Breaking News

श्वांस अनमोल है प्रतिकक्षण भगवन नाम स्मरण जरुरी : कथा व्यास आचार्य कृष्ण शास्री के उदगार

श्वांस अनमोल है प्रतिकक्षण भगवन नाम स्मरण जरुरी : कथा व्यास आचार्य कृष्ण शास्री के उदगार

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

छिन्दवाडा। मध्यप्रदेश के छिन्दवाडा जिले के गोपालपुर मे आयोजित श्रीमद्भागवत कथा व्यास आचार्य श्री शुभम् कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने कहा कि श्वांस बहुमूल्य है इसलिए हमारी एक भी श्वांस व्यर्थ नहीं जाए, क्योंकि मुह से निकली श्वांस वापस आती है य नहीं? परिणामत: प्रत्येक श्वांस में निरंतर भगवन नाम स्मरण होते चाहिए। वे यहां गोपालपुर में श्री घसीटा जी सनोडिया के यहां आयोजित संगीतमय श्रीमदभगवत पुराण कथा आयोजन मे प्रवचन कर रहे हैं। उन्होनें कहा कि भगवान बृजवासियों के समक्ष अपनी लीला दिखा रहे है। मनुष्य जब तक माया को छोडकर मायापति की शरण में नहीं चला जाता है संसार के माया-मोह जाल मे भटकते रहता है।भगवान की शरण मे जाने से मनुष्य सदा के लिए मोक्ष को प्राप्त हो जाता है। यह माया लकडी की कठोति की भांति दिख रही है ।परमात्मा के इशारों माया नाच रही हैं। जब देवराज इन्द्र को अपनी पद प्रतिष्ठा पाकर अहंकार हो गया था,यदि धन पद और प्रतिष्ठा के कारण अभिमान हो जाता है तो भगवान धन सम्पत्ति को मै छीन लेता है, इसलिए हर क्षण भगवान का भजन करना चाहिए।

आचार्य शुभम् कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने कहा कि अहंकार उतर जाने पर भगवान ने इंद्र को बताया कि जाओ स्वर्ग में राज करो।

आचार्य कृष्ण शास्त्री ने कहा कि कामधेनु सुरभि ने कृष्ण को गोविंद नाम से संबोधित किया है। इसलिए बुजुर्गों ने गोविंद गोविंद नाम जपना चाहिए,सभी सनातन हिन्दु धर्म के अनुयायियों ने एकादशी वृत का संकल्प लेना चाहिए। रामरक्षास्त्रोत का पाठ तथा हनुमान चालीसा का पाठ भी करना चाहिए। उन्होने बताया कि 5 ज्ञान इंद्रियां 5 कर्म इंद्रियां और एक स्वामी मन एसी 11 इंद्रियां जीवन को संचालित करती हैं। एकादशी के वृत करने से भगवान उन पर रीझ जाते है ,यह स्कंध पुराण की कथा है ।प्रत्येक वैदिक सनातन हिन्दुओं ने शिखा रखने और मस्तक पर तिलक लगाना चाहिए।त्रिपुण्ड धारण करना चाहिए। जिसके मस्तक पर तिलक होता है उसके पास यम दूत नहीं आते अपितु नारायण के पार्षद उसकी रक्षा करते है।

आचार्य श्री कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने शास्त्रीय संगीत के सभी सात सुरों का वर्णन करते हुए कहा कि सभी स्वरों को भगवान श्रीकृष्णचंद्र ने अपनी बांसुरी के माध्यम से बृजवासियों को सुनाया, जिसे सुनकर गोप गोविंदएं मंत्रमुग्ध हो गई।

श्री कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने कहा कि जब श्रीकृष्ण बलराम मथुरा पंहुचे तो वहां की नर नारियों ने अपना काम काज को त्याग कर श्रीकृष्ण बलराम के स्वागत सत्कार के लिए हाजिर हो गए। महिलाएं मंद मंद मुस्कुरातें हुए श्रीकृष्ण के चंचल चितवन निहारते रह गई।कंं को चंदन लेपन को जा रही कुबजा ने भगवान श्रीकृष्ण और बलराम को चंदन लगाया। भगवान कृष्ण ने कुबजा की कमर मे हाथ लगाते ही कुबजा सुन्दरी यौवनावस्था सी दिखने लगी और उसने भगवानश्रीकृष्ण की अराधना करते रहीं। तत्पश्चात भगवान श्रीकृष्ण ने राजा कंश का मर्दन करके उसका उद्धार किया।

इस अवसर पर सैकडों की संख्या मे उपासकगण एवं श्रोतागणों की उपस्थिति रही

About विश्व भारत

Check Also

आज देश के समस्त शक्तिपीठों में की जाती है मां सिद्धिदात्री की उपासना

आज देश के समस्त शक्तिपीठों में की जाती है मां सिद्धिदात्री की उपासना टेकचंद्र सनोडिया …

मां कात्यायनी पूजन से कालसर्प दोष से जुड़ी परेशानियां होती हैं दूर

मां कात्यायनी पूजन से काल सर्प दोष से जुड़ी परेशानियां होती हैं दूर टेकचंद्र सनोडिया …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *