चमचागिरी करने वाले वफादार नहीं चुगलखोर
टेकचंद्र शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
सचमुच मे जी हां चमचागिरी करने वाले वफादार नहीं वल्कि बडे ही असलियत से गुमराह करने वाले चुगलखोर होते है.
यह एक मुहावरा या कहावत है जिसका अर्थ है कि जो लोग किसी की खुशामद करते उल्टी सीधी पट्टी पढाते और अपने स्वार्थ साधने के लिए ब्रेनवाश करते हैं, यानी बनावटी झूठी चमचागिरी करते हैं, वे कभी वफादार नहीं होते, बल्कि मौके पर किसी और के पीछे बुराई करने वाले या चुगली करने वाले साबित होते हैं, क्योंकि उनकी निष्ठा चाटुकारिता पर टिकी हुई होती है न कि किसी व्यक्ति या सिद्धांत पर चलते हैं.
इसका विस्तार से अर्थ यह है कि यह ऐसे लोगों के लिए इस्तेमाल होता है जो किसी व्यक्ति की हां में हां मिलाते हैं, उसकी हर बात मानते हैं और उसकी चापलूसी करते हैं ताकि उससे अपना उल्लू सीधा कर सकें. ऐसे लोगों की वफादारी झूठी होती है. उनकी असली निष्ठा किसी व्यक्ति या उसके विचारों के प्रति नहीं होती, बल्कि उस व्यक्ति के प्रति होती है जो उनके लिए फायदेमंद हो.एसे लोग कुत्सित भावनाओं के आवेश में आकर सत्य के खिलाफ उकसाने और भड़काते हैं.
चुगलखोर का स्वभाव ही ऐसा होता है कि जब फायदा मिलना बंद हो जाता है, या कोई और बड़ा मौका मिलता है, तो ऐसे लोग आसानी से अपने पुराने मालिक की चुगली कर सकते हैं या उसके खिलाफ जा सकते हैं.
निष्कर्ष के मुताबिक यह कहावत बताती है कि ऐसे लोगों पर भरोसा नहीं करना चाहिए क्योंकि उनका व्यवहार स्वार्थ पर आधारित होता है, सच्चा स्नेह या निष्ठा पर नहीं जी हां.