विधानसभा चुनाव कांग्रेस,NCP.उद्धव शिवसेना एक साथ लडने को तैयार
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
मुंबई । शिवसेना (यूबीटी) की ओर से विधानसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे के नाम को सीएम चेहरे के तौर पर आगे बढ़ाया गया है, लेकिन शरद पवार ने इसे खारिज कर दिया है. ऐसे में सवाल उठता है कि शरद पवार एक साथ चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं, लेकिन उद्धव ठाकरे के चेहरे पर क्यों नहीं हो रहे तैयार?
MVA साथ चुनाव लड़ने को तैयार, उद्धव के चेहरे पर पवार क्यों नहीं तैयार?
लोकसभा चुनाव के बाद अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की राजनीतिक बिसात बिछाई जाने लगी है. कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और शरद पवार की एनसीपी की जोड़ी महाराष्ट्र में हिट रही है. तीनों ही विपक्षी दलों के हौसले बुलंद है. अक्तूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में एक साथ मिलकर लड़ने के लिए एकमत हैं, लेकिन सीएम पद के चेहरे पर सहमती नहीं बन पा रही है. शिवसेना (यूबीटी) की ओर से विधानसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे के नाम को सीएम चेहरे के तौर पर आगे बढ़ाया गया है, लेकिन शरद पवार ने इसे खारिज कर दिया है. ऐसे में सवाल उठता है कि शरद पवार एक साथ चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं, लेकिन उद्धव ठाकरे के चेहरे पर क्यों नहीं हो रहे तैयार?
2024 के लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र की 48 सीटों में बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए ने 17 सीटें ही जीती हैं, जबकि कांग्रेस के अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन के घटक दल 30 सीटें जीतने में सफल रहे. एनडीए में शामिल बीजेपी 9, एकनाथ शिंदे की शिवसेना 7 और एक सीट अजीत पवार की एनसीपी ने जीती है. वहीं, इंडिया गठबंधन में शामिल कांग्रेस ने 13 सीटें जीतीं हैं तो उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीट) 9 सीटें और शरद पवार की पार्टी एनसीपी 8 सीटें जीती हैं. सांगली से निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत हासिल की है.
लोकसभा चुनाव के नतीजे के चलते ही इंडिया गठबंधन के तीन घटक दल 2024 के विधानसभा चुनाव में एक साथ किस्मत आजमाने के पक्ष में है, लेकिन मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर असमंजस की स्थिति है. शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत द्वारा उद्धव ठाकरे के नाम को सीएम चेहरे के लिए आगे किया गया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पद के चेहरे के बिना महाराष्ट्र में चुनाव में जाना महाविकास अघाड़ी के लिए खतरनाक होगा. महाराष्ट्र ने देखा है कि कोरोना काल में उद्धव ठाकरे ने राज्य को कैसे संभाला. उद्धव ठाकरे की लोकप्रियता के चलते ही लोगों ने एमवीए को वोट दिया, जिसके चलते विधानसभा चुनाव में उनके चेहरे पर लड़ना चाहिए.