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(भाग:316) स्वर्ण मयी कपिला गिर गाय की पहचान एवं सम्पूर्ण विशेषताएं और लाभदायक परिणाम

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(भाग:316) स्वर्ण मयी कपिला गिर गाय की पहचान एवं सम्पूर्ण विशेषताएं और लाभदायक परिणाम

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टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

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प्राणदायिनी स्वर्ण कपिला गाय के दुग्ध पान करने से ताकतवर प्राणवायू आक्सीजन उपलब्ध होता है। इतना ही नहीं कपिला गायके गोबर और गोमूत्र से आंगन प्रांगण परिसर के रोग राई समाप्त हो जाते है। कपिला गिर गाय की पहचान एवं सम्पूर्ण विशेषताएं और आईये जानते है गिर नस्ल की बेस्ट बुल जिनके सीमेन से कराने से दूध की नदियां बहेगी

इंडियन न्यूज़ प्लस में आपका स्वागत है दुग्ध उत्पादन के लिए स्वर्ण कपिला गाय पालकर आप अपना डेयरी फार्मिंग बिज़नेस खोल सकते हैं। गिर गाय स्वदेशी पश्चिम में सबसे अच्छे दुधारू पशुओं में से एक है। इस नस्ल की गाय को अनेकों नाम से बुलाया जाता है, जैसे कि देशी गुजराती। काठियावाड़ी, खोजी और सुर्ती आदि नामों से जाना जाता है। इस गाय की नस्ल के प्रजनन क्षेत्र गुजरात के अमरेली, भावनगर झूनागड़ और राजकोट जिले आदि शामिल हैं।इनका नाम गिर जंगल के नाम पर रखा गया है। इसकी उत्पत्ति गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में हुई है। गिर गई के बैल भारी भरकम सामान भी आसानी से ढो सकते हैं। इस नस्ल के पशु तनाव अवस्था में भी सहनशीलता बनाए रखते हैं।

 

 

विदेशों में गिर गाय की मांग:

गिर गाय की अनेक योग्यताओं के कारण। इस नस्ल के जानवरों को ब्राज़ील, अमेरिका, वेनेज़ुएला और मेक्सिको जैसे देशों में भेजा जाता है। इसे वहाँ सफलतापूर्वक विकसित किया जा रहा है। ये गिर जाए एक व्यात में 5000 लीटर दूध दे सकती है।

 

गिर गाय का स्वाभाव :

गिर गाय बहुत ही खास मवेशी है और यह अपना अधिक समय चाट के या स्पर्श करके व्यतीत करती हैं। और पूरा झुंड बच्चों की रक्षा करता है। यह गाय 15 साल तक जीवित रह सकती है और अपने जीवनकाल में छे से 12 बच्चे पैदा कर सकती है।

 

Gir की पहचान:

बात करते हैं गिर गई की प्रमुख विशेषताओं की ।इनका वजन 150 किलो तक हो सकता है। इसका रंग सफेद, लाल और हल्का चॉकलेट रंग में होता। की अनोखी खासियत उसका उथला माता है, इसके कान लंबे और लटकने वाले होते हैं। इसके सिंग। अच्छी तरह से सिर पर फिट होते हैं। उसकी त्वचा हलके चमकदार माल बहुत ढीले और लचीले होते हैं।

 

इसकी आंखें काले की होती है और वे अपने पलकों को बंद कर सकते है। ताकि कीड़े उन्हें परेशान न कर सके उनके आँख क्षेत्र के पास। ढीली त्वचा है गीर नश्ल के बैल की हाईट लगभग 140 सेंटीमीटर होती है और मादा की लम्बई लगभग 130 सेंटीमीटर होती है यह गाय विभिन्न जलवायु के लिए अनुकूलित होती है और यह गर्म स्थानों पर भी आसानी से रह सकती है इंडिया में गिर गए।

 

स्वर्ण कपिला Gir Cow, गोल्डन cow, का दुग्ध उत्पादन:

भारत (इंडिया) में गिर गाय की औसतन उत्पादन 2100 लीटरहै यह गाय दिन 12 लीटर से अधिक दूध तथा इसके दूध में 4.5 फीसदी (फैट) वसा होती है। ब्राज़ील में 62 लीटर प्रतिदिन के हिसाब से इस गाय ने दूध का रिकॉर्ड बनाया है।

 

दूसरी गायों से क्यों है अलग गिर गाय का दुग्ध:

गोल्डन cow, Gir Cow, स्वर्ण कपिला के दुग्ध में 52 प्रकार के पोषक तत्व शामिल। हैं गिरगाय के दूध को A2 दूध का दर्जा दिया गया है और A2 दूध को सर्वश्रेठ दूध माना जाता है इसके इस्तेमाल से बच्चों की Immune system को मजबूत करता है और लगभग सभी प्रकार की बिमारियों से लड़ने की छमता प्रदान करता है गीर गाय के दूध में दो प्रमुख प्रोटीन होती है। केसिंस और वेब प्रोटीन होते हैं।

 

गोल्डन cow, स्वर्ण कपिला की कीमत:

स्वर्ण कपिला गिर गाय की कीमत गाय पर निर्भर करती है। इस गाय की कीमत 50,000 से लेकर 1,00,000 तक होती है। इसकी कीमत उसकी आयु, गाय के दूध धारण क्षमता और स्वास्थ्य पर निर्भर करती है।

भारत के लगभग हर राज्यों में देसी गायों की कई अलग-अलग नस्लें पाई जाती हैं. वहीं, देश के ग्रामीण क्षेत्रों में खेती-किसानी के बाद पशुपालन सबसे अच्छा व्यवसाय माना जाता है. कमाई के लिहाज से भी पशुपालन अब किसानों और पशुपालकों के लिए एक फायदे का सौदा बनता जा रहा है.

 

इसके अलावा इस व्यवसाय में ऐसी नस्ल की गायों की मांग ज्यादा रहती है जिनसे अधिक दूध उत्पादन हो सकता है. ऐसे में पशुपालकों को ज्यादा दूध देने वाली गायों की नस्ल का सही चयन करना बहुत जरूरी होता है. ऐसे में आइए जानते हैं पांच देसी गायों की पहचान और उनकी विशेषताएं.

 

खैरीगढ़ गाय नस्ल का नाम क्षेत्र के नाम पर रखा गया है. इस नस्ल के मवेशी उत्तर प्रदेश के खेरी जिले में ज्यादातर पाए जाते हैं. वहीं कुछ जानवर निकटवर्ती पीलीभीत जिले में भी पाए जाते हैं. खैरीगढ़ गाय को खीरी, खैरागढ़ और खैरी गाय के नाम से जाना जाता है. वहीं खेरीगढ़ नस्ल की गाय एक ब्यांत में लगभग 300-500 लीटर तक दूध देती हैं.

 

देशी नस्ल के गायों में राठी नस्ल की गाय एक महत्वपूर्ण दुधारू नस्ल है. यह नस्ल देश के किसी भी क्षेत्र में रह लेती है. राठी गाय को ‘राजस्थान की कामधेनु’ भी कहते हैं. वहीं, राठी नस्ल की गाय प्रतिदिन लगभग 7 से 12 लीटर तक दूध देती हैं. जबकि अच्छी देखभाल और खानपान होने पर 18 लीटर तक भी दूध देती है.

 

साहिवाल गाय को किसान व्यावसायिक रूप से पालन करना अधिक पसंद करते हैं क्योंकि साहिवाल गाय काफी अधिक मात्रा में दूध का उत्पादन करती हैं. वहीं साहिवाल गाय का पालन ज्यादातर उत्तर भारत में किया जाता है. साहिवाल गाय औसतन 10 से 20 लीटर देती है.

 

गिर गाय, गाय की एक ऐसी नस्ल है जो रोजाना औसतन 12-20 लीटर तक दूध देती है. वहीं गिर गाय, भारतीय गायों में सबसे बड़ी होती है जो औसतन 5-6 फुट ऊंची होती है. इसका औसत वजन लगभग 400-500 किलोग्राम तक होता है. इसके अलावा, गिर गाय की स्वर्ण कपिला और देवमणि नस्ल सबसे अच्छी नस्लें मानी जाती हैं.

 

लाल कंधारी गाय छोटे किसानों के लिए बहुत लाभकारी गाय है क्योंकि इसके देखभाल में ज्यादा लागत नहीं आता है और इसे खिलाने के लिए हमेशा हरे चारे की जरूरत भी नहीं पड़ती है. ऐसा मानते हैं कि गाय की इस नस्ल को चौथी सदी में कांधार के राजाओं द्वारा विकसित किया गया था. वहीं रेड कंधारी गाय प्रतिदिन 1.5 से 4 लीटर दूध देने की क्षमता रखती है

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