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वायु प्रदूषण के कारण नागपुर वासियों के फेफड़ों पर असर!

नागपुर : आज 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है। दुनियाभर में प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण को संरक्षण देने और सुरक्षित रखने के उद्देश्य से लोगों को जागरूक करने के लिए प्रतिवर्ष पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। पर्यावरण को क्षति पहुंचाने का एक कारण वायु प्रदूषण है। प्रदूषित वायु प्रकृति पर जितना असर करती है, उतना ही घातक मानव शरीर के लिए भी होती है।
प्राणघातक वायू प्रदूषण बढने का मुख्य कारण यह है कि सडकों पर निरंतर दौड रहे हजारों वाहनों के साइलेंसर से निकलने वाला जहरीला कार्वनडाय आक्साइड की वजह से लोगों के फेफड़े खराब किडनी इन्फेक्शन और अस्थमा के शिकार नागरिकों मे त्राहिमांम मचा हुआ है?
मात्र नागपुर ही नहीं अपितु संपूर्ण भारतवर्ष के कई शहरों और महामार्ग से सटे हुए नगर शहर देहात गांव गंभीर वायु प्रदूषण की चपेट में है, जिसमें दिल्ली का नाम भी शामिल है। वायु प्रदूषण के लगातार संपर्क में रहने से फेफड़ों पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है। प्रदूषित वायु में सांस लेने से हानिकारक तत्व आपके वायु मार्ग से होते हुए फेफड़ों में चल जाते हैं। इस कारण कई प्रकार की गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, प्रदूषण के कारण हृदय और फेफड़ों को शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। जिससे फेफड़ों की क्षमता कमजोर हो जाती है। हालांकि योगासनों के अभ्यास से फेफड़ों को मजबूत बनाने के लिए दिनचर्या में योग आसनों को शामिल कर सकते हैं। योग के अभ्यास की आदत श्वसन विकारों को दूर करने के साथ ही फेफड़ों को मजबूती देते हैं। आइए जानते हैं फेफड़ों की मजबूती के लिए लाभकारी योगासन जरुरी है।
संपूर्ण शरीर के स्वास्थ्य के लिए कपालभातिप्राणायाम लाभकारी माना जाता है। कपालभाति मानसिक और शारीरिक दोनों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। कपालभाति प्राणायाम फेफड़ों को मजबूत बनाने के साथ ही श्वसन संबंधित बीमारियों के जोखिम को कम करता है। वायु मार्ग से बलगम को साफ करने, सूजन को कम करने और फेफड़ों की क्षमता में सुधार करने में मदद करता है। वायु प्रदूषण के जोखिमों से बचाव के लिए नियमित रूप से इस योग का अभ्यास करें।
फेफड़ों की विसंगतियों को दूर करने के लिए सुखासन का अभ्यास कर सकते हैं। यह फेफड़ों में रक्त के प्रवाह को बढ़ावा देकर फेफड़ों की मांसपेशियों से हानिकारक विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है। जो लोग सांस की बीमारियों से पीड़ित हैं, उन्हें नियमित रूप से सुखासन का अभ्यास करना चाहिए।
भुजंगासन योग या कोबरा पोज, न केवल मानसिक शांति के लिए बेहतर अभ्यास है साथ ही छाती और फेफड़ों के लिए भी इसको काफी कारगर माना जाता है। रीढ़ को मजबूत करने और अस्थमा के लक्षणों से राहत दिलाने वाले इस योगासन को कमर दर्द की समस्या में भी लाभकारी पाया गया है। भुजंगासन योग के नियमित अभ्यास की आदत हृदय रोगों के खतरे को कम करने में भी सहायक है।
विज्ञाप विशेषज्ञों के सुझावों के आधार पर तैयार किया गया है। आसन की सही स्थिति के बारे में जानने के लिए किसी योगगुरु से संपर्क कर सकते हैं।
डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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