उत्तरप्रदेश की महिला न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी

उत्तरप्रदेश की महिला न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

बांंदा । उत्तरप्रदेश के बांदा जिला के न्यायालय की महिला न्यायाधीश ने अज्ञात कारणों से देश के सर्वोच्च न्यायालय को पत्र लिखकर स्वेच्छामृत्यु की अनुमति मांगी है।

बांदा जिले में तैनात सिविल महिला जज का हैरान करनेवाला मामला सामने आया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर जिंदगी खत्म करने की अनुमति मांगी है.

बांदा में तैनात सिविल जज अर्पिता साहू ने इच्छा मृत्यु की गुहार लगाई है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि पत्र को लिखने का उद्देश्य मेरी कहानी बताने और प्रार्थना करने के अलावा कुछ और नहीं है. “मैं बहुत उत्साह के साथ न्यायिक सेवा में शामिल हुई, सोचा था कि आम लोगों को न्याय दिला पाऊंगी. मुझे क्या पता था कि न्याय के लिए हर दरवाजे का भिखारी बना दिया जाएगा.” मुख्य न्यायाधीश को संबोधित पत्र में उन्होंने कहा कि काफी निराश मन से लिख रही हूं. आरोप है कि बाराबंकी में तैनाती के दौरान सिविल जज अर्पिता साहू को प्रताड़ना से गुजरना पड़ा सहा है. जिला जज पर शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना का आरोप है. उन्होंने आरोप लगाया कि रात में भी जिला जज से मिलने के लिए कहा गया.

महिला जज ने लगाई इच्छा मुत्यु की गुहार

जज अर्पिता साहू ने कहा कि मैंने मामले की शिकायत इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से 2022 में की थी.परंतु आज तारीख तक में कोई कार्रवाई नहीं हुई. मेरी परेशानी को जानने की किसी ने परवाह भी नहीं की. जुलाई 2023 में मैंने मामले को एक बार फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट की आंतरिक शिकायत समिति के सामने उठाया. जांच शुरू करने में 6 महीने और एक हजार ईमेल लग गए. उन्होंने प्रस्तावित जांच को दिखावा बताया है. गवाह जिला जज के अधीनस्थ हैं.

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखा पत्र

ऐसे में बॉस के खिलाफ गवाह कैसे दिया जा सकते हैं. निष्पक्ष जांच तभी हो सकती है कि जब गवाह अभियुक्त के प्रशासनिक नियंत्रण से आजाद हो. मैंने जांच लंबित रहने के दौरान जिला जज को ट्रांसफर किए जाने का निवेदन किया था. लेकिन मेरी प्रार्थना पर भी ध्यान नहीं दिया गया. “जांच अब जिला जज के अधीन होगी. हमें मालूम है ऐसी जांच का नतीजा क्या निकलता है.” इसलिए मुख्य न्यायाधीश से जिंदगी को खत्म करने की अनमुति मांगी है.

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