केजरीवाल को लेकर उद्धव ठाकरे ने BJP पर साधा निशाना
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
मुमुंबई। यूबीटी ने सामना के जरिए बीजेपी, सीबीआई और ईडी को घेरा है. उन्होंने कहा कि बीजेपी अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ इन एजेंसियों के माध्यम से कार्रवाई करवाती है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद जेल से रिहा किया जा चुका है. कोर्ट ने उन्हें जमानत देते हुए सीबीआई और केंद्रीय जांच एजेंसियों पर भी प्रहार किया है. इसको लेकर ‘सामना’ अखबार ने भी जांच एजेंसियों को घेरा है. उन्होंने कहा कि इन एजेंसियों के हालात ऐसे बन गए हैं कि इन बेशर्मों को न तो डर है और न ही कोई चिंता. अरविंद केजरीवाल का पक्ष लेते हुए ‘सामना’ में कहा गया है कि किसी को लंबे समय तक जेल में रखना, उसकी स्वतंत्रता छीनने का प्रयास है. इसके लिए सीबीआई प्रमुख को नैतिकता के आधार पर अपना पद छोड़ देना चाहिए.
‘उद्धव ठाकरे ने सीबीआई और ED को पिंजरे का तोता बताया है’
‘सामना’ में लिखा गया, “सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद आबकारी नीति मामले के सभी आरोपी एक के बाद एक छूटते चले गए. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई, ईडी को फटकार लगाते हुए उनकी निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए. इसका मतलब है कि बीजेपी अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ इन एजेंसियों के माध्यम से कार्रवाई करवाती है.”
संपादकीय में आगे लिखा है “सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय एजेंसियों को पिंजरे का तोता बताया है जो वहीं बोलता है जो उसका मालिक कहता है. दिल्ली में शराब घोटाले में किस तरह मनी लॉन्ड्रिंग हुई और इसका पैसा किसके खाते में गया. इसको लेकर सीबीआई और ईडी कोई सबूत नहीं पेश कर पाई. इसके लिए इन एजेंसियों ने सैंकड़ों छापे भी मारे. कुछ लोगों को गिरफ्तार कर उनसे मनमर्जी बयान लेकर उन्हें आजाद कर दिया गया. उनको आजादी ऐसे ही नहीं दी गई बल्कि उनसे बीजेपी ने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए करोड़ो की वसूली भी की.
बीजेपी पर भी साधा निशाना
बीजेपी पर निशाना साधते हुए ‘सामना’ में कहा गया, “इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग बीजेपी के खातों में हुई है. लेकिन, सीबीआई और ईडी ने उन्हें समन तक नहीं भेजा. इस मामले में कुछ आरोपियों को माफी का गवाह बनाकर उनसे अरविंद केजरीवाल और उनके अन्य नेताओं के खिलाफ गवाही दिलवाई गई, जो सीधे तौर पर कानून का दुरुपयोग है. बिना किसी सबूत के ही उनकी गिरफ्तारियां कर जेल में डाल दिया गया, जो सीधे तौर पर मानवाधिकार का उल्लंघन भी है.
‘सामना’ में लिखा गया, “मनी लॉन्ड्रिंग और पीएमएलए अधिनियम को अगर वास्तविक तौर पर कार्यान्वित करने का निर्णय लिया जाए तो महाराष्ट्र के 55 बीजेपी समर्थक विधायक जेल जाएंगे. उनके मंत्री से लेकर सांसद तक जेल जाएंगे. अगर ईडी और सीबीआई फिर भी इन अपराधियों को आजाद छोड़ती है तो समझ लिजिए कि वो सिर्फ बीजेपी के विरोधियों को जेल के अंदर डालती है