बीजापुर में 24 लाख के इनामी 9 माओवादियों का आत्मसमर्पण
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में आज नक्सल उन्मूलन की दिशा में एक और बड़ी सफलता मिली है। ₹24 लाख के इनामी माओवादी समेत 9 माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर दिया, वहीं एक अन्य माओवादी मुठभेड़ के दौरान न्यूट्रलाइज़ हो गया। यह घटनाक्रम उस व्यापक अभियान का हिस्सा है, जिसे राज्य सरकार और केंद्रीय सुरक्षा बलों के संयुक्त प्रयास से नक्सल प्रभावित इलाकों में चलाया जा रहा है। लगातार मिल रही सफलता Also Read – कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी के निर्देश पर वैकल्पिक मार्ग निर्धारित आंकड़ों पर नजर डालें तो दिसंबर 2023 से अब तक छत्तीसगढ़ में लगभग 450 माओवादी मारे गए, 1579 गिरफ्तार किए गए और 1589 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। यह केवल संख्या नहीं, बल्कि उस परिवर्तन की तस्वीर है, जो बस्तर, बीजापुर, सुकमा जैसे क्षेत्रों में हो रहा है – जहां एक समय बंदूकें बोलती थीं, वहाँ अब विकास की आवाज गूंज रही है।
बिजली योजना का लाभ लोगों को देने के निर्देश अमित शाह के नेतृत्व में बदली तस्वीर यह उपलब्धि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के सशक्त नेतृत्व और रणनीतिक मार्गदर्शन का परिणाम है। अमित शाह देश के इतिहास में सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले गृह मंत्री के रूप में आंतरिक सुरक्षा को लेकर अपने दृढ़ और निर्णायक रवैये के लिए पहचाने जाते हैं। अनुच्छेद 370 की समाप्ति हो या नक्सलवाद और आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई, अमित शाह का कार्यकाल भारत की आंतरिक सुरक्षा के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ है। उन्होंने न केवल सशस्त्र बलों को पूरी स्वतंत्रता दी, बल्कि राज्यों के साथ समन्वय बनाकर जमीनी स्तर पर क्रियाशीलता को भी बढ़ाया।
बदलता बस्तर – आत्मसमर्पण की बढ़ती लहर बीजापुर में आज हुए आत्मसमर्पण की घटना उसी बदलते ‘बस्तर मॉडल’ की पुष्टि है, जहाँ अब बंदूकें झुक रही हैं और नक्सली मुख्यधारा में लौटने को तैयार हैं। आत्मसमर्पित माओवादियों ने बताया कि वे पुलिस और प्रशासन की पुनर्वास नीति और समाज में सम्मान के साथ जीवन जीने के अवसरों से प्रेरित होकर यह निर्णय ले रहे हैं। नक्सलवाद मुक्त छत्तीसगढ़ का संकल्प छत्तीसगढ़ सरकार ने गृह मंत्री अमित शाह की मंशा के अनुरूप यह स्पष्ट किया है कि राज्य 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य पुलिस, सीआरपीएफ, कोबरा, डीआरजी और अन्य बलों की संयुक्त कार्रवाई से यह लक्ष्य अब दूर नहीं लगता। इस प्रकार बीजापुर में हुआ आज का आत्मसमर्पण और मुठभेड़ न केवल एक प्रशासनिक सफलता है, बल्कि यह संदेश भी है कि अब हिंसा नहीं, विकास और विश्वास की जीत हो रही है।