नागपूर : कोराडी पावर प्लांट में वायू प्रदूषण नियंत्रण मे कारगर है इलेक्ट्रोस्टेटिक प्रीसिपिटेटर संयंत्र
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
नागपुर । कोराडी की तापीय विद्युत निर्माण परियोजना के एस हैंडलिंग प्लांट में संचालित इलेक्ट्रोस्टेटिक प्रीसिपिटेटर (ESP) फिल्टर प्लांट के रखरखाव-मरम्मत कार्य के लिए बडी ही सावधानियां बरतनी पडती है? बिजली उत्पादन केंद्र के एस हैंडलिंग प्लांट सेक्सन विशेषज्ञों की माने तो प्रति बिजली संयंत्रों की चिमनियों निकलने वाली महीन राख धुंआ व धूल को नियंत्रित करने के लिए राख इलेक्ट्रोस्टेटिक प्रीसिपिटेटर कार्य महत्वपूर्णहोता है.(इएसपी) का ब्यास 300 एम एम होता है जिसके आंतरिक भागों मे लगे क्षतिग्रस्त प्लेटों को जोडने के लिए वेल्डर को प्रवेश करना पडता है जो अन्य किसी के लिए संभव नही है. दरअसल में ESPके भीतर अनुभव कुशल और दुबले पतले वेल्डर कारागिर ने अंदर प्रवेश करके कमजोर प्लेटों को जोडता है?तकनीशियनों के अनुसार निरंतर बिजली केंद्र शुरु रहने के कारण इलेक्ट्रोस्टेटिक प्रीसिपिटेटर के भीतर लगी प्लेटैं ढीली और क्षतिग्रस्त हो जाती हैं?उन क्षतिग्रस्त प्लेटों को जोडने का कार्य के लिए सावधानी और सतर्कता की जरुरत है? अन्यथा 300MM होल के भीतर वेल्डर कारागिर की प्राण हानी का दु:ख उठाना पड सकता था? इलेक्ट्रोस्टेटिक प्रीसिपिटेटर तकनीशियनों के मुताबिक इस ESP रखरखाव कार्य का खर्चा लगभग सबा करोड रुपए होता है. बताते है कि अगर ESP संयंत्र मे नई प्लेटें पिट करने के लिए सरकार को 3 करोड रुपए का खर्चा आता है? इसलिए ईएसपी प्लेटों की मरम्मत करके काम चलाना ठीक सस्ता पडता है? पिछले सन नबंवर- दिसंबर 2024 के दरम्यान कोराडी पावर प्लांट के 660×3 के एक मे यह प्रक्रिया अपनाई गई है. इस कार्य के लिए रखरखाव और मरम्मत कार्यों का वीडियोग्राफी भी की गई है.इस कार्य का ठेका मेसर्स: ABU कंस्ट्रक्शन को सौपा गया था जो सफलतापूर्वक पूर्ण हुआ है!
तकनीशियन के अनुसार प्रत्येक इलेक्ट्रोस्टेटिक पावर प्लांट के प्रति इएसपी संयंत्र का आकार 40×12 मीटर चौडा होता है!बिजली उत्पादन के दौरान चिमनी से निकलने वाली महीन राख धूल धुंआ को फिल्टर करके नीचे की तरफ ढकेलता है. इस संबंध में मेसर्स: ABU कंस्ट्रक्शन के सह प्रबंध निदेशक श्री शशांक भाई पटेल ने बताया है कि इस तकनीक का अध्ययन उन्होंने मध्यप्रदेश के खरगोन तापीय विद्युत परियोजना मे किया किया है.
ESP संयंत्र का मुख्य कार्य उद्देश्य चिमनी से महीन राख धूल धुंआ ऊपर निकलने के पहले ही चिमनी के वाटम भाग में स्थित इलेक्ट्रोस्टेटिक प्रीसिपिटेटर संयंत्र के जरिए फिल्टर करके बाहर की तरफ निकलता है. फलत: यह है राख मिश्रित धूल व धुंआ प्रदूषण नियंत्रण की प्रक्रिया है.
यह सब महानिर्मिती के संचालक संचालन श्री संजय मारुडकर और मुख्य अभियंता श्री विलास मोटघरे के कुशल मार्गदर्शन में सभी वरिष्ठ अधिकारी सेक्शन इंचार्ज और अभियंतागणों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है.