वाराणसी में तीन दिवसीय चल रही जी-20 बैठक में सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो संदेश के माध्यम से प्रतिनिधियों का स्वागत किया। बैठक में दुनिया की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाने वाले जी20 देशों के विकास मंत्रियों ने भारत के वसुधैव कुटुंबकम की धारणा को आत्मसात किया और सभी तरह की चुनौतियों से एक परिवार की तरह पार पाने के प्रस्ताव पर मुहर लगाई। भारत की तरफ से एक धरती, एक परिवार व एक भविष्य का प्रस्ताव रखा गया। इस पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने सहमति जताई।
हस्तकला संकुल में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर की अध्यक्षता वाले सम्मेलन में दक्षिणी गोलार्ध सहित दुनियाभर के सभी देशों की चुनौतियों पर चर्चा की गई। साथ ही कहा गया कि एक परिवार, एक भविष्य व एक पृथ्वी के संकल्प के साथ आगे बढ़ना है। कोरोना महामारी के बाद की स्थिति, जलवायु परिवर्तन और जरूरतमंद लोगों की मदद के वैश्विक प्रयासों को बढ़ाने पर सहमति बनी।
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जी-20 के विकास मंत्रियों की बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि सभी देश अपनी राष्ट्रीय परिस्थितियों और क्षमताओं के साथ मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ पर्यावरण और जलवायु को स्वच्छ बनाने की ठोस योजना बनाकर काम
खासकर विकासशील देश पर्यावरण संरक्षण में ज्यादा प्रभावी भूमिका निभाएंगे। विकास, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के बीच आपसी तालमेल बनाने पर जोर दिया गया ताकि सतत विकास की अवधारणा के लक्ष्य को हासिल किया जा सके।
जी20 की बैठक में लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की बात कही गई और तय हुआ कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैठक करके इस दिशा में ठोस निर्णय लिया जाएगा। सबके साथ और प्रयास से विकास की प्रक्रिया से कोई वंचित नहीं रहेगा। किसी भी परिस्थिति में कोई व्यक्ति पीछे नहीं छूटेगा।
सभी देशों के विकास मंत्रियों ने एक स्वर में कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए व्यक्तिगत के साथ सामूहिक प्रयासों को प्रोत्साहित किया जाएगा।
जी20 देशों के विकास मंत्रियों के सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने आने वाले सात वर्षों के लिए 17 लक्ष्य तय करने के प्रस्ताव दिए। सभी देशों की तरफ से निर्धारित लक्ष्य पर सामूहिक भागीदारी का संकल्प लिया गया। विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया कई तरह के संकटों का सामना कर रही
सम्मेलन में चर्चा के दौरान यह बात सामने आई कि जलवायु परिवर्तन का प्रतिकूल प्रभाव कम विकसित और छोटे द्विपीय विकासशील देशों पर पड़ रहा है। आपूर्ति शृंखला में व्यवधान, लंबे समय तक ऋण संकट, ऊर्जा, खाद्य और उर्वरक सुरक्षा पर दबाव के बीच वैश्विक आर्थिक सुधार की संभावनाएं अच्छी नहीं हैं।
इस पर भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने कहा कि जी-20 के रूप में इन विकासात्मक मुद्दों पर एकजुटता प्रदर्शित करने का यह उचित अवसर है। विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए ज्यादा संजीदा होना होगा। सभी देशों ने विकासशील देशों के सहयोग का भरोसा दिया है