अमेरिका को घोर कर्ज के संकट से बचाने के लिए अब रिपब्लिकन और डेमोक्रेट के पास समय बहुत ही कम बचा है।हालकि कर्ज की सीमा को बढ़ाने पर जून से पहले सहमति नहीं बनी तो अमेरिका दिवालिया हो भी हो सकता है। अमरिका के वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान और नेताओं मे सदमे की स्थिती पैदा हो रही है? हमने माना कि अमेरिका पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था की धुरी है। इसलिए इसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी पड़ने बाला है । बताते है कि अमरिका पूरी दुनिया भर मे सबसे अधिक चालाक और कूटनीतिज्ञ देश है।परंतु कुदरत का करिश्मा के आगे कोई नहीं ओवरटेक नहीं कर सकता है?
अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार व्हाइट हाउस और कांग्रेस (अमेरिकी संसद) में रिपब्लिकन ने संकेत दिए हैं कि बातचीत सकारात्मक दिशा में जा रही है। लेकिन फिर भी लोगों में बेचैनी बनी हुई है। ऐसे में अंतिम उपाय के रूप में एक खरब अमेरिकी डॉलर की कीमत के प्लैटिनम के सिक्के की चर्चा है। यह सिक्का देश को डिफॉल्ट या दिवालिया होने से बचा सकता है। यह आइडिया विलमेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रोहन ग्रे ने दिया है। उन्होंने कहा, ‘अगर आपको दिवालिया होने और मुद्रा छापने में कोई एक चुनना हो तो आप क्या करेंगे। कार्यपालिका दिवालिया होने की इजाजत नहीं दे सकती है।’
अमरीकी विशेषज्ञों के अनुसार 1997 में बना एक कानून अमेरिका के ट्रेजरी सेक्रेटरी को किसी भी कारण से और कितनी भी कीमत के प्लैटिनम सिक्के ढालने की इजाजत देता है। हालांकि, ट्रेजरी सेक्रेटरी जैनेट येलेन ने इस आइडिया को खारिज कर दिया है। लेकिन बाइडन प्रशासन के कुछ अधिकारी इस बारे में सकारात्मक सोच रखते हैं। अगर सरकार ऐसा फैसला करती है तो सरकारी टकसाल (मिंट) एक खरब डॉलर का सिक्का ढालेगी, जिसे लोग खरीद सकेंगे। इससे अमेरिका दिवालिया होने से बच जाएगा।
मिंट के पूर्व प्रमुख फिलिप डिएल ने एक इंटरव्यू में कहा, ‘मिंट को सिक्के पर एक खरब डॉलर लिखकर फेडरल रिजर्व को भेज देना है। यह प्लैटिनम सिक्का जेब में रखा जा सकता है। यहां तक कि सिक्के पर एक खरब में जितने शून्य होते हैं, उसे भी लिखने की जरूरत नहीं है। वहां बस एक ट्रिलियन डॉलर लिखना काफी होगा। सवाल है कि जब लिख कर ही किसी सिक्के की कीमत तय करनी है तो प्लैटिनम का सिक्का ही क्यों? असल में अमेरिकी कानून के मुताबिक 50 डॉलर से अधिक मूल्य के सिक्के के लिए प्लैटिनम धातु का इस्तेमाल अनिवार्य है।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दिवालिया होने से बचने के लिए एक खरब डॉलर के सिक्के को जारी करने का आइडिया पहली बार 2010 में एक ब्लॉग में कार्लोस मूचा नाम के अटलांटा के एक वकील ने दिया था। कार्लोस ने अपने एक लेख में 1997 के करेंसी एक्ट का हवाला दिया था। लेकिन 2011 तक यह सार्वजनिक बहस का मुद्दा नहीं बना, जब तक बराक ओबामा के पहले कार्यकाल में कर्ज का संकट नहीं आया था। उन दिनों 7,000 लोगों के हस्ताक्षर वाला एक पत्र प्रकाशित किया गया था, जिसे बड़े-बड़े अर्थशास्त्रियों का समर्थन मिला था।
वैसे अमेरिकी ट्रेज़री सेक्रेटरी जैनेट येलेन ने एक खरब डॉलर के सिक्के जारी करने के विकल्प से इनकार किया है। येलेन ने एक इंटरव्यू में कहा था कि यह एक धोखा होगा। इधर कर्ज की सीमा बढ़ाने की जो बाइडन की अपील पर रिपब्लिकन सहमत नहीं हो रहे हैं। उनकी मांग है कि सार्वजनिक खर्चों में कटौती की जाए। स्पष्ट है कि बाइडेन सरकार के लिए आगे की राह आसान नहीं है। जिसे लेकर अमरिकी नागरिकों मे गहन चिंतन का विषय बना हुआ है। इसे कहते हैं उपर वाले की मार यानी प्राकृतिक परमात्मा के यहां देर है परंतु अंधेर नहीं?