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छत्तीसगढ राज्य में साधु संत महात्माओं ने घर घर भाजपा के कमल का निशान का प्रचार- प्रसार किया तब जीती भाजपा

छत्तीसगढ राज्य में साधु संत महात्माओं ने घर घर भाजपा के कमल का निशान का प्रचार- प्रसार किया तब जीती भाजपा

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

रायपुर। छत्तीसगढ राज्य में आयोध्या से आए साधू संत महात्माओं द्धारा घर-घर द्वार द्वार प्रचार-प्रसार की वजह से भारतीय जनता पार्टी की रेकार्ड विजय मिली है।यह प्रसंग छत्तीसगढ़ के रायपुर विलासपुर और कवर्धा जिले का हैं, कवर्धा में जहां पर छत्तीसगढ़ के मंत्री मोहम्मद अकबर पिछले तीन चुनावों से लगातार कांग्रेस से विधायक बनते आ रहे थे।
इस बार वे काँग्रेस की भूपेश बघेल सरकार में वन मंत्री थे, उन्होंने पूरे छत्तीसगढ़ में रोहिंग्या मुसलमानों को बसाने की साजिश की थी।
दो वर्ष पूर्व छत्तीसगढ़ के कवर्धा में भगवा झंडे को मुसलमानों ने उतार कर जलाया था, जिसका विरोध हिंदू संगठनों ने किया था।
इस चुनाव में पूरे देश से 100 की संख्या में साधु – संत कवर्धा पहुंचे। पिछले एक माह में इन १०० संन्यासियों ने घर-घर जाकर दान के रूप में एक वोट मांगने का काम किया। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म के लिए आपका एक वोट चाहिए।
हमें और कुछ नहीं चाहिए हम अयोध्या से यहां आए हैं, धर्म की रक्षा के लिए..
ये साधु – सन्यासी किसी के घर बिना कुछ खाए-पिए लगातार चलते रहे और प्रत्येक घर का दरवाजा खटखटा कर लोगों से सनातन की रक्षा का वचन लेते रहे।
भगवान की कृपा से पूरे कवर्धा में सनातन धर्म का प्रचार प्रचार होने लगा, और यहां से एक युवा नेता विजय शर्मा को भाजपा ने मोहम्मद अकबर के सामने चुनाव में खड़ा किया।
बहुत ज्यादा संसाधन का उपयोग भी नहीं करना पड़ा क्योंकि पूरे शहर की जनता हिंदू धर्म की रक्षा के लिए उमड़ पड़ी।
चुनाव परिणाम के बाद छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक खुशी का माहौल कवर्धा में देखा गया। 39000 से अधिक वोटों से मोहम्मद अकबर को हार का सामना करना पड़ा।
चुनाव परिणाम के बाद जब मतगणना स्थल से मोहम्मद अकबर बाहर निकले तो हजारों की संख्या में भीड़ ने मोहम्मद अकबर वापस जाओ के नारे लगाए और विजय जुलूस के ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित किया।

अतः केवल विकास ही नहीं, बल्कि लोगों की भावनाओं को भी अपने पक्ष में किया जाय तो ही चुनाव के मनचाहे परिणाम आते हैं।

*ये आज सच लग रहा है*

इसी तरह एक और क्षेत्र साजा है, जहां पर एक छोटे से मजदूरी करने वाले ईश्वर भाई साहू के पुत्र को मुसलमानो ने मोब लीचिंग कर मार दिया। जिसका न्याय भूपेश बघेल की काँग्रेस सरकार ने नहीं किया, बल्कि साहू की हत्या को आत्महत्या का प्रकरण बताकर मामले को दबाने का प्रयास किया गया।

किंतु गृहमंत्री अमित शाह ने ईश्वर साहू के ‘साजा’ से काँग्रेस के कदावर मंत्री रविंद्र चौबे के सामने खड़ा किया। चौबे का उस क्षेत्र में बहुत दबदबा था, भाजपा के बड़े-बड़े नेता उसे हरा नहीं पा रहे थे और वह अहंकार से भर चुका था।

किंतु इस बार एक साधारण से 300 स्क्वायर फीट की झोपड़ी में रहने वाले ईश्वर भाई साहू से वह बड़ा मंत्री भी हार गया।

सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात यह रही की ईश्वर साहू द्वारा लोगों से वोट के साथ पैसा भी मांगा गया, लोगों ने पैसा भी दिया और वोट भी दिया। पार्टी ने ईश्वर साहू को कोई फंड नहीं दिया, ईश्वर साहू ने जनता के सहयोग से, जनता के विश्वास से, एक बड़े मंत्री को पटकनी दी, यहां भी भावनाओं के खेल ने कार्य किया

एक तीसरा उदाहरण अंबिकापुर क्षेत्र के सीतापुर में देखा गया जहां सेना के जवान को गांव के हजारों लोगों ने पत्र लिखकर, सेना से इस्तीफा दिलवा कर ; चुनाव लड़ने के लिए गांव बुलाया और कांग्रेस के बड़े मंत्री अमरजीत भगत के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए सेना के उस जवान को तैयार किया, अमरजीत भगत ने प्रेस को दिए गए इंटरव्यू में कहा कि अगर उनकी पार्टी चुनाव हार गई तो वे मूछ मुंड़ा देंगे।

उनके इस वीडियो को प्रसारित किया गया और गांव वालों ने सेना के उसे युवा को स्वयं अपने खर्चे से 8000 वोटो से विजय बना दिया

उसी प्रकार राजनांदगांव, दुर्ग, भिलाई, भाटापारा, काकेश बस्तर और धमतरी जिला एं भी विद्वान विप्र, वैष्णव ब्राह्मण कार्यकर्ताओं और शंकराचार्य के शिष्यों ने छत्तीसगढ राज्य के अनेक विधान सभा क्षेत्रों मे द्वार द्वार जाकर भाजपा उम्मीदवारों का प्रचार-प्रसार जोरों से किया है तब कहीं BJP के कमल की विजय मिली है।

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