MP में लाडली बहनों का मोहभंग : BJP जीती तो CM महाराजे सिंधिया और कांग्रेस जीती तो कमलनाथ।
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
भोपाल। मध्य प्रदेश में गत शुक्रवार हो हुई वोटिंग में 76 प्रतिशत से ज्यादा वोटिंग हुई। एमपी में मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच रहा है। यहां सरकार और विपक्ष की साइड वाली बेंचों पर कौन बैठेगा, इसका फैसला ईवीएम में कैद हो चुका है। राजनीतिक दलों के दिग्गजों ने इस बार भी चुनाव प्रचार में जमकर जुबानी तीर चलाए हैं, लेकिन वोटर साइलेंट रहे और कुछ जाहिर नहीं किया। अब तस्वीर 3 दिसंबर को साफ हो जाएगी।इधर भाजपा को विजयी बनाने के लिए BJP महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और उनकी टीम ने खूब पशीना बहाया है। जिसका कोई अंदाजा नहीं लगा सकता है।
मध्य प्रदेश में शुक्रवार को हुई वोटिंग में 76.55 फीसदी से ज्यादा वोट पड़े हैं। राज्य में सरकार किसकी बनेगी और विधानसभा में विपक्ष में कौन सी पार्टी बैठेगी, इसका फैसला ईवीएम मशीन में कैद हो गया है। भले ही राजनीतिक दलों के दिग्गजों ने रोड शो और चुनावी सभाओं में जमकर जुबानी तीर चलाए हों, लेकिन इस राज्य का वोटर इस बार भी साइलेंट ही रहा है, और उसने इस बार कुछ भी जाहिर नहीं होने दिया। फिर भी इतना तो साफ है कि इस इलाके में मुकाबला दो बड़ी पार्टियों के बीच ही है। दोनों दल बखूबी यह जानते हैं कि सत्ता में आने के लिए जिस ताले को खोलने की जरूरत होगी, उसकी चाबी मालवा-निमाड़ के वोटरों के ही पास है। यही वजह है कि इस बार भी इस इलाके में पीएम मोदी और दूसरे दिग्गजों के साथ-साथ गांधी परिवार ने भी आक्रामक प्रचार किया। वैसे, पिछले विधानसभा चुनाव में यहां के वोटरों ने कांग्रेस पर भरोसा जताया था। 66 सीटों वाले मालवा-निमाड़ के इलाके से कांग्रेस ने 35 सीटें जीती थीं और BJP ने 28 सीटें हांसिल की है।
मध्य प्रदेश चुनाव में सबकी नजरें बीजेपी कांग्रेस पर हैं।
खास बात यह कि 2013 में BJP ने यहां की 57 सीटें हासिल की थीं। यानी पिछले चुनाव में आदिवासियों, किसानों और व्यापारियों के इस गढ़ में कांग्रेस ने सेंध लगाकर भोपाल पर अपना दावा ठोका था। उस वक्त कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह ने नर्मदा परिक्रमा की थी। शायद इसलिए इस बार जब राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के लिए इस इलाके को चुना, तो किसी को हैरानी नहीं हुई। पिछले साल राहुल गांधी ने टंट्या भील के प्रति सम्मान भी दिखाया और उज्जैन में महाकालेश्वर के दर्शन भी किए। इस बार भी प्रियंका गांधी ने चुनाव प्रचार का आगाज धार के जैन तीर्थ मोहनखेड़ा में माथा टेकने के साथ किया। जाहिर है, कहीं ना कहीं इनकी नजरें भील आदिवासी वोट और ST की उन 22 सीटों पर रही है, जिनमें से 15 कांग्रेस ने पिछली बार अपने पाले में की थीं।
शिवराज की यह योजना फाइनल स्टेज में बीजेपी के लिए बनी ‘ब्रह्मास्त्र’, पीएम मोदी भी नाम ले रहे।
वहीं BJP मालवा को कितनी गंभीरता से ले रही है, इसका अंदाजा इसी बात से मिलता है कि वोट डाले जाने से ऐन पहले प्रधानमंत्री ने इंदौर में मेगा रोड शो कर प्रचार के आखिरी दौर में हवा अपने पक्ष में करने की पुरजोर कोशिश की। यहां के आदिवासियों को साधने के लिए सीधी कांड का डैमेज कंट्रोल करते हुए खुद पीएम मोदी को चुनावी सभा में कहना पड़ा कि उनकी पार्टी ने ही आदिवासी बेटी को देश के सर्वोच्च पद पर बिठाया।
इसी साल जुलाई में अमित शाह कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए भोपाल में अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस रद्द कर इंदौर पहुंच गए थे। इंदौर वाले इलाके में तो संघ का खासा प्रभाव रहा है और पार्टी कैलाश विजयवर्गीय से उम्मीद कर रही है कि वह आस-पास की सीटों पर भी पार्टी का कुछ तो कल्याण करेंगे ही।
मगर मालवा-निमाड़ में इस बार सीन पहले से अलग है। यहां पहले ज्यादा बारिश और फिर कम बारिश ने सोयाबीन के किसानों को गहरा घाव दिया है। इसके साथ ही यूरिया को लेकर पूरे राज्य में किसानों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। घंटों लाइन में खड़े होने के बाद भी उनको यूरिया नहीं मिल रहा। किसान शिवराज सरकार से खासे नाराज हैं। खासकर मालवा के किसानों ने इन मुद्दों को लेकर विरोध-प्रदर्शन कर अपना गुस्सा जाहिर भी किया है। राज्य में युवाओं ने भी एंटी इनकंबेंसी के असर को हवा दी है। युवा बेरोजगारी से तो जूझ ही रहे हैं, साथ ही कई कोर्सों के एग्जाम में देरी और भर्तियों में होने वाली धांधली से भी निराश हैं। एक आंकड़े के मुताबिक राज्य में मौजूदा वक्त में 39 लाख बेरोजगार युवा हैं। ऐसे में इस चुनाव में पहली बार वोट डालने वाले 22 लाख 36 हजार वोटर चुनाव नतीजे बदलने की कुव्वत रखते हैं।
बीजेपी इस चुनाव में कांग्रेसी और मुश्लिम लाडली बहनों से क्या उम्मीदें रखती है
राज्य में युवा चार फीसदी के आसपास हैं, जिन्हें अपने पाले में रखने के लिए कांग्रेस ने वादों की एक फेहरिस्त सामने रखी है। इनमें सरकारी भर्ती का कानून, स्टार्ट अप नीति और 1500-3000 रुपये हर महीने आर्थिक मदद शामिल है। वहीं BJP हर ST ब्लॉक में एकलव्य विद्यालय बनाने और 3,800 टीचरों की भर्ती करने की बात कर रही है। साथ ही वह हर परिवार में एक रोजगार या खुद के रोजगार के मौके मुहैया कराने का जिक्र कर रही है। बात किसानों की करें तो उनके लिए गेहूं और धान के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी का जिक्र दोनों दल कर रहे हैं। महिला वोटर को यहां के चुनाव में किंगमेकर माना जा रहा है। इसकी वजह भी साफ है। राज्य में महिला वोटरों की तादाद 2 करोड़ 72 लाख तक पहुंच गई है और करीब 29 सीटें ऐसी हैं, जिन पर आधी आबादी का वोट बाजी पलट सकता है। यही वजह है कि पीएम से लेकर सीएम शिवराज सिंह चौहान तक के भाषणों में महिलाओं के लिए योजनाओं का जिक्र होता दिखा। कांग्रेसियों का मानना है कि लाडली बहना की योजना के नाम पर किया गया खर्चा आम जनता के जेब का पैसा है।