्यूमेनिटी’ जैसे महत्वपूर्ण पुरस्कार प्राप्त करने के साथ ही जोधाणा फोटो जर्नलिस्ट सोसायटी के हाथों में डॉ. शर्मा सम्मानित हो चुके हैं।

 

‘मिर्गी रोग’ से संबंधित पुस्तक का प्रकाशन

सामाजिक सरोकार की समझ रखने वाले डॉ. नागेन्द्र शर्मा अपनी जीवनशैली के बावजूद, अपने व्यक्तियों का सर्वोत्तम तरीके से पालन करते हुए, अपने व्यक्तियों का सर्वोत्तम पालन कर रहे हैं। डॉ. शर्मा वर्तमान में राजस्थान ब्राह्मण महासभा से संबद्ध होने के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय ब्राह्मण महासंघ-जोधपुर इकाई (ग्रामीण अध्यक्ष), गौड़ ब्राह्मण महासभा (राजस्थान) के प्रदेश संरक्षक के तौर पर सामाजिक क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसके अलावा प्राइवेट डॉक्टर एसोसिएशन (एम्पोज) जोधपुर-अध्यक्ष, शेखावटी समाज संस्थान-जोधपुर इकाई के अध्यक्ष और उत्तर-दक्षिण फाउण्डेशन स्कॉलरशिप जैसी अति-महत्वपूर्ण संस्था में घनिष्ठ सदस्य अपनी प्रतिबद्धता का निर्माण कर रहे हैं। वरिष्ठ न्यूरोसर्जन/मिर्गी रोग विशेषज्ञ डॉ. नागेन्द्र शर्मा द्वारा लिखित पुस्तक ‘मानव मस्तिष्क और मिर्च’ का प्रकाशन वर्ष 2005 में हुआ। डॉ. शर्मा की एक अन्य पुस्तक ‘मिर्गी : कारण और चोट’ भी प्रकाशित हो चुकी है, जिसका अति-जल्द विमोचन होने वाला है।

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