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विपक्षी INDIA गठबंधन में ऐकता का प्रयास विफल? बैठकों का दौर शुरु!

विपक्षी INDIA गठबंधन में ऐकता का प्रयास विफल? बैठकों का दौर शुरु!

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री : सह-संपादक रिपोर्ट

नई दिल्ली। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के चलते अवरुद्ध हुए आपसी संवाद और राज्यों में सीटों के बंटवारे को लेकर बढ़ी कड़वाहट ने गठबंधन का हाल जहां से चले वहीं पहुंचे वाला कर दिया है। विपक्षी गठबंधन मे एकता का प्रयास विफल दिखाई दे रहा है।अब माना जा रहा है कि गठबंधन की अगली बैठक में चुनावी गणित पर बात करने से पहले एक-दूसरे के साथ फिर केमिस्ट्री बनाने की चुनौती सामने आ खड़ी हुई है। अब विपक्ष गठबंधन में एकता लाने के प्रयास को लेकर बैठकों का दौर शुरु कर दिया गया है।

गठबंधन के नेताओं में आपसी तालमेल की चुनौती।

आईएनडीआईए में नए सिरे से होंगे समन्वय बैठाने के प्रयास शुरु कर दिए गए है। जिसमे आपसी कड़वाहट मिटाने के लिए कुछ नेताओं पर नजर रखी जाएगी?

भाजपा को लोकसभा चुनाव में हराने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री व जदयू नेता नीतीश कुमार ने पहला कदम बढ़ाया और मन-बेमन से विभिन्न विपक्षी दल अस्तित्व बचाने के इस साझा अभियान में हमकदम हो लिए। जैसे-तैसे आपसी समन्वय बैठाकर बनाए गए गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (आईएनडीआईए) की तीन बैठकें भी हो गईं।

गठबंधन के नेताओं में नहीं बन रही आपसी तालमेल
माना जा रहा था कि अब बात सिर्फ सीटों के बंटवारे पर होगी। लेकिन पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के चलते अवरुद्ध हुए आपसी संवाद और राज्यों में सीटों के बंटवारे को लेकर बढ़ी कड़वाहट ने गठबंधन का हाल ‘जहां से चले, वहीं पहुंचे’ वाला कर दिया है। अब माना जा रहा है कि गठबंधन की अगली बैठक में चुनावी गणित पर बात करने से पहले एक-दूसरे के साथ फिर ‘केमिस्ट्री’ बनाने की चुनौती सामने आ खड़ी हुई है।

चुनाव परिणाम से पहले ही पटरी से उतरने लगा था गठबंधन
कहा जा रहा था कि विपक्षी गठबंधन का भविष्य पांच राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम के चुनाव परिणाम तय करेंगे। राजनीतिक जानकारों का मानना था कि कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन करेगी तो क्षेत्रीय दल नरमी के साथ सीटों के समझौते के लिए बैठेंगे और प्रदर्शन खराब रहा तो वह हावी होने का प्रयास करेंगे। मगर, चुनाव परिणाम से पहले ही गठबंधन पटरी से उतरने लगा था।

मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी को कांग्रेस ने भाव नहीं दिया। इससे नाराज सपा मुखिया अखिलेश यादव पूरे चुनाव के दौरान कांग्रेस पर जमकर बरसे। उधर, बिहार में नीतीश कुमार ने भी गठबंधन के अभियान को ठंडे बस्ते में डाले जाने को लेकर कांग्रेस के प्रति नाराजगी जता दी। इस तरह के माहौल ने नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला का मन भी खट्टा कर दिया।

भाजपा ने तीन बड़े राज्य में कांग्रेस को किया परास्त
उन्होंने कह दिया कि गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। वह भी इसमें रहने या नहीं रहने को लेकर पुनर्विचार करेंगे। मुश्किलें यहीं नहीं थमीं। तीन बड़े राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा ने कांग्रेस को बुरी तरह परास्त कर दिया। फिर क्षेत्रीय दलों का रुख कांग्रेस के प्रति बदल गया। जब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने चुनाव परिणाम आने के बाद आईएनडीआईए की बैठक छह दिसंबर को बुलाई तो सपा मुखिया अखिलेश यादव, तृणमूल अध्यक्ष ममता बनर्जी, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन जैसे प्रमुख नेताओं ने आने में असमर्थता जता दी।

आईएनडीआईए की होनी है चौथी बैठक
माना जा रहा है कि क्षेत्रीय दल कांग्रेस पर कुछ दबाव बनाना चाह रहे हैं। अब आईएनडीआईए की चौथी बैठक होनी है। माना जा रहा है कि मुंबई में हुई तीसरी बैठक से लेकर अब तक के अंतराल में वह सारे प्रयास बेअसर हो गए हैं, जो पहले आपसी समन्वय के लिए किए गए थे। 13 सदस्यीय समन्वय समिति बेबस नजर आई।
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लालू यादव निभा सकते हैं बड़ी भूमिका

अब जो बैठक होगी, उसमें सीटों के बंटवारे सहित चुनावी रणनीति पर बात होने की बजाए पहले एक-दूसरे के प्रति कड़वाहट को दूर करने का प्रयास करना होगा। यह भूमिका निभाने के लिए मुख्य रूप से राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव पर निर्भरता होगी, क्योंकि वह नाराज नीतीश और कांग्रेस के बीच सेतु बन सकते हैं।

ममता बनर्जी से उनके रिश्ते अच्छे माने जाते थे। अखिलेश यादव उनके करीबी रिश्तेदार हैं। इसी तरह की भूमिका में रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी उत्तर प्रदेश के लिए होंगे। वह राजस्थान में कांग्रेस तो उत्तर प्रदेश में सपा के गठबंधन सहयोगी हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार, जयंत ने इस दिशा में प्रयास भी शुरू कर दिए हैं।

NCP चीफ शरद पवार की भूमिका पर संदेह

बताते हैं कि राजनैतिक पारिवारिक कलह को ठीक करने के उद्देश्य से NCP चीफ शरदचंद्र पवार अपना भतीजा अजीतदादा पवार को अपना वफादार बनाए रखने के प्रयास शुरु है? और टाईम पास के लिए पवार विपक्षी गठबंधन के नेताओं को हां पर हां मिलाना पड रहा है? पूर्व सीएम शरदचंद्र पवार को सबसे अधिक चिंता अपनी बेटी सांसद सुप्रियाताई सुले के भविष्य की सता रही है? पवार साहब की निजी उलझनों में फंसे रहने की वजह से विपक्षी INDIA गठबंधन को साथ देना असंभव प्रतीत हो रहा है? जिसे लेकर विपक्ष गठबंधन नेताओं में सामने संदेह उत्पन्न हो रहा है?

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