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MP चुनाव कांग्रेस नेतृत्व ने बदली रणनीति? सत्ता वापसी के लिए 3 नेताओं पर खास भरोसा

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टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री:सह-संपादक की रिपोर्ट

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भोपाल। मध्यप्रदेश विधान सभा चुनाव 2023: के चुनाव होने हैं। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने केन्द्रीय नेतृत्व ने अपना दखल बढ़ा दिया है। कमलनाथ चुनाव पर फोकस कर रहे हैं तो रणदीप सुरजेवाला संगठन में। वहीं, कुंवर भंवर सिंह टिकट बंटवारे के लिए मंथन कर रहे हैं।
एमपी में इसी साल होने हैं विधानसभा चुनाव
चुनाव से पहले केन्द्रीय नेतृत्व का दखल बढ़ रहा है
हाल ही में जीतू पटवारी को दी गई है जिम्मेदारी
चुनाव प्रबंधन पर कमलनाथ का पूरा फोकस
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर नेताओं का महत्व बदलता दिखाई दे रहा है। बल्कि पकड़ भी धीरे-धीरे मजबूती से बढ रही है। विभिन्न समितियों में नए सदस्यों की एंट्री इसका एहसास भी करा रही है। राज्य में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी ने चुनाव अभियान समिति और स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया तो ऐसा लगा जैसे कई नेताओं को इससे बाहर रखा गया है। कुछ खास लोगों का वजन ज्यादा रहने वाला है। वर्तमान परिवेश की राजनीति वलून फुग्गा की तरह है। जरूरत से अधिक वायू भरा तो अपने आप फूट सकता है?बस CM शिवराज सिंह चौहान सरकार फुग्गा की तरह दिखाई दे रही है? वायू निकलते ही फुस्स होने में देर नहीं लगेगी?
इसकी वजह भी थी क्योंकि इन समितियां में पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव, सुरेश पचौरी, पूर्व मंत्री जीतू पटवारी और उमंग सिंगार जैसों को स्थान नहीं मिला था। वक्त गुजारने के साथ स्थितियां बदली और समितियों में नए सदस्यों का प्रवेश बढ़ने लगा।हालकि CM शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश का महिला वोटबैंक मजबूत बनाने के लिए तरह तरह के लुभावने लोलीपॉप दिखा रहे हो परंतु इस डिजिटल जमाने मे मतदाता जनता-जनार्दन काफी चालाक जागरूक दिखाई देने लगे है? भले ही व्यापम् घोटाले मे लिप्त शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने साम दाम दण्ड भेद की कूटनीति खेल के जरिए अपने को साफ दर्शाया हो परंतु वास्तविकता को आज तक कोई झुठला नहीं सकता और चुनौति भी नही दे सकता है? यह संसार सदैव परिवर्तनशील रहा है? सत्ता आती हैं जाती है। परंतु ज्यादा अन्याय और अत्याचार का नतीजा प्राकृतिक समतौल बिगड़ने से जीत के वजाय बुरी तरह हार का सामना भी करना पड सकता है तब तो लेने के देने पड सकते है?
राजनैतिक विशेषज्ञों का मानना है कि व्यापक घोटाला मे जिन जिन लोगों ने अपनों को खोया है। उनके परिजनों का सभी कुछ उजड गया है।जो कि भुक्तभोगी जनता के दिलों में धंधकती अभिशाप की ज्वाला CM शिवराज सिंह चौहान की सरकार को ले डूब सकता है? वर्तमान परिवेश में तमाम मतदाता जनता-जनार्दन को अधिक बतलाने की जरुरत नहीं है? समझदारों को ईशारे ही काफी है?

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जीतू पटवारी का कद बढ़ा

पहले स्क्रीनिंग कमेटी में तीन लोगों को स्थान दिया गया। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, अरुण यादव, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का नाम आया तो वहीं अब चुनाव अभियान समिति में सह अध्यक्ष के तौर पर जीतू पटवारी की नियुक्ति हुई है।
इतना ही नहीं इससे पहले राज्य में शुरू हुई जन आक्रोश यात्रा में भी इन नेताओं का कद बढ़ा है और जिम्मेदारियां भी सौंपी गई है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है, कांग्रेस हाईकमान काम के बंटवारे को बड़ी सूझबूझ से कर रही है। एक तरफ जहां रणदीप सिंह सुरजेवाला को प्रदेश प्रभारी बनाकर भेजा गया है तो वहीं स्क्रीनिंग कमेटी का प्रमुख भंवर जितेंद्र सिंह को बनाया गया है।

तीन नेताओं को पूरा भरोसा

कुल मिलाकर संगठन चलाने का पूरा काम सुरजेवाला के सुपुर्द किया जा रहा है तो वहीं चुनाव प्रबंधन का सारा दारोमदार कमलनाथ के कंधों पर रहने वाला है। स्क्रीनिंग कमेटी का प्रमुख भंवर जितेंद्र सिंह भी टिकट बंटवारे पर अहम रोल निभाएंगे। इसके साथ ही दूसरी पंक्ति के नेताओं को भी जिम्मेदारी और जवाबदारी सौंपी जा रही है।
टकराव दूर करने की कोशिश
पार्टी को लगता है कि ऐसा करने से किसी भी तरह का टकराव नहीं होगा और संगठन व्यवस्थित तरीके से चलने के साथ चुनाव प्रचार भी तेज गति पकड़ सकेगा। इससे इस बात के तो संकेत मिल ही रहे हैं कि राज्य में केंद्रीय नेतृत्व अपना पूरा दखल रखने वाला है

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