पिछले 10 सालों की मेहनत में फिर गया पानी? महाराष्ट्र की जनता बीजेपी को क्यों भूल गई
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
मुंबई ।महाराष्ट्र का आगामी विधानसभा चुनाव कहीं से भी भारतीय जनता पार्टी के लिए आसान नहीं होने वाला है. बीते लोकसभा चुनाव में उन्हें उम्मीदों के मुताबिक नतीजे नहीं मिले थे.
मुंबई । महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे के साथ देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार. के लिए विधानसभा चुनाव कांटों भरा रहने वाला है?
मुंबई. महाराष्ट्र वो राज्य है जहां बीजेपी पिछले 10 सालों में पहले तो शिखर पर पहुंची और फिर वहीं पहुंच गई जहां 2009 में थी. यहां बीजेपी एक विधानसभा चुनाव छोड़कर बाकी चुनावों में शिवसेना के साथ गठबंधन करके ही चुनाव लड़ी, लेकिन जूनियर पार्टनर के तौर पर. बीजेपी की सीटें शिवसेना से ज्यादा हो या कम, गठबंधन की डोर पहले शिवसेना के पास ही रहती थी. लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को 48 में से 41 मिलीं. इसमें बीजेपी को 23 और शिवसेना को 18 सीटें मिलीं. इस गठबंधन को महाराष्ट्र में इतनी सीट इससे पहले कभी नहीं मिली थी. नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद बीजेपी को अपनी बढ़ती ताकत का अहसास हुआ और 2014 के विधानसभा चुनाव में उसने शिवसेना ने ज्यादा सीट मांगे.
शिवसेना ने ज्यादा सीट देने से मना किया, तो बीजेपी अकेले ही चुनावी मैदान में उतरी और 122 सीट जीतकर बड़ी कामयाबी हासिल की. हालांकि बीजेपी बहुमत से अब भी 23 सीट कम थी और उसे सरकार बनाने के लिए शिवसेना की ही मदद लेनी पड़ी, जिसके पास 63 सीटें थीं. लेकिन अब दोनों दलों के बीच दरार पड़ चुकी थी और 5 साल के शासन के दौरान बीजेपी और शिवसेना के बीच विवादों का लंबा सिलसिला चला. महाराष्ट्र में नंबर वन पार्टी का दर्जा प्राप्त करने के बाद बीजेपी एक के बाद एक कई गलतियां करती गई जिससे वो लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे में फिर वहीं पहुंच गई जहां 2009 में थी.
लोकसभा चुनाव 2024 में किसे कितनी सीट मिली:
कांग्रेस – 13 सीट
शिवसेना (उद्धव) – 09 सीट
बीजेपी – 09 सीट
एनसीपी (शरद) – 08 सीट
शिवसेना – 07 सीट
राजनैतिक विशेषज्ञों की माने तो विगत 2019 मेंभाजपा शिवसेना गठबंधन की सरकार बनना महाराष्ट्र मे तय थी? परंतु NCP चीप और पूर्व सीएम शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को अपने बस मे करके भाजपा के निष्ठावान और कर्मठ नेता देवेन्द्र फडणवीस के सपनो पर पानी फेर दिया? NCP चीप पवार ने चाहा था कि उनकी सुपुत्री संसद सुप्रियाताई सुले को केंद्र की मोदी सरकार मे शामिल किया जाना चाहिए था? लेकिन संभव नहीं हो सका?