कौन से हैं वो 3 राज्य, जो चुनावों से पहले BJP के लिए बन गए बड़ा सिरदर्द?
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
नई दिल्ली। सियासी जानकारों की मानें तो अगर बीजेपी चुनावों से पहले यूपी, बिहार और महाराष्ट्र को नहीं साध पाई तो उसके लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है।
सियासी जानकारों की मानें तो अगर बीजेपी चुनावों से पहले यूपी, बिहार और महाराष्ट्र को नहीं साध पाई तो उसके लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार भले ही लगातार तीसरी बार बन गई हो मगर इस बार बीजेपी के लिए चुनाव के बाद आगे की राह इतनी आसान नहीं दिख रही है. पार्टी के लिए कदम-कदम पर मुश्किलें खड़ी हैं. आइए, जानते हैं ऐसे तीन अहम राज्यों के बारे में, जो बीजेपी के लिए फिलहाल किसी सिरदर्द से कम नहीं हैं:
बीजेपी के लिए जिन राज्यों ने अभी टेंशन बढ़ा रखी है, उनमें यूपी, बिहार और महाराष्ट्र हैं. यूपी में इस साल अक्तूबर के आस-पास विधानसभा की 10 सीटों के लिए उप-चुनाव होने हैं. बिहार में अगले साल विस चुनाव होंगे, जबकि महाराष्ट्र में भी इसी साल विस चुनाव होने हैं. ये भी अक्तूबर के करीब हो सकते हैं. हालांकि, इनमें से किसी भी इलेक्शन से जुड़ा शेड्यूल नहीं आया है.
बीजेपी के लिए जिन राज्यों ने अभी टेंशन बढ़ा रखी है, उनमें यूपी, बिहार और महाराष्ट्र हैं. यूपी में इस साल अक्तूबर के आस-पास विधानसभा की 10 सीटों के लिए उप-चुनाव होने हैं. बिहार में अगले साल विस चुनाव होंगे, जबकि महाराष्ट्र में भी इसी साल विस चुनाव होने हैं. ये भी अक्तूबर के करीब हो सकते हैं. हालांकि, इनमें से किसी भी इलेक्शन से जुड़ा शेड्यूल नहीं आया है.
सबसे पहले बात यूपी की. वहां विस की जिन 10 सीटों पर उप-चुनाव होने हैं, उनमें कटेहरी, करहल, मिल्कीपुर, मीरापुर, गाजियाबाद, माझवां, सीसामऊ, खैर, फूलपुर और कुंदरकी हैं. दरअसल, प्रदेश में उप-चुनाव के पहले यूपी में दो बड़े दिग्गजों (सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य) के बीच खटपट की अटकलें लगाई गईं.
सबसे पहले बात यूपी की. वहां विस की जिन 10 सीटों पर उप-चुनाव होने हैं, उनमें कटेहरी, करहल, मिल्कीपुर, मीरापुर, गाजियाबाद, माझवां, सीसामऊ, खैर, फूलपुर और कुंदरकी हैं. दरअसल, प्रदेश में उप-चुनाव के पहले यूपी में दो बड़े दिग्गजों (सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य) के बीच खटपट की अटकलें लगाई गईं.
सियासी गलियारों में ऐसी आशंका जताई गई कि यूपी बीजेपी में दो बड़े दिग्गजों की कथित अंदरूनी कलह पार्टी को कहीं आगामी विस के उप-चुनाव में नुकसान न पहुंचा दे. अगर पार्टी दो धड़ों या खेमों में बंटी नजर आएगी और एक की दल के नेता आपस में लड़ते-भिड़ते और उलझते दिखेंगे तो इससे मतदाताओं के बीच भी गलत संदेश जाएगा.
सियासी गलियारों में ऐसी आशंका जताई गई कि यूपी बीजेपी में दो बड़े दिग्गजों की कथित अंदरूनी कलह पार्टी को कहीं आगामी विस के उप-चुनाव में नुकसान न पहुंचा दे. अगर पार्टी दो धड़ों या खेमों में बंटी नजर आएगी और एक की दल के नेता आपस में लड़ते-भिड़ते और उलझते दिखेंगे तो इससे मतदाताओं के बीच भी गलत संदेश जाएगा.
दूसरा राज्य बिहार है, जो लंबे समय से विशेष राज्य का दर्जा पाने के लिए टकटकी लगाए बैठा है. बिहार सीएम और जेडी(यू) चीफ नीतीश कुमार को लगातार तीसरी बार एनडीए सरकार बनने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बड़ी उम्मीद थी कि उनके इस कार्यकाल में राज्य को स्पेशल स्टेटस का दर्जा मिल जाएगा मगर सोमवार (23 जुलाई, 2024) को उन्हें इस बाबत तगड़ा झटका लगा.
दूसरा राज्य बिहार है, जो लंबे समय से विशेष राज्य का दर्जा पाने के लिए टकटकी लगाए बैठा है. बिहार सीएम और जेडी(यू) चीफ नीतीश कुमार को लगातार तीसरी बार एनडीए सरकार बनने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बड़ी उम्मीद थी कि उनके इस कार्यकाल में राज्य को स्पेशल स्टेटस का दर्जा मिल जाएगा मगर सोमवार (23 जुलाई, 2024) को उन्हें इस बाबत तगड़ा झटका लगा.
बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग केंद्र सरकार ने लोकसभा में खारिज कर दी. सरकार ने मौजूदा प्रावधानों का हवाला दिया और कहा कि अभी के प्रावधानों में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देना संभव नहीं है. केंद्र के इस फैसले के बाद बिहार की सत्तारूढ़ पार्टियों में निराशा देखने को मिल सकती है, जो लगातार बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहे थे.
बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग केंद्र सरकार ने लोकसभा में खारिज कर दी. सरकार ने मौजूदा प्रावधानों का हवाला दिया और कहा कि अभी के प्रावधानों में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देना संभव नहीं है. केंद्र के इस फैसले के बाद बिहार की सत्तारूढ़ पार्टियों में निराशा देखने को मिल सकती है, जो लगातार बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहे थे.
स्थानीय नेताओं का शुरू से तर्क रहा है कि राज्य के विकास के लिए विशेष राज्य का दर्जा जरूरी है. हालांकि, केंद्र सरकार के रुख ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. सरकार ने 2012 में तैयार एक समूह की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का कोई मामला नहीं बनता है. यह समूचा घटनाक्रम इसलिए भी अहम है क्योंकि वहां अगले साल विस चुनाव हैं.
स्थानीय नेताओं का शुरू से तर्क रहा है कि राज्य के विकास के लिए विशेष राज्य का दर्जा जरूरी है. हालांकि, केंद्र सरकार के रुख ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. सरकार ने 2012 में तैयार एक समूह की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का कोई मामला नहीं बनता है. यह समूचा घटनाक्रम इसलिए भी अहम है क्योंकि वहां अगले साल विस चुनाव हैं.
तीसरी बड़ी टेंशन महाराष्ट्र और वहां की मौजूदा राजनीतिक स्थिति है. वहां फिलहाल एक अनार और सौ बीमार वाली परिस्थिति नजर आ रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि फिलहाल वहां महायुति (एनडीए) की सरकार है लेकिन हर किसी की निगाह सीएम पद पर है. अभी सीएम शिवसेना (शिंदु गुट) के एकनाथ शिंदे हैं, जबकि दो डिप्टी सीएम (बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस और एनसीपी के अजित पवार) हैं.
तीसरी बड़ी टेंशन महाराष्ट्र और वहां की मौजूदा राजनीतिक स्थिति है. वहां फिलहाल एक अनार और सौ बीमार वाली परिस्थिति नजर आ रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि फिलहाल वहां महायुति (एनडीए) की सरकार है लेकिन हर किसी की निगाह सीएम पद पर है. अभी सीएम शिवसेना (शिंदु गुट) के एकनाथ शिंदे हैं, जबकि दो डिप्टी सीएम (बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस और एनसीपी के अजित पवार) हैं.
सबसे रोचक बात है कि सूबे में सबसे बड़ा दल होने पर भी बीजेपी का सीएम नहीं है, जिसकी टीस बीच-बीच में सियासी बयानबाजी के जरिए दिख जाती है. चुनावी चर्चा के बीच सीएम पद की दावेदारी जहां तेज है, वहीं सिलसिलेवार बैठकों का दौर भी चल रहा है और अलग ही सियासी खिचड़ी पकाने का प्रयास हो रहा है.
सबसे रोचक बात है कि सूबे में सबसे बड़ा दल होने पर भी बीजेपी का सीएम नहीं है, जिसकी टीस बीच-बीच में सियासी बयानबाजी के जरिए दिख जाती है. चुनावी चर्चा के बीच सीएम पद की दावेदारी जहां तेज है, वहीं सिलसिलेवार बैठकों का दौर भी चल रहा है और अलग ही सियासी खिचड़ी पकाने का प्रयास हो रहा है.
महाराष्ट्र बीजेपी के लिए इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि वहां हाल में हुए आम चुनाव में उसे मुंह की खानी पड़ी थी. 48 लोकसभा सीटों वाले सूबे में कांग्रेस को 13, बीजेपी को नौ, शिवसेना (यूबीटी) को नौ, एनसीपी (शरद पवार) को आठ, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) को सात, एनसीपी (अजित पवार) को एक और निर्दलीय को एक सीट हासिल हुई थी.
महाराष्ट्र बीजेपी के लिए इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि वहां हाल में हुए आम चुनाव में उसे मुंह की खानी पड़ी थी. 48 लोकसभा सीटों वाले सूबे में कांग्रेस को 13, बीजेपी को नौ, शिवसेना (यूबीटी) को नौ, एनसीपी (शरद पवार) को आठ, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) को सात, एनसीपी (अजित पवार) को एक और निर्दलीय को एक सीट हासिल हुई थी.